Saturday, July 6, 2013

आप कब से शुरू करेंगे ....अरविन्द बनना ....और अरविन्द बनाना ....

वैसे तो ...आन्दोलन के दौरान दिल्ली पुलिस का जो रूप देखा है वो भयावह है ....चालबाज़ है ...धूर्त है ..और सरकार का कठपुतली है ...और राजनीतिक चमचागिरी में व्यस्त है ....पर ऐसा नहीं की ...दिल्ली पुलिस में सारे पुलिस वाले अपने कर्म को भुला बैठे है ...कुछ है ..जो अपने काम को पूरी तन्मयता से करते है .....

वास्तव में ...आखिर कार पुलिस वाले भी तो एक आम आदमी ही होते है ...वर्दी उतरने के बाद ....ये भी झेलते है ...महंगाई को ...ये भी झेलते है अवय्स्था को ......जब भी कोई व्यक्ति ...पुलिस को ज्वाइन करता है तब तो पूरा आम आदमी ही होता है ....

पर अगर भ्रष्टाचार के कारण ....घूस वगैरह दे कर नौकरी मिली है तो ....यही भ्रष्ट व्यवस्था ...उस अच्छे और कर्मठ व्यक्ति को ...बुरा और भ्रष्ट बना देती है ....फिर ऊचे अधिकारी की राजनीतिक चमचा गिरी ...इनके भ्रष्टाचार के रंग को थोडा और पक्का कर देते है ....

तो जो बात निकल कर आती है वो ये की .....ये भ्रष्टाचार ..व्यवस्था ...और राजनीतिक गन्दगी की उपज है ...और इसिलिय जरुरी हो जाता है ..इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदल देना .....
ताकि हर कोई ...निर्वाध रूप से अपने कर्म का निर्वहन कर सके .....
और इसके लिए ..राजनीतिक गन्दगी को दूर करना जरुरी है ...और उसके लिए अच्छे लोगो का राजनीती में आना जरुरी है ....
और अब आपके ....सिर्फ इतना कह देने से की राजनीति गन्दी है ......ये और गन्दी ...होती जायेगी ...और वयस्था और बिगडती जायेगी ....इसीलिए ..अब यही समय है ...जब आपको ...राजनीती में उतरना चाहिए ...और आपके राजनीतिक क्रांति का हिस्सा बनाना चाहिए ......

अब अंत में बता दूं की पुलिस के मन में ये दया भाव इस वजह से आया की ....
घटना कुछ पुरानी है, मगर उसका उल्लेख करना जरूरी है। खासकर इसलिए, क्योंकि इन दिनों हम अक्सर पुलिस-ज्यादतियों की खबरें ही अखबारों में देखते हैं, जबकि उसका कल्याणकारी रूप भी समान रूप से उल्लेख के योग्य है। कुछ महीने हुए। स्वास्थ्य विहार (दिल्ली) के 82 वर्षीय बुजुर्ग धमीजा जी रोज सुबह पास के पार्क में सैर के लिए जाते थे। एक दिन वह दोपहर तक घर नहीं लौटे, तो हमने 100 नंबर पर फोन लगाया। तुरंत पुलिस वैन आ गई और पूरी रिपोर्ट लिखी गई। हमसे कहा गया कि आप प्रीत विहार थाने में भी रिपोर्ट लिखवाएं। हमने वैसा ही किया। पड़ोस के एक बुजुर्ग के यों गुम हो जाने से हम बड़ी बेचैनी में थे। रात के करीब 2.30 बजे पुलिस उन्हें बीमार हालत में घर छोड़ गई और बताया कि वह शास्त्री नगर में खोये-खाये से बैठे थे। घर के लोगों ने बताया कि उन्हें भूलने की बीमारी थी। बहरहाल, दिल्ली पुलिस के परिश्रम से एक भटके बुजुर्ग को अपना परिवार मिल गया। हम ऐसी घटनाओं को खबरों में तवज्जो नहीं देते, क्योंकि इनसे सनसनी नहीं फैलती। लेकिन हमें पुलिस के अच्छे कार्यों को भी छापना चाहिए।

........तो आप कब से शुरू करेंगे ..इस बदलाव का हिस्सा बनना ......अरविन्द बनना ....और अरविन्द बनाना .....नागेन्द्र शुक्ल
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