Monday, March 4, 2013

राजा भैया - जैसे नेता कैसे? ऐसी राजनीती को बदलना ही पड़ेगा ....दूसरा कोई रास्ता नहीं

अपने स्वार्थ, कुंठा और ....झूठी शान को बनाये  की कोशिश में ......लोग कितना नीचे गिर जाते है .....दुःख इस बात का होता है ...की ऐसे गंदे लोग .....अपनी मानसिकता और ....अपने कुकृत्यों के चलते अपने पुरखो की नेक नामी और नेक दिली ....को भी नेस्तनाबूत कर देते है ....अब देखिये ...

एक सरकारी अफसर (CO ) की हत्या करवाने के आरोपी ....राजा भैया ....जो की अभी - अभी UP के मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे कर आये है ....पता नहीं मंजूर होगा या नहीं ...ये तो बाद की बात है ....

पर इनके कारनामों की फेहरिस्त इतनी लम्बी है ...की लिखना और पढ़ना भी मुश्किल होगा ...पर देखने की बात ये है .....की 1993 से लेकर आज तक ये अपनी विधान सभा ...से लगातार जीत रहे है .....
और किस पार्टी से जीत रहे है ..इसका जवाब तो या है ......की ऐसी कोई पार्टी है ही नहीं ......जिसने इनको अपनाया ना हो ......
तकरीबन सभी पार्टी से ..एक या दो बार तो ....विधान सभा जा चुके है ....

अब सोंचने की बात ये है ...की ये पहली बार कैसे जीते .....ये पहली बार जीते थे ....अपने पुरखों के ...अच्छे कामों के बल पर ....
इनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह, पंत नगर विश्वविद्यालय के संस्थापक थे और बाद में हिमाचल प्रदेश के पहले गवर्नर बने
इनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह का नाम पूरे क्षेत्र में ...काफी इज्ज़त से लिया जाता था ...इसलिए नहीं की वो कोई ताकतवर और नेता थे ....बल्कि इसलिए ..की कहते है ..की एक बार गाँव में बाढ़ आई थी तो पूरे गाँव को ....साल भर तक मदद की थी ....और प्रतापगढ़ ...जैसे दूर के इलाके में एक .....इंजिनयरिंग कंपनी ...प्रताप ट्रैकटर्स की स्थापना की थी ....जीने UP में ...किसानो को सस्ता ट्रक्टर ...तो दिया ही था ...और रोज़गार भी .....

अब ऐसे पुरखों के चश्मों चिराग  26 साल के नवयुवक राजा भैया ..को 1993 में बीजेपी के परोक्ष समर्थन से जीता दिया .....और बस इसी के बाद .....ये हो गए निरंकुश ....और इतने की ....हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण और डकैती सब कुछ ...पोत के अंतर्गत जेल में भी रहे .....

और फिर भी लगातार बार - बार चुनाव जीत रहे है ..ये अपने क्षेत्र से ....
आपको क्या लगता है ......क्या ये जनता के प्यार और सहयोग से चुनाव जीत रहे है ?.....या जीत सकते है ...नहीं सिर्फ ताकत, पैसे और गुंडागर्दी के दम पर ......

पर सोंचने की बात ये है ...की हमारा लोकतंत्र ....हमारी जनता ....हमारा System कितना पंगु ...और लाचार हो चूका है .....की जनता की मजबूरी है ...किसी ऐसे नेता को झेलना ...और झेलते रहना .....

इसका कारण कुछ और नहीं .....सिर्फ जनता का मुद्दे पर आधारित ना होना .....जाती - धर्म पर वोट देना .....पैसे और ताकत के सामने घुटने टेकने की आदत ही है ......

अगर देश में कुछ बदलना है ....तो सबसे पहले जनता को ही .....अपने अन्दर विस्वास ..पैदा करना होगा ...भ्रस्टाचार के खिलाफ ....अन्याय और अपराधियों के खिलाफ एक जुट होना पड़ेगा ......
और अगर नहीं हो सकते ...तो झेलते रहो .....ऐसे नेता को ...और रोते रहो ....अपनी किस्मत पर ....और कहते रहो ..कुछ नहीं हो सकता इस देश का ......अगर आज के माहौल ....और अरविन्द जी अन्ना जी के इतने प्रयास के बाद भी .....आप डरते हो ....बाहर  आने से ....बोलने से ...लड़ने से .....तो ये समझ लो ......की जवाब आपको ही देना होगा ....अपने वाली पीढ़ी को .....अपने बच्चे को ........

ऐसी राजनीती को बदलना ही पड़ेगा ....दूसरा कोई रास्ता नहीं
आपको राजनीती में आना ही पड़ेगा ....दूसरा कोई रास्ता नहीं

मेरे सवाल को सुनना ..और जवाब देना .....ना देना ...आपकी मर्जी है ....पर उनके सवालों का उत्तर तो देना ही पड़ेगा ...आप भाग नहीं पाओगे .....और झूठ तो बिलकुल नहीं बोल पाओगे ....मर्जी आपकी ....फैसला आपका ....नागेन्द्र शुक्ल

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