Friday, January 11, 2013

"क्या सच में कुछ नहीं हो सकता"

"क्या सच में कुछ नहीं हो सकता"
कुछ दिन पहले, दफ्तर से निकला तो दिमाग में जैसे कोई युद्ध चल रहा हो,बहुत बार bike को सँभालते हुए घर पंहुचा और चाबी उसके बीच भूल गया जो के घर के बाहर खड़ी थी। बस एक ही सोच मन को बार बार खा रही थी के
"क्या सच में कुछ नहीं हो सकता "
मैं जब भी कोई अछा काम करने की कोशिश करता हूँ (जो के मेरी सोच के मुताबिक होता है ), तो मेरे अपने साथियों में से कोई न कोई मुझे जरुर समझा देता है के "कुछ नहीं हो सकता"!

1. अन्ना जी के आन्दोलन के साथ ही मैंने अपना आन्दोलन शुरू किया,मैंने दोस्तों से चर्चा शुरू की के इस आन्दोलन में अपने देश को जगाने की ताकत दिखती है,तो मेरे मित्रों ने मुझे बताया के "इस देश का कुछ नहीं हो सकता" !

2. फिर अरविन्द केजरीवाल जी के साथ जंतर-मंतर पहुँच कर आम आदमी पार्टी (AAP) को संघठित किया, जब लोगों के साथ बात करता हूँ बहुत अछा मौका है भारत बदल सकता है,तो वोह कहते हैं के "कुछ नहीं हो सकता" !

3. आज मेरे बहुत अज़ीज़ दोस्त से जब मैंने कहा के अपनी फेसबुक आई डी की फोटो (Black Spot) ब्लैक स्पॉट कर दो, जो के लोगों को पता चले कि हम बलात्कार के खिलाफ लढ़ रहे हैं, तो वोही ज्वाब "फोटो काली करने से कुछ नहीं हो सकता"!
और भी बहुत मौकों पर ये जवाब मिलता है।

...क्या सच में कुछ नहीं हो सकता???
नहीं मेरे प्यारे मित्रो शायद आप जानते नहीं समुद्र में पानी की एक बूँद का कतरा ही हिलता है जो बाद में ज्वार भाटे का रूप लेता है। अपने दोस्तों से कहना चाहता कि आप जहां कहीं भी जिस हालत में भी हों बस पानी की उस बूँद का कतरा ही बनिए, जो अगर हिलेगा तो बहुत कुछ हो सकता है।
हर रोज़ चर्चा करता हूँ,बहुत बार मझे सफलता भी मिली है, मैंने काफी लोगों को अपने साथ जोड़ा है।
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"मैं जाग रहा हूँ, आपको जगाने की कोशिश करूँगा
हर वक़्त आपके इस विचार को हराने की कोशिश करूँगा
मैं सुल्ग रहा हूँ, इस दुशासन को जलाने की कोशिश करूँगा
हर वक़्त उस कतरे को हिलाने की कोशिश करूँगा"


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