Saturday, May 25, 2013

शर्मनाक है ...जब तुम, मांगते हो गारंटी ....की अरविन्द ...जो कहते है ..वही करेंगे ....

मेरा ऐसा मानना हो या ना हो ...कोई फर्क नहीं पडता ...पर हाँ बहुत बार ...लोगों के मुंह से सुनी है ये बात की ..."कहते है ...की औरत ही ...औरत की ..दुश्मन होती है ".....ये सही है या गलत ....इसके लिए सन्दर्भ का पता होना जरुरी है ...पर मैं इसकी बात नहीं करना चाहता ....पर एक बात तो ...आज के सन्दर्भ में ...एक बात ..एक दम सही लगती है ....की ,...

आम आदमी ..ही आम आदमी का सबसे ..बड़ा दुश्मन है ....जो खींचता है ...टांग ...मेढकों की तरह ....इसीलिए ..तो देखने पद रहे ..ऐसे दिन ...की भ्रष्टाचारी ...छाती ठोंक कर कहता है ....की कर लो,.. जो कर सकते हो ....वहीँ दूसरी तरफ

सारे भ्रस्ताचारी ....नेता और अफसर ....एक दूसरे के ...पक्के साथी है ....चाहे,... जो जाये ..चाहे दुनिया .....इधर की उधर हो जाये ....पर किसी भी भ्रस्ताचारी को सजा नहीं होनी चाहिए ....अगर ऐसा हो गया तो ...एक गलत परम्परा पड़ ...जाएगी ...इस देश में ...
आज की तारीख में ...कहीं कुछ नहीं होता ...कानून से ....
जो होता है ...वो सिर्फ ...ताकत, पैसे ...और मिलीभगत से ....

कौन से ...आदर्श ...कौन से उधाहरण ..प्रस्तुत कर रहे है ....हमारे नेता ...अभिनेता ...खिलाडी ....सभी ....
सभी को ...सिर्फ पैसा चाहिए ...क्योंकि ..पैसे से ...मिलती है ...असीम ताकत ....और देश में कुछ भी ...हां कुछ भी,.. कर गुजरने का ...लाइसेंस,......

बस सबको सर्वशक्तिमान बनना है .....

दूसरी तरफ ....आम आदमी है ...जो लगा रहता है ..दिन भर ..की मेरा नेता ...मेरी पार्टी ..अच्छी ...
अरे क्यों अच्छी है ...कोई पार्टी ...क्योंकि वो ...आपकी जाती या धर्म के ...पक्ष में ...भाषण देता है ...और आपको लगता है ....की ....उसके आने से आपके दिन बदल जायेंगे ....आप आम ....से ....ख़ास बन जायेंगे ....कैसे? .....जनाब कैसे ?.....

ऐसा नहीं है ...की हमारे देश में ..किसी जाती या धर्म के लोगों को ...आज तक के इतिहास में ..मौका नहीं ....मिला है ...तकरीबन सभी को मिला है ....भरपूर मौका मिल चुका है ....पर क्या हुआ ...बदले आपके ..हालत? ....

चलिए एक मिनट के लिए .....मान लिया ..की आपके ...मनचाहे नेता जी ...सत्ता में आ गए ....तो क्या होगा ...ज्यादा से ज्यादा ..कुछ दिन ..अपना सीना चौड़ा कर ...गर्दन टेढ़ी कर ...घर से निकल सकते हो ....पर उसे क्या होगा ....

क्या ..आपको सम्मान मिलेगा ?....क्या आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी ?....क्या आपको ...अच्छा और सस्ता इलाज़ मिलेगा ....
क्या ...रोटी ...पर रख कर ...रोटी खाने को मिलेगी ...क्या?.... होगा क्या ....

ऐसा क्या होगा ....जिसकी वजह से ....आपने ....अपनी आँखों पर पट्टी बाँध रख्खी है .....और देखना ही नहीं चाहते .....की सच्चाई क्या है ....

दोस्त, कबूतर हो तुम ....आँख बंद करने से ....हो सकता है ..की डर कम लगे ...पर बचोगे ..नहीं बिल्ली से ....
और अगर बचे भी तो ....बकरे माँ ..कब तक खैर मनाएगी ....

जब आज ...आनैतिक आधार पर ...अनर्गल रूप से ...तुम सीना चौड़ा कर ...गर्दन टेढ़ी कर ...घर से निकलते हो ....
तो जब कल ऊंट ..जब दूसरी करवट ..बैठेगा ...तब ?.....
तब कहाँ जाकर छुपोगे ....ऐसे कब तक ....बचोगे ?...

दोस्त, बचने का सिर्फ एक ही ..तरीका है ...की ना ही आनैतिक, अनर्गल ...करो ...और ना ही उसको सहो ....

दोस्त, शर्म आती है ...मुझे,.. जो ...आज भी इतना सब होने के बाद ...सब कुछ ...साफ़ नज़र आने के बाद भी ...अजीब अजीब ...से सवाल करते है ...की अरविन्द ऐसा ...वैसा ....
अरे अब तो शर्म करो ...आँखे खोलो ...हो चुकी है ..पहचान .....

शर्मनाक है ...जब तुम, मांगते हो गारंटी ....की अरविन्द ...जो कहते है ..वही करेंगे ....
इसका सिर्फ एक ही मतलब ..निकलता है ...की तुम्हें ...आज भी ...भरोषा है ...देश का बेडा गर्ग ..करने वाले ...महानायकों पर ....
जब की ...देख चुके हो ...सबको ...नंगे हो चुके ये सब ....खुल चुकी है बात ....

लड़ते तो सिर्फ हम है ....और लड़ाते है ...तुम्हारे नेता ...पर क्यों? ...
क्योंकि उनको चाहिए ...सारी ताकत ...भगवान् बनना चाहते है ..वो तुम्हारे ....

इससे दो बाते साफ़ होती है ...या तो तुम प्योर मूर्ख हो ...या स्वार्थी मूर्ख .....

पर दोस्त, कबूतर के बचने का ...एक ही तरीका है ....की मिल जाये ....
और एक साथ एक ...ही उद्देश्य के लिए उड़े ....
फिर चाहे ..वो डाल दें ..जाल तुम पर ...वो भी रोक नहीं पायेगा ....और एक बात बता दे ...
ये बात ...इनको अच्छी तरह से पता है ...की अगर कबूतर मिल गए .....तो बिल्ली कुछ नहीं कर पायेगी ....
इसीलिए ...वो याद दिलाते है ...की तुम सफ़ेद कबूतर हो ...वो तुम काले ....

नेता नहीं ...बदमास है ...साले ..समझ जाओ ....या लुटने के लिए तैयार रहो ...आज नहीं तो कल ...
हो सकता की मेरे बाद ...पर आएगा जरुर ...तुम्हारा भी नंबर ....पर मैं यूँ आँख नहीं बंद कर सकता ....
खुली आँख से ...दूंगा चुनौती ....इन बिल्लियों को ....आपकी आप जानो ...आँख खोल कर लड़ना है ...या आँख बंद किये हुए ...रोते ...सिसकते रहना है,.....नागेन्द्र शुक्ल

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