Monday, July 15, 2013

पानी शायद इतना बड़ा मुद्दा नहीं ....जितना की बताया जा रहा है .

अगर आपको लगता है की पानी शायद इतना बड़ा मुद्दा नहीं ....जितना की बताया जा रहा है ...तो आप गलत है ....
क्योंकि वास्तव में मुझे पानी की किल्लत के बारे में ...सिर्फ TV और समाचार के माध्यम से ही ज्यादा पता चला ...पर अभी रविवार के दिन मुझे किसी काम से दिल्ली के चांदनी चौक के पास एक मोहल्ले में किसी से मिलने जाना था ....किसी तरह पूँछते - जाँचते उस गली तक पहुँचा,....जहाँ उनका घर था ..

पर ये क्या घर की कुण्डी खटखटाने से पहले ही पीछे से काफी जोर - जोर की आवाज़े आयी .....और बिना कुण्डी खटखटाये ही दरवाजा खुला ...
पर इन जनाब को जैसे ....दीन - दुनिया से कोई मतलब ही नहीं ....कौन और क्यों खड़ा है दरवाजे देखने का भी टाइम नहीं .....
बस बाल्टी - डब्बे लिए बेतहाशा भागे ....
जिस गली में कुछ देर पहले तक बच्चे आराम से इधर - उधर सीढ़ियों में बैठे थे .....उकता रहे थे ..सबके अन्दर बिजली सी फुर्ती ....और सबके हाँथ में डिब्बे - बाल्टी ....और एक निश्चित दिशा में दौड़ .....

इन सब के पीछे - पीछे जाने के सिवाय ..मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था ...चल दिया ....बाहर थोड़ी बड़ी गली में ...एक हाँथ वाले ठेले के ऊपर 500 लीटर की टंकी रख्खी है ......और बच्चे जवान सब बस लाइन में ....हर कोई बस चिल्ला रहा है ...एक दूसरे से लड़ रहा है ....किसी को किसी और चीज़ का ध्यान ही नहीं ....

सबसे बड़े नेमत ....पानी ....वो भी 500 लीटर ....पूरे मोहल्ले के लिए ...आया जो था ...
करीब आधे घंटे की गहमागहमी ...पानी के ख़त्म होने के साथ ...शांत हो गयी .....

घरो के दरवाजे बंद .....बच्चे इधर उधर रास्तो पर तैनात .....बाल्टी डब्बे के साथ ....की अभी अगर कोई और टंकी आये ...तो शायद मेरा नंबर लग जाए ....

एक बात बताये ....वो गली,... वो मोहल्ला ....उसकी सड़के ..खुली नालियाँ ...इस कदर गन्दी थी ....की शायद आज से पहले कभी इतने लम्बे समय तक ...इंतनी गंध ...मेरी  नाक ने महसूस नहीं की थी .....खड़ा होना दूभर ...पर जरुरी है ...इन्हें देखना ...सहना ...और समझना ...तभी तो समझ आएगा ....की जनता को दिक्कत क्या है ...और समाधान कैसे होगा ...

मुझे पक्का - पक्का पता है ....की संसद और विधान सभा में बैठे हमारे कर्ता - धर्ता ..अगर उस जमीन पर ....एक दिन गुजार दें तो ....उन्हें कई हफ्ते शायद अस्पताल में गुजारने पड़े ....

ये आम आदमी है ...जो झेल सकता है ये ....ये आम आदमी ही है ...जो झेलता है ये .....और अब ये आम आदमी ही है ...जो बदल सकता है ये .....

खैर कुछ देर खड़ा सोंच ही रहा था ...की अचानक सर कूड़े कबाड़े से भरा एक ...पौलिथिन गिरा .....पर ऊपर देखना और ये समझ पाना नामुमकिन की किस ...छज्जे या खिड़की से आया होगा ....

ये देख कुछ बच्चे करीब आये ....बोले ...अरे बीच में नहीं ...साइड में खड़े हो ...तो हो गया खड़ा ...और उन बच्चो से पूंछा ....की भाई इतनी गन्दगी है ....कोई सफाई करने या करवाने की कोशिश क्यों नहीं होती ....बच्चो ने बताया ....पूरा दिन बाल्टी डिब्ब्बो के साथ पानी की बाँट जोहता गुजरता है ....कुछ और नहीं .....
गन्दगी .....दुनिया दारी छोड़ो ..पहले पानी चाहिए ....

मैंने पूंछा ....ये जो पानी आया था किसने भेजा था ...तो पता चला की ...जो भी पानी की टंकी आती है ...उस पर भेजने वाले का नाम और पार्टी का चिन्ह होता है ....देख लेना ....
और अभी जिसने भेजा था ...वो वही है .....जो इस इलाके का पिछले दो बार से पार्षद है .....
मैंने पूंछा, यहाँ पानी की लाइन नहीं है क्या ?.....उनका जवाब था ....पड़ी है ...पर सब टूटी है ....कभी पानी नहीं आता ....

पिछले दस सालो में ....जिस विधायक ....पार्षद ने ...अपने अपने पानी की टंकी मोहल्ले में भेजी ....उन्होंने इन पाइप लाइन को सही क्यों नहीं करवाया ?.....पानी को अपनी मोहर लगी पानी की टंकी में क्यों भिजवाया ?.....

सच्चाई ये है ...की अगर पाइप में पानी पानी आने लगा तो .....लोग शिक्षा सड़क और स्वस्थ और बिजली की बात करेंगे .....
और अभी ...अभी तो नेता जी को ...सिर्फ और सिर्फ 500 लीटर की पानी की टंकी ...दिन में दो बार भेज कर ...वोट मिल जाता है ...और ...इस पानी के बदले ...वो बन जाते है ..रहनुमा ....

इस मोहल्ले से वोट लेने का रास्ता...सिर्फ पानी की टंकी है ....इनकी जरुरत सिर्फ पानी की टंकी है ....बस इसी में उलझे है सालो से ....और चल रहा है देश ....

ये कोई unautorized कॉलोनी नहीं थी ....ये कहीं दूर रेगिस्तान भी नहीं था ..ये कोई सूखा ग्रस्त इलाका भी नहीं था ....
देश के दिल .....दिल्ली ....और दिल्ली का दिल ....चाँदनी चौक का एक मोहल्ला था .....

ऐसा नहीं है की दिल्ली में ....पानी की कमी है ....बिलकुल नहीं है ....दिल्ली के पास पर्याप्त प्रति व्यक्ति पानी है .....
पर पानी की लाइन ....उसको कोई क्यों सुधावाये ?.....जब वोट पानी की टंकी से मिल जाते है .....और जनता से टैक्स ....
टैक्स तो हर चीज़ पर वसूल लेती है सरकार ...VAT जो है .....
आज आप अपनी जेब का 1 रुपया भी ऐसे नहीं खर्च कर सकते ....जिसमे आप सरकार को टैक्स ना देते हो ....हाँ वो व्यापारी बैमानी करे तो करे ...पर आप तो टैक्स देते ही है .....हर चीज पर ....एक माचिस की डिब्बी पर भी ...और वोट ....वो तो पानी की टंकी है ना ...उसके लिए ....

अब गर्मी बहुत थी ...मुझे प्यास लगी ....तो सोंचा इन घरो से ...कुछ और तो माँगा जा सकता है ....पर पानी नहीं ....क्या पता जिस घर से एक गिलास पानी मांगे ....उस घर में एक गिलास पानी हो भी की नहीं ........

अब अंत में ये बता दें ....की क्षमा करना पर ...आम आदमी पार्टी ....मोहर लगी ....पानी की टंकी तो नहीं भेज पाएगी ...पर हाँ अगर आपने समझा और सहयोग किया ...तो पाइप से पानी आने लगेगा ....
फिर बच्चे ..स्कूल भी जा सके ...और जनता सफाई की बात भी कर सके ......

यही तो न नेताओ की चाल है ....की पहली और सबसे बड़ी परेशानी को ही ...कभी ख़त्म ना करो .....जनता उसी में अटकी रहेगी ...कभी नहीं पूंछेगी ....की स्कूल क्यों नहीं ....सफाई क्यों नहीं ....अस्पताल ..बिजली सड़क क्यों नहीं .....

स्वराज ......स्वराज ही वह व्यव्यस्था है ....जिससे जनता ....अपनी समस्याओं का समाधान खुद कर सकती है ......किसी की पानी की टंकी के इंतज़ार और किसी नेता पार्टी के अहसान के बिना ......नागेन्द्र शुक्ल
#DelhiDeservesBest
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