Tuesday, April 23, 2013

कहाँ थी ....खुद के पास इतनी अक्ल ....थोडा बहुत समझ और सार्थक काम करने का तरीका ...सब ...एक ही आदमी ने सिखाये है ..... वो है AK


कमला नाम है उस आदमी का ....जो पास की जुग्गी में रहता है ....आज उसे अपनी बीमार पत्नी को लेकर सफदरजंग अस्पताल दिखने जाना था ....ये भी मैंने ही बोला था ...की यहाँ पर अपने आस पास के इन झोला छाप .....डॉक्टर्स को दिखने की बजाय ....दिल्ली के सरकारी अस्पताल में दिखाओ ...पैसे भी बचेंगे ....और डॉक्टर भी इनसे बेहतर होगा .....हाँ समय थोडा ज्यादा लग सकता है ......और समय भगवान् की दया है ..है तुम्हारे पास .....

कई दिन तक लगातार समझाने के बाद ....आज उसने फैसला किया ....की हाँ जाता हूँ अस्पताल .....तो आज सुबह सुबह ....आया मेरे पास ...की साहब कुछ पैसे चाहिए ......
पूंछा कितने ....बोला १००० ......
मैंने कहा दे तो दूंगा ....पर ये बताओ ये चाहिए किस लिए ......वो बोला ...वो पत्नी को ....अस्पताल ले जाने के लिए ...ऑटो वगैरह में ...पैसे लगेंगे .....दिक्कत तो यही है ...की पता नहीं की वहाँ अस्पताल में क्या और कैसे करना है ......ऊपर से आने जाने में किराया बहुत लगेगा .......इसीलिए तो दिखा रहा था बगल के डॉक्टर को ....

मैंने कहा ....की आने जाने इतने पैसे थोड़े ही लगेंगे ...वो बोला ....की ऑटो वाला तो ४०० मांग रहा है .....मैंने पूंछा ...की ऑटो से जा ही क्यों रहे हो .....मेट्रो से क्यों नहीं जाते ?.....आने जाने में समय भी कम लगेगा ...और पैसे भी कम मुश्किल से १०० में आना जाना हो जायेगा .....

मैं हैरान था ...उसका जवाब ...या यों कहें अगला सवाल ...सुन कर ....और वो था ....की ..क्या मेट्रो में मुझे घुसने देंगे ?........क्या हम भी मेट्रो में जा सकते है ?.....कैसे ?.....मैंने कहा ....तुमको ऐसा क्यों लगता है ...की तुम नहीं जा सकते ...मेट्रो से ?....

उसने बोला ....उसमे तो बड़े लोग जाते है ...सुना है ..खुद चलने वाली सीढ़ी है ...और पूरी AC ....साहब महँगी होगी ....

दुःख हुआ ये जान कर ......की उसको ...जिसको सबसे ज्यादा ...जरुरत है ....सस्ते साधन की ....उसे डर लगता है .....मेट्रो के नाम से ....अब जो सवाल मुझे परेशान कर रहा है ...वो ये की ...उसे क्यों लगता है की .....

मेट्रो उसके लिए नहीं है ?.....उसे क्यों नहीं पता की वो भी मेट्रो में जा सकता है ?......ये किसकी गलती है ?.....
वो आदमी जिसे सबसे ज्यादा जरुरत है ....सरकारी अस्पताल की ....क्यों दूर है ...सरकारी अस्पताल भी उसकी पहुँच से .....और लुट रहा है रोज़ ....झोला छाप डॉक्टर से रोज़ .....क्यों ?.....

खैर ...आज तो मैं इसे जबरदस्ती ....मेट्रो पर बिठा कर आया .....पार्किंग में ...उसकी रेडी ..भी लगवाई ......हलाकि की पार्किंग वाले ने नाक ...भौ सिकोड़ी ....की रेडी नहीं लगती मेट्रो की पार्किंग में ......मैंने कहा जिसके पास कार है ...उसकी कार लगती है ...पार्किंग में ...तो जिसके पास रेडी है ...उसकी रेडी ...क्यों नहीं ?.....और अगर नहीं तो वो कहाँ ?.....

अब पार्किंग वाले की नयी परेशानी ...की रेडी की पार्किंग ...का किराया कार वाला हो या मोटर सायकिल वाला .....खैर आज तो बहस के बाद ....मोटर सायकिल का किराया देने को बोला है .....

पर दुःख है .....ऐसे हालात ...और गरीब आदमी की ऐसी हालत देख कर ......दोनों तरफ से परेशान ...ना पैसा है ...और ना ही पता है ...की क्या और कैसे करना है .......

और आपने बस ...अपने कान में ...मोबाइल फोने पर गाने लगाये ......रिक्शे पर बैठे ....उससे पूंछा ....कितने पैसे ....दिए और चल दिए ......पर वो रिक्शे वाला ...वहीँ का वहीँ रहा ...उसे कुछ पता नहीं चला ...की क्या है ...दुनिया ....कैसे चल रही है दुनिया ....बस

खींच रहा है रेडी .....रिक्शा ...और उसे लगता है ....ऐसे ही चल सकती है ...उसकी दुनिया .....
दोस्त, कितना मुश्किल है ....जरुरत मंद ...को ये बताना ...की क्या और कैसे किया जाये .....
इस बीच अच्छी खबर ...ये की कमला ...मेट्रो से ....अस्पताल पहुँचाने में ...कामयाब हो गया ......
और आगे की ...जंग ...अब अस्पताल में क्या .....और कैसे ......
पर मुझे विश्वास है .....की अब वो कर लेगा ......पर हो सकता है ...की कहीं किसी मोड़ पर .....आपको कमला की मदद करनी पड़े ....नहीं पैसे नहीं देने है ....सिर्फ सही तरीका बताना होगा .....और जीत सकता है ...कमला ......नागेन्द्र शुक्ल

दोस्त, कहाँ थी ....खुद के पास इतनी अक्ल ....थोडा बहुत समझ और सार्थक काम करने का मतलब और तरीका ...सब ...एक ही आदमी ने सिखाये है ......और वो है AK ......और हिम्मत तब बढ़ी जब जमीन पर देखा ....आप के कार्यकर्ताओं को .....काम करते हुए ....दोस्त ....सच बात है ....अगर सिर्फ अरविन्द जी .....ने आँखे खोल दी हैं ...अब दिखना चालू हुआ है ...मुझसे ...और मेरे से बाहर भी एक दुनिया है ....और समझ आता है ...जब तक वो दुनिया ठीक नहीं होगी ....आप खुश नहीं हो सकते ...हाँ अपने को बिजी रख सकते हो ...पर खुश नहीं ...All Credit goes to AK and AAP,....Ground workers......thanks to everyone.
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