Sunday, January 27, 2013

क्या अंतर है इन दोनों की सोंच और तौर-तरीके में .....कोई ख़ास फर्क मुझे नज़र नहीं आता

दोस्तों, क्या अंतर है इन दोनों की सोंच और तौर-तरीके में .....कोई ख़ास फर्क मुझे नज़र नहीं आता।।
एक है जनाब सलमान खुर्शीद जी, जिन्होंने सत्ता के मद में होने की वजह से अपनी प्रेस कांस्फेरेंस में rules the game सेट किये और अपने समर्थकों के बीच जाकर ....खुले आम धमकी दी
दूसरे है पूर्व अध्यक्ष उस पार्टी के जिसे कभी जाना जाता था उसके चाल, चलन चरित्र और चेहरे के लिए .....इन्होने पद से छुट्टी पाते ही अपने समर्थकों के बीच जा कर धमकी दे दी .....सरकारी कर्मचारियों को ....खैर ये सरकार ने क्यों किया ...क्या वजह थी ...ये राजनीती से प्रेरित था  ...वगैरह वगैरह ...कई तर्क हो सकतें है .....पर जो धमकी इन्होने दी वो किसी राजनीती से प्रेरित नहीं बल्कि ....देश में बने भ्रष्टाचार विरोधी माहौल ...को अपने पक्ष में आंकने ..और अपनी सत्ता आने के ....सिर्फ एक ख्वाब ने ही ...कर दिया मदांध कर दिया ...निकल गयी मन की बात ....

पर इन दोनों की बातों से अब ये साफ़ हो चुका है ...की सत्ता में आने के बाद ...ये नेता चाहे जी भी पार्टी के हों .....मार देते है लोकतंत्र को ....और घोषित कर देतें है ...अपने आपको 5 साल का राजा ....फिर ना ही कोई जांच ...ना ही कोई चाल, चलन और चरित्र ....और रह जाता है सिर्फ ....सत्ता का मद और छूट जाती है ...जनता कहीं पीछे ....इनके और इनके करीबी के स्वार्थ के पीछे ......

इससे तो साफ़ होता है ...की सरकार किसी भी पार्टी की हो ......जनता के हालात नहीं सुधरने वाले ....अगर कुछ फर्क पड़ेगा तो सिर्फ सत्ताधरी पार्टी के नेताओं और उनके चमचो और गुर्गों ....के जीवन पर ....जनता तो वहीँ रहेगी ठगी के ठगी .....
अब ऐसी हालत में जनता क्या करें ....किस पर भरोषा करे .....ये सिद्ध होता है की सरकार किसी की भी हो .....जनता की कोई नहि सोंचता ....

अब अगर मैं यहाँ कहूँगा की आम आदमी पार्टी के आने से ये ठीक हो जायेगा - तो यह बात भी गलत होगी ....क्यूंकि ये ऐसे नहीं होगा ....और कोई नहीं कर पायेगा ....आम आदमी पार्टी भी नहीं .....अरविन्द जी भी नहीं .....इस बात को अरविन्द जी बहुत अच्छी तरह समझतें है ...और इसीलिए

उन्होंने शुरू से ही कहा है .....की सिर्फ सरकार को बदलना ....कोई इलाज़ नहीं है .....इस राजनीतिक सोंच को .....इस व्यव्यस्था को ही बदलना पड़ेगा ..और परिवर्तन दोनों और जरुरी होंगे राजनीती में ..और सरकारी तंत्र में ....तभी कुछ ऐसा हो सकता है ...की लोकतंत्र की स्थापना हो .....
और इसीलिए अरविन्द जी का कहना है की जब तक जनलोकपाल नहीं आएगा, सिटिज़न चार्टर नहीं लागु होगा, सीबीआई स्वतंत्र नहीं होगी ...राईट तो रिजेक्ट, राईट तो रिकॉल ...और भी बहुत कुछ नहीं होगा ....कोई फर्क नहीं पड़ेगा ...

इसी वजह से अरविन्द जी और साथियों ने आम आदमी पार्टी के संविधान में ही पूरी पारदर्शिता और सम्पूर्ण लोकतंत्र .....की व्यवस्था की है ...आम आदमी पार्टी में हर स्तर पर लोकपाल होगा चाहे वो जिला हो या फिर राज्य ....एक ही परिवार के दो सदस्य executive counsil में नहीं हो सकते ...उमीदवार चयन जनता के हाथ में होगा ...और observer कमिटी के लोग या उनके करीबी  चुनाव नहीं लड़ सकते ....और भी समझे http://www.aamaadmiparty.org/ पर और http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525675877455548&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

बात तो एक दम सही है ...की सरकार किसी भी पार्टी की हो .....पर नेता सबके फलते फूलते है .....चमचे सबके निरंकुश और ताकतवर होतें है .....और जनता वही फटे हाल ...बेहाल ....

हाँ और मेरा मानना यह है ....की ये काम सिर्फ ......आम आदमी पार्टी के संविधान और काम करने के तरीके से नहीं हो सकता ......अगर आपको और हमको ...देश की जनता को ...युवा को ....आम आदमी को कुछ बदलाव चाहिए तो ...स्वयं रजनीति में आना पड़ेगा ...और पूरी कोशिश से लड़ना पड़ेगा की .....सूरत बदल सके ....हाँ ये जरुरी नहीं की आप सिर्फ आम आदमी पार्टी से जुड़ें ....अगर आपको लगता है ...की आप किसी और पार्टी के साथ रह कर भी .....जन हित के लिए कुछ कर सकतें है ...तो जरुर करें .....पर करें जरुर ....जब तक अच्छे, सच्चे और ....आम आदमी ..राजनीती से इन तानाशाहों और भ्रष्ट लोगों को बाहर नहीं करेंगे ....कुछ बदल नहीं सकता ....इसे बदलना तो पड़ेगा ..नहीं तो आप स्वयं सोंचिये ...कहाँ ले जा रहें है ...हम अपने देश को ....देश की जनता के भविष्य को .....नागेन्द्र शुक्ल
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525822444107558&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

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