Saturday, March 16, 2013

Result नहीं Approach,... Important है … Mission Important है दोस्त!!!!


दोस्त, आप results की बात करते हो .....वैसे समाज सेवा करने के लिए कौन से रिजल्ट्स की जरुरत होती है ?...दोस्त नियत की जरुरत होती है ...results की नहीं। ......हाँ अब चूँकि अरविन्द जी राजनीतिक क्रांति कर रहें हैं तो आपको ....वो राजनेता समझ आते है .....पर दोस्त ऐसा है नहीं ....वो स्वाभाविक ....समाज सेवी है ......

हाँ देश, चलाने के लिए ...या कहें की देश का भार देने के लिए results देखना जरुरी है .....पर कौन से रिजल्ट्स ...ये भी सोंचना जरुरी है ?.....
और जब आप results की बात कर रहें है ...तो ये भी सोंचना जरुरी हो जाता है की .....आप जिनसे तुलना करने की ..कोशिश कर रहें है ....या जो भी ...आपका पैमाना है ....उसी पैमाने पर ....प्रतिद्व्न्धी कैसा है .....ये सोंचना आपका काम है ....

हाँ पर,.... मेरे लिए,...मेरे लिए ...पता नहीं क्यों ...परिणाम से ज्यादा,........ Approach important होती है ....क्यों ?...

वो इसलिए की ......इस बात की सम्भावना हमेशा रहती है .....की आपको गलत Approach से ...एक बार सफलता मिल जाये ....कोई बड़ी बात नहीं .....

पर लगातार ...सतत,.... सफलता मिले .....इसके लिए ....जरुरी ये नहीं ...की ...पहले प्रयास का ....परिणाम क्या था ....
जरुरी ...ये है ....की अपने पिछले Approach और अब के Approach में आपने सकारात्मक प्रयोग बदलाव किये ..या नहीं .....आपने सीखा क्या ?....

हाँ अब अरविन्द जी, रिजल्ट्स की बात करते है .....Sorry मैं नहीं गिनाऊंगा ....आप या तो पुरानी पोस्ट पढ़ ले ....या खुद दूंढ ले ...बड़ी आसानी से मिल जायेगे .....और ये भी नहीं करना चाहते ....इस पेज पर पोस्ट पढ़ते रहिये ....पता चलते रहेंगे ....

पर results की नहीं Approach की बात कर रहा था .....तो ...आप एक बार ...शुरू से अंत तक ....एक साथ, सोंच लो ....की क्या, कब, कैसे ...किया ....कितना प्रयास .....दोस्त आसान नहीं है ....वो करना, ....
जो अरविन्द जी ने ....अभी तक कर के दिखा दिया है .....कोई सानी नहीं है ....

हाँ परिणाम ....दो है ..जिन पर मुझे फर्क्र है .....
1. मुझे जगा दिया ....आपको,.....जगा दिया ....ये बता दिया ...की ऐसा नहीं ..की हमारे जीवन का अर्थ ...दफ्तर जाना ...पैसे कमाना ....खाना पीना  घूमना फिरना  ...और सो जाना ...फिर रोते रहना .....दोस्त अरविन्द जी, ने तो ....लड़ना सिखा दिया .....मुझे बोलना सिखा दिया .....मुझे सैकड़ों ...अच्छे और ईमानदार ...दोस्तों से मिला दिया ......ये बता दिया ...की मैं इंसान हूँ .....मशीन नहीं .....

2. पूरे देश को ... बता दिया ....जनता को, आइना दिखा दिया .....की कहाँ जा रहे है हम .....हम है क्या ....और हमें हाँक कौन रहा है ....

ये कहानी ...सिर्फ मेरी नहीं ...आपकी भी है ...और हर आम आदमी की ..होगी ....आज नहीं तो कल ....अब ये आम आदमी कौन ?....जनाब आप और कौन ....

अंत में ....एक कहावत "होनहार बिरवान के ......होत चीकने पात "....समझे या नहीं ?...बात करते रहेंगे ......नागेन्द्र शुक्ल
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