Friday, March 8, 2013

this is cow, that is Ganga......पर ये कैसे बतओंगे ...."गाय हमारी माता है ".

संघ लोक सेवा आयोग ने धीरे से अंग्रेजी को अनिवार्य ही नहीं बनाया, किसी भारतीय भाषा को पास करने की जरूरत भी खत्म कर दी। क्यों ?
पहले सरकारी स्कूल ख़तम किये, प्राइवेट और इंटरनेशनल स्कूल खुले .....किसने खोले ये स्कूल?.....किसकी वजह से हुई सरकारी स्कूल की ये दुर्गति ?......और अब ....कुछ ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है ....की देश में ज्ञान का अर्थ .....अंग्रेजी कितनी अच्छी आती है .......
मुझे अंग्रेजी से दिक्कत नहीं ....आनी चाहिए ...जरुर आनी चाहिए ...पर ये पैमाना नहीं हो सकता .....आपकी काबिलियत का .....
अब बच्चे को ये तो सिखा दोगे ...की this is cow, that is Ganga......पर ये कैसे बतओंगे ...."गाय हमारी माता है ".....वो जीवन में "गंगा जी" ....कैसे बोलेगा ...कहाँ से आएगा वो भाव ...मुझे नहीं लगता की वो आ सकता है .....

ये गलत है ....ये किसी भी भारतीय के लिए असहनीय है .....भाषा अपने विचार को प्रगट करने का माध्यम है ...ज्ञान को जांचने का पैमाना नहीं .....
जरुरी है ....की सामान और सस्ती शिक्षा की व्यवस्था की जाये ....पर इस तरह की अनिवार्यता .....शिक्षा का ..खुला निजीकरण के सिवाय कुछ नहीं .....
दुःख इस बात का ....की इस मुददे पर भी ...कुछ लोगों को सिर्फ ...जाती और धर्म ही नज़र आता है .....भारतीय नहीं ...भारतीय भाषा नहीं ...भारतीयता नहीं ......मैं बेचैन हूँ ...किसी एक बात के लिए ...जिसको ...इन सब से ऊपर ...सर्व सम्मत रूप से माना जाये ......हमारे पत्ते , फूल , डालें .....सब काट कर बेंच चुके है ...अब जड़ों का नंबर है ......नागेन्द्र शुक्ल

No comments:

Post a Comment