Friday, March 29, 2013

समस्या कितनी बड़ी है ......बल्कि समस्या ..को ये दिखाना है ......की आपका हौसला कितना बड़ा है .....

दोस्त, आप अभी युवा है,......कहते है की उम्र बढ़ने के साथ - साथ ....मनुष्य की संघर्ष करने की क्षमता घटती जाती है और वो समझोते करने की ऒर बढ़ने लगता है .....

जिंदगी ...और समस्या का साथ तो चोली - दामन का साथ है .....जिंदगी है ...तो समस्या तो रहेगी ही ....उसके प्रकार बदलते रह सकते है ....पर वास्तविकता ये है ....की अगर समस्या है तो ...उसका हल भी जरुर होगा ...हां ये हो सकता है ....की आपने हल खोजा नहीं ....

हल तो होगा ...पर मिलेगा तभी, जब ...आपकी सोंच सकारात्मक होगी ...समस्या के समय ..आपको, अपने मन को ..ये नहीं बताना है .....की समस्या कितनी बड़ी है ......बल्कि समस्या ..को ये दिखाना है ......की आपका हौसला कितना बड़ा है .......

जिसे हम ईश्वर कहते है .....और उसको समझने की प्रक्रिया को ...अध्यात्म ...ये आपके अन्दर सकारात्मक सोंच .....का संचार करती है ....

तपस्या ...वो माध्यम है जिससे आप .....अपने आप से दूर ...और उस परम शक्ति के करीब होते है ....ये तपस्या ....आपको सकारात्मक सोंच ....प्रदान करती है ....
सकारात्मक सोंच से ...आशा का संचार होता है .....आशा से ....आपका हौसला ..बढ़ता है ....और जब आपका हौसला ...परेशानी से बड़ा होता है ......तो समस्या का ...हल खुद बा खुद ....आपके सामने आता है .....

स्वाध्याय और तप,.....आपके आत्मबल को बढाता है .....लड़ने और जीतने की दिशा और ....हौसला देता है .....

समय - समय पर ....इसकी जरुरत होती है .....और यही कारन है ....की अरविन्द जी उपवास पर होंगे ....उनकी सकारात्मक सोंच ....और हौसला ...ही तो है .....जो बदलेगा इस देश की व्यवस्था को ......जगायेगा आपको ....
आप युवा है .....अपनी सोंच को सकारात्मक करे .....परेशानी से बचने के लिए ...खुद को व्यस्त रखना ठीक नहीं .....
अब एक ...बार सोंचिये ...आप हमारे देश की राजनीती को क्यों ...नहीं बदल सकते .....ऐसा क्या है ....की हम ये कह देते है ...राजनीती गन्दी है .....और निकल लिए .....
दोस्त, जिस दिन आपका हौसला ....समस्या ..से बड़ा हो जायेगा ....आप सीख जाओगे ....जीतना ....पर हाँ जीत के लिए नियत का सही होना भी जरुरी है ....

अगर आप युवा है ...तो दिखाना चाहिए ...की हाँ है ....समस्या से लड़ने की ....और जीतने की ....इच्छाशक्ति ....आपमें .....नागेन्द्र शुक्ल

उठो धरा के अमर सपूतो
पुनः नया निर्माण करो ।
जन-जन के जीवन में फिर से
नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो ।

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