Saturday, March 23, 2013

जो संजोये है ...थोडा भगत कहीं .....सलाम,....

आज़ाद जी के गाँव से होने के कारण, ये तो पता था की वो क्या थे ...उन्होंने क्या किया ...पर .... अगर कई साल पहले,  फिल्म the Legend of hagat singh नहीं देखी होती ......तो शायद अपनी पूरी जिंदगी में ये समझ ही नहीं पाता की ....भगत सिंह जी क्या थे ....
आज समझता हूँ की ....अब  भारत में कभी, कोई भगत सिंह ... हो ही नहीं हो सकता .....वाकई हो ही नहीं सकता ...हमारे जींस ही बदल दिए गए है ......
जब सरकारी स्कूल में .....मास्टर जी के हाँथ की ....नीम की हरी डंडी ...भी ना दिखा पायी थी .....की क्या थे भगत सिंह ....तो AC स्कूल और आपकी सुविधा का पाठ्यक्रम ....पैसे पर काम करते टीचर .....और पैसे कमाने या उड़ाने ,.... में busy ....माँ बाप कहाँ .... बता पाएंगे ..की क्या थे भगत सिंह ....
खैर पक्का नहीं पता ..पर शायद ....भगत सिंह जी ...तो हमारे पाठ्यक्रम में है ही नहीं .....और अगर है भी तो ....पढ़ाने के लिए ...उनको समझने वाले टीचर तो बिलकुल नहीं .....अब तो बच्चों को .....मधुशाला .....ही पढ़ाना आसान है .....सुभद्रा कुमारी चौहान ...तो समझ के बाहर है .....कैसे पैदा होगा ....कोई भगत ?.....कैसे ?....

ज्यादा से ज्यादा ...जिन्दा रख्खा जा सकता है .....उनको ...अपनी सोंच में ....पर दोस्त, भगत को भगत ही रहने देना ....सुविधा वाला ....बापू या चाचा ...ना बना देना ....
पर  इतना भी ..निराश नहीं, ....अभी हाल ही में तो, मिला हूँ .....है जिन्दा ....जिनके अन्दर ...वो चिंगारी ....ना वो एक नहीं कई, कई है .....जो संजोये है ...थोडा भगत कहीं .....सलाम,....

हो सके तो समझना .....क्यों प्राण दिए थे .....23 साल के कुशाग्र युवा ने ......उनका उद्देश्य क्या था, क्या लालच ...क्या था उनका ?......नागेन्द्र

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