Friday, May 3, 2013

हिन्दू , मुस्लिम ..सिख इसाई .....नहीं ...भारत वासी चाहिए ......सिर्फ इंसान चाहिए

दोस्त, जब भी किसी से पूंछो...की भाई हमारे देश में बहुत गड़बड़ हो रख्खी है ....और हम हैं की बस अपने तक सीमित है .....हमें देश के लिए भी कुछ करना चाहिए ....
तो वो जो ,....
ख़ास कर उनका जो comfort में है .....उनका जवाब होता है ...की कुछ नहीं हो सकता .....हमारे देश में ...
जब किसी गरीब अनपढ़ से पूंछो .....तो कहता है की ...की साहब हम क्या कर सकते है ...हमारी कौन सुनता है ....पर साहब बदलना तो चाहिए ....हमे बताओ ...क्या करना है ...हम साथ देंगे ....
जब मिडिल क्लास से पूंछो .....जो मुस्किल में फंसता ....और उबरता रहता है ......तो कहता है ...साहब टाइम ही कहाँ है ...अपनी परेशानियों .....फुर्सत ही कब मिलती है .....पर जितना हो सकेगा ...करेंगे जरुर .....

जब एक देश भक्त से पूंछो .......तो जवाब होता है ......बदले ना बदले ....पता नहीं ....पर कोशिश तो पूरी करेंगे .....अब बर्दाश्त नहीं होती ...ऐसी अव्यवस्था .......

कई ज्ञानी होते है ....वो ज्ञान देते है ...की बदलना तो चाहिए ....पर बदलेगा ...कैसे ...करेगा कौन ...और क्या ....ये भ्रष्टाचार ...जाती और धार्मिकता ....हमारे ...देश की नशों में भरी है .....

पर एक बात बता दें ......की ये जाती, धर्म ...और भाषा ....दुनिया दारी .....ज्ञान ....सिर्फ उसको दिखता है ....जो अकर्मण्य है .....जो कर्ता है .....वो बस करता है .....हर वो काम ....जिससे ...जुडी हो उम्मीद .....एक अच्छे कल की .....

अगर आपको .....लगता है .....की जाती धर्म ....इंसान से ऊपर है .....मानवता और देश से ऊपर है .....तो आपके लिए ...मेरी सलाह है ......की कभी .....एक बार ....किसी बड़े सरकारी अस्पताल ....जैसे ....aiims में जा कर देखो .....उनसे पूंछो ....
दोस्त, परेशानी के वक्त ...क्या आलम होता है ......जब खून की जरुरत होती है ....तो लोग ...blood group ...तक जानना उचित नहीं समझते .....बस एक ही चीज़ पहचानते है .....खून का रंग .....ना जाती ना धर्म ..ना भाषा .....बस मदद चाहिए ....और मदद करनी है .......

यही ....दो धर्म ....दिखाई देते है .....मुसीबत के समय .....मुसीबत के समय .....इंसान की सिर्फ एक पहचान होती है ....और वो ..ये की .....जिस दुःख ...दर्द को ...परेशानी को वो ....झेल रहा है ....कोई और ना झेले .....

अभी कल की ही बात है ......अस्पताल से ....अपने मरीज के ठीक होने के बाद .....एक मुस्लिम ...भाई ....बोला ....मैं यहाँ से सीधे ....अजमेर शरीफ .....जा रहा हूँ ......शुकराना अदा करने ....और ...उसने सबसे ....उनके नाम ...पते पूंछे .....की भाई तुम्हारे लिए ....दुआ करूँगा .......किसी ने एक बार बही ...सोंचा ...की वो अपनी पूजा ...मंदिर में करता है ....गुरूद्वारे में .....बस ....दुआ चाहिए ....कहीं से एक ....आस चाहिए .....वाकई ...मुश्किल समय में ....हम सब एक होते है .....और शायद ...यही समय होता है ....जब हम इंसान भी .......

और देश को सुधारने के लिए .....हिन्दू , मुस्लिम ..सिख इसाई .....नहीं ...भारत वासी चाहिए ......सिर्फ इंसान चाहिए .....
पर पता नहीं क्यों ...हमें अपनी ख़ुशी ...में ....दूसरे का दर्द दिखता ही नहीं ......और अपने दुःख में ...मदद करने वाले ....साथ आने वाले की .....की जाती और धर्म ......

तो बस दोस्त, .....जिस दिन हम अपने देश के .....इंसान के दुःख दर्द ...को महसूस करने लगे .....
सब समझ आ जायेगा ....की देश बदल सकता है ...या नहीं ......और बदलेगा तो कैसे ......क्या करना होगा .....
और करेगा कौन .....कोई और नहीं ...सिर्फ आप .....हम और आप .....आम आदमी .....क्योंकि ....परेशान भी ....सिर्फ हम ही है ...और ताकत भी .....सिर्फ हम ही है ......

महसूस करो .....एक बार ....फिर जवाब देना ....की क्या करना है ...कैसे बदलेगा मेरा ....देश ......नागेन्द्र शुक्ल

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