Monday, August 26, 2013

" अहंकारी राजा "

" अहंकारी राजा "

पक्षियों की सभा हो रही थी। सभा में तय होना था की उनका राजा कौन बनेगा। इस मुद्दे पर कुछ पक्षी लड़ने लगे। यह देख कर एक सबसे बुजुर्ग पक्षी, जिसे सारे पक्षी संत कहते थे ने कहा, " राजा वोही बन सकता है जिसमे सच्चाई, ईमानदारी और सूझबूझ हो और जो अपने समाज को एकजुट रख सुरक्षा कर सके।

यह सुन सभी पक्षी एक दूसरे को देखने लगे। उसी समय एक ईमानदार पक्षी ने खड़े हो कर कहा, " मैं पक्षी समाज का भला करूंगा, इसलिए मैं राजा बनूगा"। उसकी बगल मैं बैठे एक दूसरे पक्षी ने कहा, "तुमसे ज्यादा ताकतवर और बुद्धिमान मैं हूँ। इसलिए राजा बनने का मौका मुझे मिलना चाहिए"। जब सर्वसम्मति से फैसला नहीं हुआ कि राजा कौन बने, तो संत ने कहा, "तुम दोनों चुनाव लड़ो और जो जीत जायेगा, वोही राजा बनेगा"। दोनों आपस में लड़ने लगे। दूसरे वाले पक्षी ने छल कपट से जीत हासिल कर ली। संत ने उसे राजा घोषित कर दिया। सभी विजयी पक्षी के इर्द गिर्द जमा हो कर उसका गुणगान करने लगे।

विजयी पक्षी चाहता था कि उसके राजा बनने की बात आसपास के सभी पक्षी भी जान लें। इसलिए इठलाता हुआ पेड़ की सबसे ऊपर वाली डाल पे बैठ गया और अकड कर ऊँची आवाज़ में बोल, " सब लोग देखो मुझे। मैं हूँ विजयी पक्षी। मैं राजा बन गया हूँ"।

तभी ऊपर से एक चील ने झपट्टा मारा और उसे पंजे में दबा कर उड़ गया। पक्षियों की सभा में हडकंप मच गया और सारे पक्षी आंसू बहाने लगे।

पक्षियों का संत बोल, "तुम रो क्यूँ रहे हो। तुम्हे तो खुश होना चाहिए"। एक पक्षी ने पूछा, "आखिर क्यूँ?" संत ने कहा, तुम लोगों ने देखा होगा कि राजा बनने पर उसमे कितना अहंकार आ गया था। वो अहंकार वश अपना गुणगान खुद कर रहा था। एक अहंकारी भ्रष्टाचारी कपटी राजा से हमें इतनी जल्दी छुटकारा मिल गया। यह तो हमारे समाज का सोभाग्य है। अहंकारी राजा कभी भी अपने समाज को सुरक्षा नहीं दे सकता। आओ, ईश्वर का धन्यवाद करें।

और फिर संत ने ईमानदार पक्षी को राजा बना दिया। सच्चाई और ईमानदार वयवस्था से सब पक्षी सुखपूर्वक रहने लगे।

जय हिन्द !

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