Monday, March 18, 2013

.16....18.....नहीं 16.....नहीं 18.....

क्षमा चाहता हूँ .....आज तक अपने नेताओं (सब नहीं) को ....एक दम नाकारा ....मानता था ....पर नहीं भाई ....मेहनत करते है ...अब देखो ....कितना दिमाग लगाया ...कितनी मस्सक्कत की ....16....18.....नहीं 16.....नहीं 18..........चलो 18 ही सही ....हो गया ...फैसला .....मिल गया ...इलाज़ ....अब सब ठीक होगा ......अजीब है .....
मांगो पानी ....देंगे ...गिलास ......पूँछो ...ये तो खाली है ......तो कहते है ....
खाली कहाँ है .....देखो हवा से भरा है .....अब 5 साल बाद ...अगर बारिस (वोटों की )....हुई ...तो थोडा पानी भी मिल सकता है .......ज्यादा बोला ...तो चूँकि ....इन जनता के चुने प्रतिनिधि की बात का विरोध कर रहे हो ....तो तुमको लोकतंत्र पर भरोसा नहीं .....

भाई मजाक है, क्या .....लाखो लोगों ने इनको वोट ..देकर भेजा है ....इनसे सवाल का मतलब ....उनकी (जिन्होंने इन्हें वोट दिए ) समझ पर सवाल उठाना .......नागेन्द्र शुक्ल


वाकई ..कई दिन से इंतज़ार था .....की ऊंट किस करवट बैठेगा ..ये सब थाली के बैगन है ...कब कौन क्या कहे ....क्या करे ...इनको खुद पता नहीं होता ......भगवान् ने कुछ को दिमाग दिया ही नहीं ....और कुछ को बहुत ज्यादा दे दिया .....गड़बड़ दोनों है ....

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