Wednesday, July 24, 2013

भ्रष्टाचार चर्चा


वर्तमान मे भ्रष्टाचार चर्चा का अहम मुद्दा बना हुआ है। ऐसा नहीं है की, यह कल नहीं था। था परंतु कहा जाता है की अपेक्षाकृत कम था। अन्ना हज़ारे, अरविंद केजरीवाल से लेकर देश का हर व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ है, जब हर व्यक्ति इसके खिलाफ है तो फिर प्रश्न यह उठता है की फिर भ्रष्टाचार कोन कर रहा है। हम सदैव से ही नेताओ, अधिकारी, पुलिस, शिक्षा इत्यादि हर क्षेत्र को भ्रष्ट कहते फिरते है, और यह बात सत प्रतिशत सत्य भी है। परन्तु यह भी प्रश्न बड़ा आश्चर्य भरा है की ये सब आते कहा से है, क्या इनकी कोई विशेष कौम होती है, क्या ये हमसे अलग पैदा होते है। ये सब हमारा ही तो हिस्सा है, इस पर एक परिपक्व और गंभीर सोच की आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियो मे नेता से लेकर एक ठेले से सब्जी बेचने वाला तक जिसे जैसे मौका मिल रहा है वह इस देश को बेचने मे तुला है। अंग्रेजी का एक ही शब्द "हिपाक्रसी" आज हमारे पुरे समाज को परिभाषित कर देता है। आपका नेताओ को गाली देना जायज है, परंतु नेता ही क्यो। क्या वो आपका दूध वाला ईमानदार है जो आपके बच्चे के दूध मे यूरिया, डिटेर्जेंट पाउडर और ना जाने क्या क्या मिला कर आपको दे रहा है, दूध के नाम पर जहर पीला रहा है। ताजा सर्वेक्षण यह कहता है की देश के ज़्यादातर हिस्सो मे मिलने वाला दूध मिलावटी है। वो किसान ईमानदार है जो सब्जियों मे जहररीले रासायनिक इंजेक्सन लगाकर आपको दे रहा है। सब्जी वाला ईमानदार है जो सब्जियों को हरा और ताजा दिखाने के लिए जहरीले रासायनिक कलर लगा रहा है। नेताओ के साथ ये भी जहर खिला रहे है आपकों और आपके बच्चो को। वो शिक्षक ईमानदार है जिसके पास ट्यूनसन जाए बिना आपके बच्चो को नंबर नहीं मिलते है। वो दुकानदार और व्यापारी ईमानदार है जो आपके खाने के अनाज, दवाई, और मिठाई मे जहर डाल कर आपको दे रहे है। हमारे यहा के चिकित्सक ईमानदार है, जो दिन मे 100-100 मरीज देखते है, जो टेस्ट और दवा दोनों साथ लिख देते है। हद तो तब हो गई जब दो वर्ष पहले समाचार मे सुना की लखनऊ मे इंसान के खून मे भी मिलावट करके लोगो ने लोगो की जान के साथ खिलवाड़ किया। इंजीनियर, डॉक्टर, सरपंच, पत्रकार किस किस का नाम ले, किसी ने भी नहीं छोड़ा। सरकारी अधिकारी कहते है नेताओ का दबाव रहता है, कितने प्रतिशत केस मे दबाव रहता है 50 तो क्या बचे हुए 50 के साथ बहोत अच्छा काम करते है। दो-दो साल की बच्चियो के साथ बलात्कार, शर्म आती है, इस दोगले समाज के लिए। यह बढ़ी विडम्बना है की हम उस समाज का हिस्सा है जहा गंदगी फैलाने वाले को बड़ा समझा जाता है और जो उस गंदगी को साफ करता है उसे छोटा। आज हममे से ५०% लोगो के माता पिता सरकारी नौकरियो में है, तो क्या सभी ईमानदार है, हम देश को बदलने की बात करते है क्यो नहीं हम सिर्फ उनको समझा सकते, हम खुद और अपने परिवार को क्यों नहीं बदल रहे है, क्यों हम दुसरो को बदलने में तुले है, जो हमारे हाथ में नहीं है।.............
Mohd Israr Khan

1 comment:

  1. Please take permission of author before putting your name on someone article..you are talking about corruption and doing same

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