Monday, May 6, 2013

गरीब वो होता है जो पूरी जिंदगी धन जमा करने में लगा देता है

हमारे देश में महामहिम राष्ट्रपति जी से लेकर एक छोटे से मंत्री तक कैसे राजसी ठाठ बाठ से रहते हैं ये आप सब जानते हैं वहीँ दूसरी और आपको एक ऐसे राष्ट्रपति से मिलवाता हूँ जो सिर्फ कर्म में विश्वास रखते हैं ...
उरुग्वे के राष्ट्रपति हैं – जोसे मुजिका. इनका पूरा नाम है – जोसे एल्बर्टो पेपे मुजिका कोर्डैनो इन्हें दुनिया का सबसे गरीब राष्ट्रपति की संज्ञा दी गई है. यह जिस तरह का जीवन जीते हैं, वैसा जीवन कोई फकीर ही जी सकता है. जोसे मुजिका उरुग्वे के राष्ट्रपति भवन के बजाय अपने दो कमरे के मकान में रहते हैं. सुरक्षा के नाम पर बस दो पुलिसकर्मी की सेवा लेते हैं. सामान्यद लोगों की तरह कुएं से पानी भरते हैं और अपने कपड़े खुद धोते हैं.वो अपनी पत्नी के साथ मिलकर फूलों की खेती करते हैं ताकि कुछ एक्स्ट्रा आमदनी हो सके. खेती के लिए ट्रैक्टर खुद से चलाते हैं और इसके खराब होने पर खुद ही मैकेनिक की भांति ठीक भी करते हैं.कोई नौकर-चाकर अपनी सेवा के लिए नहीं रखते हैं. अपनी बहुत पुरानी फॉक्सवैगन बीटल गाड़ी को खुद चलाकर ऑफिस जाते हैं. हालांकि ऑफिस जाते समय वह कोट-पैंट पहनते है.एक देश के राष्ट्रपति को जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए, इन्हें वो सारी सुविधाएं दी गई हैं. पर इन्होंने इन सुविधाओं को लेने से इनकार कर दिया. वेतन के तौर पर इन्हें मिलता है हर महीने 13300 डॉलर.अपने वेतन से 12000 डॉलर गरीबों को दान दे देते हैं. बाकी बचे 1300 डॉलर में से 775 डॉलर छोटे कारोबारियों को देते हैं. अगर आपको कहीं से भी ऐसा लगता है कि शायद उरुग्वे एक गरीब देश है, इसीलिए यहां का राष्ट्रपति भी गरीब है, तो यह आपका भ्रम है. उरुग्वे में प्रति माह प्रति व्यक्ति की औसत आय 50000 रुपये है.वो 2014 में अपने पद से रिटायर हो जाएंगे. साथ ही अगला चुनाव भी नहीं लड़ेंगे. इसके बावजूद भी उन्हें भविष्य के लिए धन जमा करने की आम ललक नहीं है.
उनका मानना है कि गरीब वो होता है जो पूरी जिंदगी धन जमा करने में लगा देता है. उनका यह भी मानना है कि चूंकि उनकी जरूरते कम हैं, इसलिए उन्हें पैसे की ज्यादा आवश्यकता नहीं है......
हम भारत वासी इन लोगों के सिर्फ नाकारात्मक गुण ही क्यूं ग्रहण करते हैं,,ऐसे ''बुलंद संस्कार'' क्यूं नहीं .....


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