Saturday, May 25, 2013

तो सुनो ..एक भुक्त भोगी .....देशभक्त की .....


65 साल में ....देश को विकास के नाम पर ... के नाम पर, सिर्फ इतना मिला था ...की अगर हम चाहें ...तो सूचना ...आम आदमी की सूचना ....आम आदमी तक ... पहुंचती थी ....इसमें ...इस नामाकूल ...मीडिया का बहुत बड़ा हाँथ था ...इतना की खा गया ..ये प्रिंट मीडिया को ......और जब खा लिया .....तो लगे देश को बेचने ......और जिनका प्रिंट मीडिया ....उन्हीं का मीडिया ....मतलब अगर ...चाँद लोग ना चाहें ...तो किसी की ...कोई खबर नहीं ....मिल सकती ,...
और ऐसा तब जब ....हमारे देश में ....लोकतंत्र है .....हम वोट देते है .....हमारी सरकार होती है .....

जब ऐसे हालत हों ......."सूचना के अधिकार के" .......तो लिखने की विधा होती है ...द्रष्टान्त (आँखों देखा हाल )....आज कुछ वैसा try करना पड़ेगा ....

तो सुनो ..एक भुक्त भोगी .....देशभक्त की .....

वो कल शाम को जाता है ....विधायक वालिया जी ....मिलने का समय मांगता है ....समय मिलता है ..सुबह 11 बजे .....जब पहुंचा ...तो ताला बंद ....बोर्ड के नंबर पर फोन किया ....तो अहसान की ..जवाब मिला ....अगर मिलना है तो घर आजो ....चाणक्य पूरी .....

चाणक्य पूरी .....मतलब वो ..नगरी ..जहां आप और हम ..एक दम चीटी है .....अब मिलना था ...और,... डरते है क्या ....पहुँच गए ...जनाब ..
sorry ..मोहतरमा ...किरण वालिया की गली ...देखा ...इनको खतरा है किसी से .....बड़ी पुलिस खड़ी है ...सुरक्षा को ....

कोई नहीं ...डर लगता है ...इनको ...उनसे ...जिन्होंने इनको वोट दिया .....
अब हमें तो मिलना था ....अरे मिलने देते .....डर था तो तलाशी ..ले लेते ....4 / 5 ..को ही बुला लेते ....
या .....संगीनों के शाये ...में .....बैरिकेट के उस तरफ ...से ही बात कर लेती ....

अरे हम सवाल ...पूंछने ..आये थे ...
अब आप को ....सवाल ...तीर लगते है ...तो हम क्या करे ....और
वालिया जी ,.....आप भी ...क्या करो ......आप लोग तानाशाह ..जो ठहरे ...
कोई सवाल करे ..ये कहाँ ..बर्दाश्त .....

और ....हद तो तब हो गयी ....जब ...हमारी ...जान माल ...की सुरक्षा ..देने वाली पुलिस ....दोनों को ....लुटते हुए .....
बेतहाशा...हाँथो ..लातो से ....चालू ...हो गए ...उन पर ....
जो समझ गए है ....की हमारे देश में ...अजीब लोकतंत्र है ...अजीब व्यवस्था है ...हर समय ...हम,...सब खतरे में है ....

और ये क्या ...ये पड़ा थप्पड़ ....वो पकड़ा ..एक ने हाँथ ....दुसरे ने पैर .....झुला ...झुलाया ....फेक दिया ...सड़क पर .....
आह ...आह ...लगी तो जोर की ......पर ख़ुशी इस बात की .....की सर नहीं टकराया ....फुटपाथ से .....

चलो भाई .....अब उठा लो ....उठ तो नहीं पाऊंगा .....गाडी में डाल लो .....ले चलो ..जहां मर्जी ....

पहुँचे ..चाणक्यपुर थाने ,.....अच्छा है ...दिखने में ....
अब .....पूछ रहें है ..की भाई ..क्यों लेकर आये ...कौन से कानून का पालन कर रहे थे ....कौन कौन सी धाराएँ है .....
पर फिर वही,... तानाशाही ...बदतमीजी .....अरे ..ये क्या DCP Bhoop Singh,....जी पधार रहे है ....

ताकत के नशे में चूर ....गर्दन टेढ़ी किये .....आते ही ...पूछा ..भाई क्यों ,..किस धारा में लाये .....
जवाब में ..तिरश्कार ...चुप कर बैठ .....
फिर सवाल ...अब बदतमीजी ....जी हाँ ये ..थे,..... DCP Bhoop Singh,...

थोड़ी देर में ...पता चला की ....जिस आम आदमी ,...को वो धमका रहें है ....
वो एक वकील भी है ....वो सुप्रीम कोर्ट में ...और ऐसा वैसा नहीं ....इनके IG साहब जी जानते होंगे ....कैसा ....

ओह !!!...ये बाल ..तो baundary पार हो गयी ...DCP जी ..नदारद ....
सभा समाप्त .....सारे वक्ता ...गायब .....

श्रॊत ..अभी भी ...बैठे है ...सवाल के जवाब में ....
काफी ..समय बीत गया ...चलो ..अब घर चलते है ...इनसे तो कुछ होना जाना है नहीं .....
पर अजीब बात है .....अगर ...वो इतना काबिल और तेज़ ...वकील ना होता तो ?......तो ये क्या करते ?....
और ऐसा क्यों है ....की मेरे देश में ....मेरे आज़ाद देश में .......हम गुलाम है ...ताकत ..धन .....और सत्ता के ...क्या हम आज़ाद है ?.....

आज तो दिन भर ..दिल्ली की सडकों ...पर सभी .....मीडिया कर्मी .....होटी (hotty) डे ..मना रहे थे .....
अरे आपको नहीं पता .....आज दिल्ली का पारा 45 था ....टीवी नहीं देखि होगी ....हाँ ...

दिन ढल गया ....9 बजे ....पैरों पर चल कर निकले थे .....लड़खड़ाते जाऊँगा .....और पर घर में तो संभल कर ही चलना पड़ेगा ....नहीं घर वाले परेशान होंगे ....आम आदमी ..जो ठहरे ...द्रवित ह्रदय के मालिक ....

अब तो बस ....pain किल्लर खाने का ....और नींद का इंतज़ार ....पर करवट लेना मुश्किल होगा ,....आज बहुतों को ....
कोई नहीं .....कुछ किया तो .....कुछ भी कहो ..मजा आया .....

एक बात और .....आज IIT 1st year का भी एक साथी ....पहली बार ..निकला था मेरे साथ ..... हिल गया ...दुखी हो ...रोने लगा ...की ...भाई ...इतनी मुश्किल होती है .....वाकई में ...शर्मनाक है ....

पर आज तीसरी ...आँख ....चुप रही .....गुस्सा तो बहुत आया .....जब किसी का चश्मा 5/6 हो ..और कहीं दूर गिरे ....टूट जाये ....तो गुस्सा ...तो आयेगा ही न .....अजीब सा दिखता है ....

चलो ...कोई नहीं ...good night ....

ऐसा कुछ ...एक दोस्त ने बताया ....तो पता चला ...

अब मीडिया तो आज पूरी तरह से ..होत्ती डे ...पर थी ....और शायद ..इसी वजह ....से पुलिस ...अपने शबाब ..पर ......

एक दोस्त, से बात चीत के आधार पर ...वो दोस्त , दीप जैन नहीं है .....और किसी ...एक का नाम नहीं बता सकता ....क्योंकि ऐसी कहानी ....बहुतों की है ..आज ...उन सबको ...सच्चा ...सलाम ....नागेन्द्र शुक्ल
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