Tuesday, August 6, 2013

एक Selected Executives (IAS) दूसरे Elected Executives (नेता मंत्री) ....

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश की हालत एक है ...सभी जगह भ्रष्ट लोग (अफसर और नेता) ...ईमानदार पर हावी है ...
इन भ्रष्ट लोगो की बात चीत और काम करने के तरीके से ...तनिक भी अहसास नहीं होता की ....हमारे देश में लोकतंत्र है ...कानून का राज है ....
हमारे देश में दो तरह के Executive है
एक Selected Executives (IAS) दूसरे Elected Executives (नेता मंत्री) ....
Selected Executives (IAS) की बाग़ डोर ...Elected Executives (नेता मंत्री) के हाँथ होती है ....और Elected Executives की बाग़ डोर ....जनता के हाँथ होती है ....
तो इस हिसाब से .....जनता ही है जो सर्वोपरि है ....और इसीलिए इसे लोकतंत्र कहा जा सकता है ....

हमारे देश में Selected Executives के लिए Selection process कड़ा है ....पर Elected Executives ने ..election process को इतना कमजोर कर दिया है ...और इस election process को कमजोर करने के लिए किया क्या है ?....इन्होने देश को ...देश की जनता को ...जाति धर्म और भाषा के नाम पर बाँट दिया है ..ताकि लोकतंत्र की जो सर्वोपरि ताकत है ....जनता ...वो आपस में लडती रहे ...और ये Elected Executive मिल झूल कर देश पर राज करते रहे ....देश की संम्पति को लूटते रहे ...और ...Selected Executive का अपने फायदे के लिए दोहन /शोषण करते रहे ...

ये Selected Executive परमानेंट है ....जबकि Elected Executive temporary ....पर फिर भी हकीकत ये है ....की हमारे देश में जितने पद Selected Executive के नहीं है ...उससे कहीं ज्यादा पद Elected Executive के है ...

Elected Executive है तो temporary पर ...होते ये परमानेंट से ही है क्यों ?...दो कारण है
1. ये Elected Executive के पद ज्यादा है ..और एक व्यक्ति कई कई पदों पर आसीन है ...एक दो छूट भी जाए तो क्या ...कुछ नहीं
2. हमारे देश के संविधान में कोई प्राविधान ही नहीं जिसके द्वारा इन Elected Executive को उनका कार्यकाल ख़त्म होने से पहले हटाया जा सके ...
यही कारण है की ...ये निरंकुश हो जाते है ....और यधि कोई Selected Executive इनके स्वार्थ पूर्ती के अलावा अगर ....जनहित के लिए काम करता है तो ...ये उसे निलंबित या ट्रान्सफर कर देते है ....

और जनता या Selected Executive के पास ऐसा कोई अधिकार ही नहीं जिससे इन Elected Executive पर कोई दबाव बनाया जा सके .....इसीलिए ...इसीलिए ...हमारे देश की व्यवस्था सड चुकी है ....और कुछ लोगो के हाँथ का खिलौना बन चुकी है ....

और यही वो कारण है ....जिसकी वजह से ...देश की जनता के पास ...Right to Reject और Right to Recall होना ही चाहिए,....
क्या कहते हो आप ????......
जब तक ऐसा कोई अमूल चूर परिवर्तन नहीं होगा देश की व्यवस्था में इनकी तानाशाही को नहीं रोक जा सकता .....इसीलिए अन्ना और अरविन्द जी के नेतृत्व में देश की जनता ...आन्दोलन रत है ...की व्यवस्था में परिवर्तन हो ...
पर आज की व्यवस्था में ....कोई परिवर्तन सिर्फ और सिर्फ Elected Executive ही कर या करवा सकते है .....

और इनको ये पता है की .....ये सारे चोर चोर मौसेरे भाई ...मिलकर कभी कोई ऐसा कानून बन्ने ही नहीं देंगे ...जिससे इनके ऊपर किसी तरह का दबाव बनाया जा सके ...और कानून सिर्फ यही बनायेंगे ....

इसका मतलब साफ़ है ...और ये बता भी चुके है ...की अगर कोई परिवर्तन चाहिए तो संसद में आना पड़ेगा ...व्यवस्था को चैलेंज व्यवस्था में रह कर करना होगा ....जनता की ये नहीं सुनेगे ....और इसी वजह से ...अरविन्द ने अपनी क्रांति को ...व्यावहारिक रूप से मोडते हुए ....संसद तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया ....और आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी का प्रादुर्भाव किया

अब ये जनता के हाँथ है ...की ऐसे लोगो को संसद विधान सभा भेजे जो ....ऐसे परिवर्तन ला सके जिससे Elected और Selected  Executive दोनों पर सीधे जनता का दबाव हो .....और इसी व्यवस्था को नाम दिया जा सकता है ...."स्वराज".....
यही होगा सच्चा लोकतंत्र .....
और इसके लिए देश की जनता को जुड़ना होगा .....जाति धर्म भाषा से ऊपर उठाना होगा ....
रास्ते दो ही है ...
या तो निजी स्वार्थ से ऊपर उठ ...व्यवस्था परिवर्तन के लिए लड़ो ...
या फिर ...आज़ाद देश में .....भ्रष्ट नेता / अफसर का गुलाम बन कर रहो ....

चुनना आपको है ....क्योंकि ..करना भी आप को ही है ...किसी और को नहीं .....

पर चुनने से पहले ये देख लो ...और सोंच लो ....
की जो अशोक खेमका के साथ हुआ .....जो दुर्गा शक्ति के साथ हुआ ....वही अंत नहीं है इस कड़ी का ....
इन घटनाओ के बाद भी जारी है ....
जैसलमेर में क्या हुआ 2 दिन पहले ..इमानदार अफसर को ...एक हिस्ट्री शीटर के लिए हटा दिया ...
कल दिल्ली में क्या हुआ ...एक अफसर को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उसने खाने में .....कबाब नहीं ....सैंडविच मंगवाई ....और इस महिला अधिकारी का ...6 साल में 11 तबादला है ....
अगर ऐसे ही चलता रहा तो ....कोई ताज्जुब मत करना ...की ये अशोक खेमका के 21 साल में 44 transfer को बौना बना दे ...वैसे ये है भी कोई बड़ा नहीं ....
एक RTI से पता चला है की ....सिर्फ और सिर्फ उत्तर प्रदेश में 43 ऐसे अधिकारी है जिनके 40 से ज्यादा तबादले हुए ....

ऐसे तबादले और निलंबन ही असहनीय है ...
पर सीमा पार तब होगी जब पता चलेगा की कितने .....सतेन्द्र दुबे ....शहीद हुए ?.....

क्यों लजाते हो देश को ....जनता को ...क्यों नहीं जुड़ जाते ....क्यों लड़ते नहीं ....बदलने के लिए ..
इस व्यवस्था और अजीब तरह की लोकतान्त्रिक तानाशाही को ........?.....क्यों ?...
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पर बदल सिर्फ तब पाओगे ...जब सही और गलत सोंचोगे ...मंदिर मस्जिद या जाति भाषा नहीं ......और ये नेता आपको बरगलाते रहेंगे ....क्योंकि इसी में इनकी जीत है ....
इनको पता है ..की आपकी,.. हमारी ...जनता की तैयारी पूरी हो चुकी है .....
बस जनता का जुड़ना बांकी है ......
इधर जनता समझी नहीं ...की उधर "स्वराज - सच्चा लोकतंत्र" आया ....राईट तो रिजेक्ट /रिकॉल आया ...जनलोकपाल आया ...

भ्रष्ट नेताओं ने तो सारी ताकत लगा रख्खी है ....की ऐसा ना हो ....पर जनता अभी जागी नहीं ....जब जाग जायेगी ..तो क्या ...चाहे selected हो ...या elected हो ....सब की चाभी ...जनता के पास ....यही तो होगा लोकतंत्र ..है की नहीं ....नागेन्द्र शुक्ल

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