Sunday, April 21, 2013

हमारा नव वर्ष उस दिन होता है ....जिस दिन ...पीपल के पेड़ पर एक भी पुराना पत्ता ना दिखे ...

दोस्त, नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये, नहीं जी, आज नहीं. हमारा नव वर्ष शुरू होता है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (प्रथमा) को, जो की इस बार 11 अप्रैल को था ॥
वैसे तो हमारे देश में बहुत सारी संस्कृति और सभ्यताये है और तकरीबन हर किसी का अपना एक अलग कैलेंडर और नववर्ष है, पर इन सारे नव वर्षो पर .....HAPPY NEW YEAR हावी है ....खैर इस ग्लोबल ज़माने में ...सहूलियत को ध्यान रखते हुए कोई हर्ज़ नहीं उसको मानने में ...और हम मानते भी है ... पर उसको मानने के साथ - साथ ये भी जरुरी है की हम अपने को जाने जरुर ॥

एक ख़ास बात है हमारे कैलेंडर की ....की इसकी तिथि से आप हमारे देश अलग - अलग हिस्सों में मौसम का ठीक -ठाक अंदाजा लेते है ।

मुझे अपने इस नव वर्ष में एक बात हमेशा ध्यान रहती है .....की हमारा नव वर्ष उस दिन होता है ....जिस दिन ...पीपल के पेड़ पर एक भी पुराना पत्ता ना दिखे ...और सुन्दर सुन्दर ...छोटी - छोटी नयी कोपे दिखाई दे ....
इस नियम को पिछले कई सालों से ...अजमाता चला आ रहा हूँ ...और हमेशा तकरीबन सच ही पाया है ....आज फिर आजमाया और सच पाया ....आप भी अपने आस पास पीपल के पेड़ ....पर देख सकते है .....

मजेदार है ये बात ....हमारी संस्कृति और सभ्यता ...कितने गहराई से जुडी है ..प्रकृति से ....जब नया वर्ष शुरू होता है हवा की दिशा, रुख ....पेड़ की पत्ती ..सूरज की रोशनी सब बता देती है ....की हाँ कुछ तो बदल है,... और कुछ बदलना है ....

पता नहीं आप जानते थे या नहीं ...पर मुझे पेड़ पर नयी पत्ती ...मुझे बहुत भाति है ....

खैर इस नव वर्ष के मौके पर एक ...काम की बात भी करना चाहता हूँ ..और वो ये की .....देखो दोस्त
हमारी सरकारे ...वन विभाग, वगैरह - वगैरह हर साल ....बारिश के मौसम में ....हजारो नए पेड़ लगा कर ....अपनी खाना पूर्ती कर देते है .....अब सोंचने की बात ये है की ....जब हर वर्ष हजारो पेड़ लगते है ....तो भी पेड़ कम क्यों होते जाते है ......

वो इसलिए की ....पेड़ बरसात में लगते है ...और वो किसी तरह अपने आप को ....होली तक जीवित रखते है ...और फिर उसके बाद आती है ...जबरदस्त गर्मी ...और बिना पानी के सब जल जाते है ....और हो जाता है ....वही ढाक के तीन पात ....हर साल

हमारे देश की समस्या ...सृजन करने की कमी नहीं ...हमारी मुख्य समस्या है रखरखाव .....हम वो नहीं करते ...और बस यहीं सब गड़बड़ हो जाता है .....है की नहीं ....

खैर जब परेशानी है ...तो समाधान भी होगा ...जरुर होगा ....इसका जो समाधान मुझे समझ आया था ...आज से तकरीबन ७ वर्ष पहले ...वो ये की ....हम तकरीबन रोज़ ....किसी ना किसी काम से ...अलग - अलग रस्ते से गुजरते है ...जैसे की ....दूध लेने जाना ....सब्जी लेने जाना ....अपने दफ्तर या दूकान जाना ....स्कूल जाना ....वगैरह वगैरह ...है की नहीं ....

तो बस मिल गया समाधान ...अपने रोज़ के,.... रस्ते पर ...आप चिन्हित कर सकते है दो ...तीन जितने भी ...सुविधा के अनुसार ... पेड़ (जो सड़क किनारे लगे हो )....और बस जब उस रस्ते पर निकालो तो एक डिब्बे में बोतल में ......पानी अपने साथ ले तो ...और बस 2 /3 मिनट का समय लगा कर ...उस पेड़ पर दाल दो .........और क्या करना है ...कुछ नहीं ...बन गया काम ....

दोस्त, कर के देखो ...जब एक बार शुरू करोगे ....तो रुकने का मन नहीं करेगा .....मजा आएगा ...और ख़ास बात ये की ..कभी कभी ..कुछ अधूरा लगेगा ...अगर आप पानी डालने नहीं गए .....और पेड़ तो बच ही जायेगा .......

मैं हमेशा से ऐसे ही रास्ते दूंढ़ता रहा ..जिसमे ..पैसे भी ना लगे और काम हो जाये .....समाज सेवा हो जाय ....और यहाँ पर मैं अपने दोस्तों को धन्यवाद दूंगा ..जिन्होंने शुरू किया है ...ऐसा ही कुछ प्रयास ...और आपसे विनती .....की ये बहुत असरदार और आसान है ....अच्छा भी लगेगा ....

देखो, अगर देश के लिए ...समाज के लिए कुछ करना है ....तो उसका तरीका और समय ...सिर्फ आप ही निकाल सकते है ...कोई नहीं आएगा ...ये बताने और जबरदस्ती करवाने .......मैं अरविन्द जी से इसीलिए ..प्रभावित रहता हूँ ..क्योंकि वो करने में विस्वास रखते है ......ये गिनाने में नहीं ....की कोई काम क्यों नहीं हो सकता ....और पैसा ....पैसा तो कुछ नहीं होता ....वो तो सिर्फ बहाना है ....अब तो अरविन्द जी ... जैसे काम को भी कर रहे है ...बिना पैसे के .....वाह अब मिला है ...सही गुरु ....28 अप्रैल को आप आ रहे है ना .....नागेन्द्र शुक्ल


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