Monday, August 26, 2013

GK Khanna Jee Post Set 2

" क्यों दूँ अपना वोट 'आम आदमी पार्टी' को? "

कई लोग पूछते हैं कि सिर्फ आठ महीने पहले बनी 'आम आदमी पार्टी' सत्ता में आ कर क्या नया कर लेगी?

भाई, 'आम आदमी पार्टी' ने बिना सत्ता में रहे बहुत काम किये हैं जैसे:

1) "आप" को मिले दान का ब्यौरा वेबसाइट पर पब्लिक किया हुआ है. दूसरी पार्टीयों ने ऐसा पहले कभी नहीं किया, क्या अब वो करेंगी?

2) "आप" ने अपने प्रत्याशी चुनने की प्रक्रिया को पब्लिक किया और पूरी पारदर्शिता के साथ उसको निभाया. क्या दूसरी पार्टीयां ऐसा करेंगी?

3) "आप" ने किसी भी क्रिमिनल या एक ही परिवार के दो लोगों को टिकेट नहीं दी. क्या दूसरी पार्टीयां ऐसा करेंगी?

4) "आप" RTI (राईट टू इनफार्मेशन) के दायरे में आने का स्वागत करती है. दूसरी पार्टीयां एकजुट हो विरोध कर रही हैं. आखिर क्या छुपाना चाहती हैं?

5) "आप" ही इकलोती ऐसी पार्टी है जिसने कई नामी हस्तियों की हक़ीकत सबूतों के साथ देश के सामने रखी. दूसरी पार्टीयां बिलकुल

6) "आप" ने पूरे देश की जनता को नापसन्दी, वापिस बुलाने और जनलोकपाल जैसे जनता के बुनियादी कानूनों की ज़रुरत समझाई और जनता को जगा कर अपने साथ जोड़ा. दूसरी पार्टीयां पैंसठ साल से इस पर गहन चुप्पी साधे हुए है. क्यों? क्या वो नहीं चाहती कि एक जवाबदेह, भ्रष्टाचारमुक्त ईमानदार सिस्टम बने जिसमे जनता की पूरी भागीदारी हो?

7) "आप" ने दिल्ली की जनता को बिजली और पानी में चल रही धांधली को ले कर जागरूक किया और इसके लिए अनशन भी किया. दूसरी पार्टीयां पैंसठ साल से घडियाली आंसू रोती हैं. क्यों?

और सबसे बड़ी बात, "आप" ने देश में राजनीती के मायने बदल दिए हैं, अब आम आदमी जाग गया है, "आप" ने उसकी सोई हुई "आशा" को जगा दिया है. आम आदमी भ्रष्टाचार से परेशान और बहुत ज्यादा दुखी है, उसका जीना दूभर हो गया है. अब वो साफ़ सुथरी, जवाबदेह, भ्रष्टाचारमुक्त इमानदार सिस्टम चाहता है जो मानव, नैतिक और चरित्र मूल्यों का विकास करे, भेदभाव ना करे और चहुंमुखी विकास के लए प्रतिबद्ध हो.

जनता 'असली मालिक है' और जन प्रतिनिधि उसके 'सेवक', इसलिए अब आम आदमी को देश, अपने, युवा और बच्चों के उज्जवल भविष्य बनाने के लिए राजनीती में भागीदारी मिलनी चाहिए जो "आप" सुनिश्चित करेगी. दूसरी पार्टीयां पैंसठ साल से आम आदमी को सिर्फ चुनाव जीतने का मोहरा समझती है, उसे धर्म-जाती में बाँट, पर्लोभन देती हैं और फिर पांच साल उसे भूल कर मनमानी करती रहीं. क्यों?

इसके अलावा भी "आप" ने केवल कुछ महीनों में बहुत कुछ ऐसा किया है जो सौ साल पुरानी कांग्रेस और पच्चास साल पुरानी भाजपा आज तक ना कर सकी.

देशसेवा में समर्पित "आप" सत्ता लोलुप नहीं है बल्कि सत्ता "आम आदमी" के हाथ में देकर उसे वापिस "असली मालिक" बनाना चाहती है.

"आम आदमी" सत्ता में आते ही सब बराबर भारतीयों में नैतिकता, इंसानियत और भाईचारे का वातावरण बनेगा. 'नापसन्दी, (राईट टू रिजेक्ट), 'वापिस बुलाने' (राईट टू रिकॉल), जन लोकपाल जैसे 65 साल से लंबित पड़े जनता के बुनियादी कानून तुरंत बनेगे. अनिवार्य अच्छी शिक्षा, सुरक्षा, शीघ्र न्याय, सबको काम, अंतिम आम आदमी तक को सुखी करने की अच्छी योजनायें बनेगी. अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त होने से, सब वस्तुए बहुत सस्ती हो जायेंगी. सब एक दूसरे के सुख-दुःख के साथी होंगे और देश दिन दोगुनी रात चोगुनी रफ़्तार से प्रगति करेगा.

क्या दूसरी कोई पार्टी ने ऐसा कुछ किया या आगे ऐसा करने का विश्वास दिलाती है?

जनता जाग गयी है, इसलिए सोचे और समझे, आखिर अपने भविष्य का फैसला उसे ही करना है.

जय हिन्द !
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"इंसानियत धर्म" में आस्था रखने वाली 'आम आदमी पार्टी' के उद्देश्य :

देश की प्रभुसत्ता, सुरक्षा, प्रादेशिक अखंडता सर्वोपरि के साथ,
1 . सब भारतीय बराबर। सब इंसान बराबर। नैतिकता, भाईचारे और देशप्रेम की स्थापना। वोट-बैंक की राजनीती समाप्त।
2 . साफ़ सुथरे, सच्चे, ईमानदार, कुशल और जवाबदेह सिस्टम की स्थापना।
3 . सत्ता का विकेंद्रीकर्ण, आम आदमी की सत्ता में पूरी भागीदारी, आम आदमी का अपना "स्वराज"।
4 . नापन्दी, वापिस बुलाने और जन लोकपाल कानून पास। चुनाव, पुलिस और न्याय प्रक्रिया में सुधार।
5 . सबको अनिवार्य अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, शीघ्र न्याय और रोज़गार।
6 . भ्रष्टाचार का अंत होने से सभी वस्तुएं और सेवाएँ बहुत सस्ती (आधी से भी कम) होंगी।
7 . अंतिम आम आदमी वर्गों, महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, अपंगो की विशेष सुरक्षा और सहायता।
8 . एक ऐसा भाईचारे के वातावरण बनाना जिसमे सब एक दूसरे की दिल खोल कर मदद करेंगे।
9 . अंतिम आम आदमी तक सब सुख-संपन्न और देश का चहुंमुखी विकास होगा।

आओ, देश और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए निष्काम निस्वार्थ देशसेवा के लिए "आप" से जुड़ जाएँ।

"आप" से जुड़ने पर मिलती है "देशभक्ति की संतुष्टि" और "मन की शान्ति"।

जय हिन्द !
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एक बूढ़ा कारपटर अपने काम के लए काफ जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक स थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा िक बाक क िज़दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले िदन सुबह-सुबह अपने मालक के पास पहंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मने बरस आपक सेवा क है पर अब म बाक का समय आराम से पूजा-पाठ म िबताना चाहता हँ , कृपया मुझे काम छोड़ने क अनुमित द . “

ठेकेदार कारपटर को बहत मानता था , इसलए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हआ पर वो कारपटर को िनराश नह करना चाहता था , उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी यि ह , आपक कमी यहाँ कोई नह पूरी कर पायेगा लेिकन म आपसे िनवेदन करता हँ िक जाने से पहले एक आखरी काम करते जाइये .”

“जी , या काम करना है ?” , कारपटर ने पूछा .

“म चाहता हँ िक आप जाते -जाते हमारे लए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजये .” , ठेकेदार घर बनाने के लए ज़री पैसे देते हए बोला .

कारपटर इस काम के लए तैयार हो गया . उसने अगले िदन से ही घर बनाना शु कर िदया , पर ये जान कर िक ये उसका आखरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नह करना होगा वो थोड़ा ढीला पड़ गया . पहले जहाँ वह बड़ी सावधानी से लकिड़याँ चुनता और काटता था अब बस काम चालाऊ तरीके से ये सब करने लगा . कुछ एक हत म घर तैयार हो गया और वो ठेकेदार के पास पहंचा , ” ठेकेदार साहब , मने घर तैयार कर लया है , अब तो म काम छोड़ कर जा सकता हँ ?”

ठेकेदार बोला ” हाँ , आप िबलकुल जा सकते ह लेिकन अब आपको अपने पुराने छोटे से घर म जाने क ज़रत नह है , यिक इस बार जो घर आपने बनाया है वो आपक बरस क मेहनत का इनाम है; जाइये अपने परवार के साथ उसमे खुशहाली से रिहये !”.!”.

कारपटर यह सुनकर तध रह गया , वह मन ही मन सोचने लगा , “कहाँ मने दूसर के लए एक से बढ़ कर एक घर बनाये और अपने घर को ही इतने घिटया तरीके से बना बैठा …क़ाश मने ये घर भी बाक घर क तरह ही बनाया होता .”

Friends, कब आपका कौन सा काम िकस तरह आपको affect कर सकता है ये बताना मुकल है. ये भी समझने क ज़रत है िक हमारा काम हमारी पहचान बना भी सकता है और िबगाड़ भी सकता है. इसलए हमारी कोिशश होनी चािहए िक हम हर एक काम अपनी best of abilities के साथ कर िफर चाहे वो हमारा आखरी काम ही य न हो

जय हिन्द !
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Saalo baad ek Sachcha Deshbhakt 'Arvind Kejriwal' aaya hai ..... Gazab ka "Deshbhakti ka Junoon" ..... iski har baat sachchi hai ..... aisa lagta hai hamaari "Antaratma" bol rahi hai ..... aao, is "Swarnim Avsar" ko naa gavayen ..... aao, iske "Junoon" mein apna "Junoon" milayen ..... aao, "AAP" ki Imaandari ki "Jharhoo" se Desh ke har kone se Bhrashtachar Mitaayen ..... aao, apna "Swaraj" laayen ..... aao, "Antim Aam Aadmi tak Sabko" Sukhi banayen ..... aao, "Imaandar Charitrvaan Bharat" banaayen .....

सालों बाद एक सच्चा देशभक्त "अरविन्द केजरीवाल" आया है ..... गज़ब का "देशभक्ति का जूनून" ..... इसकी हर बात 'सच्ची' है ..... ऐसा लगता है हमारी "अंतरात्मा" बोल रही है ..... आओ, इस "स्वर्णिम अवसर" को ना गंवाएं ..... आओ, इसके "जूनून" में अपना "जूनून" मिलाये ..... आओ, "आप" की ईमानदारी की "झाडू" से देश के हर कोने से भ्रष्टाचार मिटायें ..... आओ, अपना "स्वराज" लायें ..... आओ, "अंतिम आम आदमी" तक सबको सुखी बनायें ..... आओ, "इमानदार चरित्रवान भारत" बनाये ..... जय हिन्द !
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" क्या अपनी दुर्दशा के लिए जनता खुद जिम्मेवार है? "

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं? यहाँ न तो जल है,न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे!

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो। हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो। हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी? अरेभाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है ! उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।

दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये ! बोले, भाई किस बात का विवाद है? लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!

लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पञ्चलोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही
रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है !

फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है! यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली !

रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया,अब क्या करोगे? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे क्या? उल्लू ने कहा, नहीं मित्र,ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, आपकी पत्नी है और आपकी पत्नी रहेगी ! लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है! मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है। यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पञ्च रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!

क्या 65 साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण ये नहीं है? संविधान ने जनता को 'मालिक' का दर्ज़ा दिया है जिसे 'पञ्च' बन कर ऐसे सच्चे ईमानदार जन प्रतिनिधि चुनने थे जो बिना भेदभाव सब भारतीयों के लिए जनहित के कानून बनाते, साफ़ सुथरा ईमानदार सिस्टम बनाते ताकि देश तरक्की करता और अंतिम आम आदमी तक सब सुखी होंते।

परन्तु जनता ने बिना जांचे परखे ऐसे जन प्रतिनिधियों को चुना जिन्होंने उसे धरम-जाती में बांटा, पर्लोभन दिए, और फिर पांच साल अपने फायदे के लिए उसे लगातार धोखा देते रहे। इसलिए देश क़ी बदहाली और अपनी दुर्दशा के लिए जनता की लापरवाही भी जिम्मेवार हैं।

जागो भाइयो, अब तो जागो। आओ, सब मालिक, एक अच्छे पञ्च की तरह, इस बार ना बंटे और ना किसी पर्लोभन या लालच में फंसे। अब पूरी जांच परख कर, सिर्फ सच्चे, इमानदार, देशसेवा में समर्पित, अच्छे जन प्रतिनिधि चुने ताकि एक साफ़ सुथरा जवाबदेह सिस्टम बने जिससे भ्रष्टाचार का अंत हो, हर भारतीय बराबर, शिक्षित, स्वस्थ, सुरक्षित, बारोजगार और अंतिम आम आदमी तक सुखी हो।

जय हिन्द !
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" गुरु का सच्चा चेला "

अरविन्द केजरीवाल का जीवन खुली किताब है। एक होनहार विद्यार्थी, एक ईमानदार कमीशनर। जब 'आम आदमी' का दुःख नहीं सह पाया तो अच्छी भली नौकरी त्याग दी।

अन्नाजी से मिलकर देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी। संसद और प्रधानमंत्री वादा कर 'जन लोकपाल' देने से मुकर गए। अरविन्द ने देखा कि जिनसे वो मांग रहे हैं उनमे कई खुद भ्रष्ट हैं। ऐसे दल और नेता की नीयत ही ठीक नहीं। अरविन्द समझ गए कि बिना ईमानदार व्यवस्था के कोई सुधार मुमकिन नहीं।

गुरु अन्ना बोले राजनीती गन्दी है। इसलिए वो आन्दोलन की राह से ही जनता को जगाने में लग गए।

पर अरविन्द को तो लग्न लग गयी। ठान लिया कि वो गन्दी राजनीती को ही बदल देंगे। निस्वार्थी निष्काम देशभक्त सरदार पटेल और शास्त्रीजी जैसी साफ़ सुथरी ईमानदार राजनीती करेंगे। अरविन्द दृढ विश्वास से आगे बढ़े, लोग जुड़ते गए और कारवां बढता गया। "मैं हूँ आम आदमी" टोपी वाले हर जगह नज़र आने लगे। सिर्फ 6 महीने की 'आम आदमी पार्टी' ने दूसरे सालों पुराने दलों की रात की नींद उढ़ा दी।

पर देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो राजनितिक दलों के अंधभक्त हैं। वो देख ही नहीं पा रहे कि इतिहास रचा जा रहा है। यह पहली बार है कि एक कर्मठ जुनूनी देशभक्त बिलकुल साफ़ नीयत से वयवस्था में फैली गन्दगी साफ़ करने आगे आया है। जबकि कई लोग बैठे बैठे बड़ते अपराध, गिरती अर्थवयवस्था, महंगाई, आदि की सिर्फ आलोचना भर ही करते हैं। वह ना नींद से जागना चाहते हैं और ना आगे आ कर इस सच्चे देशभक्त का साथ देना चाहते हैं। उनकी अंधी निष्ठां देश की प्रगति में रोड़ा बनी हुई है।

सब कुछ आँखों के सामने हो रहा है, फिर भी वो कुछ देख नहीं पा रहे। सब देख रहे हैं कि सारे राजनितिक दल "सूचना के अधिकार" से अपने को बचाने के लिए एक हो गए हैं। क्योंकि ये सच्चाई और पारदर्शिता से बचना चाहते है। फिर भी अंधभक्त अपने दल प्रति निष्ठां की आड़ में इसे भी ठीक बता रहे हैं। उन्हें दल वक्ताओं की गलत दलीलें भी सही लगती हैं।

पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने हिम्मत कर संसद का अपराधीकरन रोकने की कोशिश की है। इसपर भी सब दलों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर इसे भी ठुकरा दिया है। इस तरह से यह सुनेहरा अवसर भी बेकार कर दिया गया है। इस पर भी अंधभक्त अपने अपने दलों के इस क्रियाकलाप के बचाव में ही बोल रहे हैं।

कब ये अंधभक्त अपनी निष्ठां सिर्फ अपने देश और जनतंत्र के प्रति दिखायेंगे? क्या यह लोग अपने अपने दलों से कभी प्रश्न नहीं पूछेंगे? या ये उस घडी का इंतज़ार करेंगे जब कोई दल किसी उलटे-सीधे तरीके से "अरविन्द" को अपने रास्ते से हटा देगा और फिर इन दलों का काम बेरोकटोक पहले की तरह चलता रहेगा।

केजरीवाल के पास दूरदर्शिता, नीति, ईमानदारी, सूझबूझ और हिम्मत है। वो अद्वित्य है। उधर अन्नाजी 'अरविन्द' बनाने में लगे हैं और इधर "आप" के गली गली में 'अरविन्द' खड़े हो रहे हैं। वो दिन दूर नहीं जब लाखों 'अरविन्द' देश के कोने कोने से इस राजनीती को ही बदल देंगे। आम आदमी का अपना 'स्वराज' होगा जहाँ सब बराबर, शिक्षित, स्वस्थ, कार्यरत और अंतिम 'आम आदमी' तक नैतिक और खुशहाल होगा।

गुरु के ऐसे सच्चे चेले 'अरविन्द' पर देश को नाज़ है।

जय हिन्द !
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" मानव धर्म" की पक्षधर "आम आदमी पार्टी" के उद्देश्य :

1 . देश की सुरक्षा सर्वोपरि।
2 . सब भारतीय बराबर। सब इंसान बराबर। मानव, नैतिक, भाईचारे और चरित्र निर्माण।
3 . वोट-बैंक और तुष्टिकरण की राजनीती समाप्त।
4 . साफ़ सुथरी, ईमानदार, कुशल, जवाबदेह 'स्वराज' वयवस्था की स्थापना। जन लोकपाल और सुधार लागू।
5 . भ्रष्टाचार के अंत से सभी वस्तुएं और सेवाएँ बहुत सस्ती (आधी से भी कम) होंगी।
6 . सबको अनिवार्य अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, शीघ्र न्याय और रोज़गार।
7 . अंतिम आम आदमी वर्गों, महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, अपंगो की विशेष सुरक्षा और सहायता।
8 . भाईचारे के वातावरण मे सब एक दूसरे के सुख-दुःख के साथी।
9 . अंतिम आम आदमी तक सब सुख-संपन्न और देश का चहुंमुखी विकास।

आओ, देश और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए निष्काम निस्वार्थ देशसेवा के लिए "आप" से जुड़ जाएँ।

"आप" से जुड़ने पर मिलती है "देशभक्ति की संतुष्टि" और "मन की शान्ति"।

जय हिन्द !

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" गुरु का सच्चा चेला "

अरविन्द केजरीवाल का जीवन खुली किताब है। एक होनहार विद्यार्थी, एक ईमानदार कमीशनर। जब भ्रष्टाचार से लुटे पिटे 'आम आदमी' का दुःख नहीं सह पाया तो अच्छी भली नौकरी त्याग दी।

अन्नाजी से मिलकर देश को भ्रष्टाचारमुक्त करने के लिए सरकार से 'जन लोकपाल' की मांग की। पर संसद और प्रधानमंत्री बार बार वादा कर टाल मटोल करते रहे। फिर नेता कहने लगे की पहले जीत कर आओ और फिर खुद क़ानून बनाओ। अरविन्द समझ गए कि बिना ईमानदार व्यवस्था के कोई सुधार मुमकिन नहीं। गुरु अन्ना बोले राजनीती गन्दी है। इसलिए वो आन्दोलन की राह से ही जनता को जगाने में लग गए।

पर अरविन्द को तो लग्न लग गयी। ठान लिया कि वो ईमानदार वयवस्था लायेंगे। देशभक्त सरदार पटेल और शास्त्रीजी जैसी ईमानदार राजनीती करेंगे। अरविन्द दृढ विश्वास से आगे बढ़े, लोग जुड़ते गए और कारवां बढता गया। सिर्फ 8 महीने की सच्ची पारदर्शी 'आम आदमी पार्टी' के "मैं हूँ आम आदमी" टोपी वाले जगह 2 नज़र आने लगे हैं।

देश में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो देख ही नहीं पा रहे कि इतिहास रचा जा रहा है। यह पहली बार है कि कोई सच्चा देशभक्त साफ़ नीयत से वयवस्था में फैली गन्दगी साफ़ करने आगे आया है। जबकि कई लोग घर बैठे बड़ते अपराध, घोटाले, महंगाई आदि को अपनी नियति मान सिर्फ आलोचना भर करते रहते हैं। वह ना तो नींद से जागना चाहते हैं और ना ही आगे बढ़ कर इस सच्चे देशभक्त का साथ देना चाहते हैं।

सब कुछ लोगों की आँखों के सामने हो रहा है, फिर भी वो कुछ देख ही नहीं पा रहे। सारे दल "सूचना के अधिकार" से अपने को बचाने के लिए एक हो गए हैं। वो सच्चाई और पारदर्शिता से बचना चाहते है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने संसद में अपराधी प्रवृति के सांसद रोकने की कोशिश की है। इस के विरोध में फिर सब दलों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया है। इस पर भी इनके भक्त इनके बचाव में ही बोल रहे हैं। उन्हें इनकी थोथी दलीलें भी सही लगती हैं। अब चुनाव पास आने से, इन दलों को गरीबों की भूख, धर्म-जाती आदि के मसले फिर याद आने लगे हैं।

क्या कभी ऐसे भक्त अपनी निष्ठां देश और जनतंत्र के प्रति दिखायेंगे? क्या कभी ये लोग इन दलों से ये प्रश्न पूछेंगे कि 66 साल में उन्होंने जनता को उसके बुनियादी 'नापसन्दी', 'वापिस बुलाने', 'जन लोकपाल' अधिकार और 'चुनाव, पुलिस, न्याय प्रणाली सुधार' आदि क्यों नहीं दिए? क्यों अशिक्षा, अपराध, महंगाई, गरीबी, जनसँख्या, बेरोज़गारी आदि इतनी ज्यादा बढ़ गयी है? या ये उस घडी का इंतज़ार करेंगे जब कोई किसी उलटे-सीधे तरीके से सच्चे देशभक्त "अरविन्द" को अपने रास्ते से हटा देगा और फिर जैसा था वैसे बेरोक टोक पहले की तरह सब चलता रहेगा।

केजरीवाल के पास दूरदर्शिता, नीति, ईमानदारी, सूझबूझ और हिम्मत है। वो अद्वित्य है। उधर अन्नाजी जनता को जगाने में लगे हैं और इधर गली गली में "आप" लोगों को जगा रही है।

आओ, सच्चे ईमानदार जन प्रतिनिधि चुने, वयवस्था बदलें, आम आदमी का अपना 'स्वराज' लायें जिससे सब बराबर, शिक्षित, स्वस्थ, कार्यरत और अंतिम 'आम आदमी' तक नैतिक और खुशहाल हो।

गुरु के ऐसे सच्चे चेले 'अरविन्द' पर देश को नाज़ है।

जय हिन्द !

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अरविन्द बनो, अरविन्द बनाओ, देश की हर गली में अरविन्द ही अरविन्द हों, तभी मिटेगा भ्रष्टाचार, तभी बनेगा भारत एक चरित्रवान और ईमानदार देश। "आम आदमी पार्टी लाओ, देश बचाओ।"

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भारतीय वोटरों की 7 कमजोरियां जिनका फायदा राजनातिक वर्ग उठाता है
1 हम एक दूसरे से घृणा करना पसंद करते हैं.
2भारत की जनता की याददाश्त देश के मामलों में बहुत कमजोर है. जिसका फायदा नेता उठाते हैं.
3समय के साथ हम कुछ भी बर्दाश्त करना सीख जाते हैं. जिसका फायदा नेता उठाते हैं.
4वोट देते समय हम जाती धरम के ऊपर कुछ नहीं देखते. जिसका फायदा नेता उठाते हैं.
5हम व्यक्ति पूजा और वंश वाद में विश्वास करते हैं . जिसका फायदा नेता उठाते हैं.
6हममें राजनैतिक समझ की कमी है , खास कर पढ़े लिखों में . जिसका फायदा नेता उठाते हैं.
7हम चुनाव के समय छोटे मोटे लालच में आ जाते हैं .जिसका फायदा नेता उठाते हैं.

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