Wednesday, May 29, 2013

रमेश जी ...जयराम जी की ....हम तो ऐसा वैसा समझ रहे थे ....पर तो बड़े ज्ञानी निकले ....

रमेश जी ...जयराम जी की ....हम तो ऐसा वैसा समझ रहे थे ....पर तो बड़े ज्ञानी निकले ....अपने एक बयान से बड़ी दूर की कौड़ी लेकर आये हो आप ...जनाब अपने अरविन्द की तारीफ तो की ....ये तो माना की ..अरविन्द से नक्सलियों को सीखना चाहिए ...पर क्या ये तो बताया ही नहीं ???????????

जनाब बड़े चालाक हो तुम लोग ....जब एना - अरविन्द से डर लगा ...तो बोले राजनीती करके दिखाओ ....हम राजनीती में आ गए ..
अब नक्सलियों से डर लगा तो ..उनको सलाह दी की ....अरविन्द से सीखो ...क्या

सुवर की एक आदत होती है .....जब किसी दूसरे जानवर से ...वो लड़ता है ....तो पीछे हट कर ...कोशिश यही करता है ...की किसी तरह दूसरे ...जानवर को ...खींच कर कीचड में ले आये ....और एक बार कीचड़ में ले आया ...फिर क्या ...वो तो कीचड़ का ...खिलाडी है ...मजे से लोटता है ...और दूसरा जानवर थक जाता है ...

शायद ...इस कहानी के बारे में ....आपको अच्छे से पता है ...शायद इसीलिए ...तुम सबको ..राजनीती में बुलाते रहते हो ...क्योंकि वो तो तुम्हारा फैलाया हुआ जी कीचड़ है ....आराम से लोटोगे ....पर एक बात बता दें ...की अब तुम्हारा पाला ...आम आदमी से पड़ा है ......जिसको सब पता है ....उसकी ताकत भी ...और कमजोरी भी ...वैसे भी आम आदमी ....की तो आदत ही पड़ चुकी है ....परेशानियों  को झेलने ...लड़ने ...और उबरने की ....हम ढूंढ ही लेते है ...कोई ना कोई .....समाधान ....

देखो तुमने ...हमको राजनीती ,में बुला तो लिया ......हम आ भी गए ....फिर भी ...तुम्हें खुश होने का मौका नहीं देंगे ....तुम इंतज़ार करो ....हमारे थकने का .....लोटो इस कीचड़ में ....पर हम भी सोंच कर आये है .....की लड़ेंगे बाद में ...पहले इस कीचड़ को साफ़ करेंगे .....क्योंकि अगर कीचड़ साफ़ नहीं हुआ .....तो तुम जीत सकते हो .....और अब हम ..ऐसा होने नहीं देंगे ....

इसीलिए ...AAP ...अभी राजनीती कर नहीं रही है ...परेशान मत हो अभी से .....अभी तो AAP सिर्फ कीचड़ की सफाई में लगी है .....और जल्द ही ...करेंगे ....दो - दो हाँथ ...तुमसे ....तब तक लोट ..लो ...मजे ले लो ..इस कीचड़ के ...वैसे भी समय कम ही बचा है ....तुम्हारे पास .....अरे हमसे लड़ोगे ...तो जीतोगे कैसे ?.....क्योंकि अब तुम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं .....आम आदमी से लड़ रहे हो ......आम आदमी ..ये कौन ...अरे जनाब आप .....सिर्फ आप ...और कौन .....नागेन्द्र शुक्ल

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