Saturday, March 23, 2013

अरविन्द की शक्ति "सकारात्मक सोच है"

अरविन्द की शक्ति "सकारात्मक सोच है" इसी ने अरविन्द को अन्ना से अलग होने के बाद व्यवस्था से लड़ने की शक्ति दी......, "सकारात्मक सोच" लोगों के लिए एक बड़ा काम यह करती है कि यह लोगों को सिखाती है की वे अपने ही खिलाफ काम करना बंद कर दें, आपको बनाने वाला ईश्वर कोई ख़राब शिल्पी नहीं है, उसी ने आपको बनाया है और उसका इरादा यह कभी नहीं रहा होगा कि.....जिन्दगी आपको पराजित कर दे......और फिर....सच की हिमायत करते वक़्त यह नहीं देखा जाता कि कौन हमारे साथ है..... और कौन नहीं.....एक अकेला व्यक्ति भी नायक की भूमिका निभा सकता है,............शायद अरविन्द और उनके साथी "अन्ना" को यह बात समझा नहीं सके थे..........लेकिन फौजी अन्ना यह अच्छी तरह जानते हैं कि सरहद पर जब कोई देशभक्त सिपाही दुश्मन पर गोली चला रहा होता है तो वह यह नहीं गिनता कि बाजु वाले देशभक्त सिपाही ने कितनी गोलियां चलायी हैं , ..........वह तो सिर्फ और सिर्फ एकाग्रता के साथ वार करता रहता है....! .......कोई शिकायत नहीं है अन्ना से , बहुत प्यार करते हैं हम उनसे.........लेकिन "ठुकराई हुई धुल आंधी की राह देखती ही है, जब वह सर पर चढ़ सके,.....दरअसल यह क्रांति की प्रतीक्षा है".............जिसे इस देश का युवा ही सच करेगा.......

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