Saturday, April 13, 2013

1984 दंगे- इंसाफ अभी बाकी है..!

अजीब है हमारे देश की राजनीती और राजनीति करने वालों के तरीके .....
जब कभी आप एक दंगे के इन्साफ की बात करो ...तो इन्साफ की बात करने की बजाय ...दूसरे लोग ...किसी दूसरे दंगे के बारे में बता कर ...चालू हो जाते है ...तेरी साडी ...मेरी साडी ...सफ़ेद साडी ....

इनकी राजनीती के, तरीके की वास्तविकता ये है ....की तकरीबन हर पार्टी ने कभी ना कभी, किसी ना किसी तरह से हर दंगे का फायद उठाने की कोशिश की है ....किसी ने जनता के, पीडितो के इन्साफ की बात नहीं की .....किसी ने उसके दोषियों की सजा की बात नहीं की ....वो दंगा चाहे 1984 का हो या 1992 का हो या गोधरा या 2002 हो ....सभी में ....सभी ने ...देखा तो .......सिर्फ और सिर्फ ....

अपना अपना वोट बैंक ......अपनी अपनी राजनीती ......किसी ने जनता का दर्द नहीं देखा ...किसी ने ऐसा कुछ नहीं किया की ....जिम्मेवार लोगो को सजा हो ....... जनता को इन्साफ ....और ऐसी व्यवस्था .....की ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ...करने की,... किसी की हिम्मत ना पड़े ......ऐसा कुछ करने की कोशिश ..भी नहीं दिखाई देती मुझे .....

शर्मनाक है ....इनकी राजनीती ....शर्मनाक है इनके सत्ता को प्राप्त करने के तरीके ........और उससे भी ज्यादा शर्मनाक है ......इनकी राजनीती के तरीके पर विस्वास करने वाले ........आम जनता ....

दूसरी तरफ है जनता .....जनता जिसका धर्म,.... हर धर्म है ....जिसकी जरुरत ....शांति, सुरक्षा , सम्मान, शिक्षा, स्वस्थ, दो जून की रोटी ...वगैरह है ...
यही जनता है ....पीड़ित,... हर एक दंगे की .....आम जनता है ....देश है ...देश की व्यवस्था है ....पीड़ित,.... इन सारे दंगों की .......पर जो किया जाना था ...सरकारों की तरफ से ....व्यस्था की तरफ ..उस पर विचार करते भी ..कभी नहीं सुना मैंने .....

कहने को हमारे देश में ......हर धर्म और हर भाषा की रक्षा करने ....और उसकी बात करने के लिए .....कोई ना कोई दल / संगठन है .....

नहीं है तो ....देश की बात करने के लिए ...जनता की बात करने के लिए ...कोई राजनीतिक पार्टी ...या संगठन ......क्यों ?...

क्योंकि बाँट दिया है ..इन्होने देश को .....जाती धर्म और भाषा में ......पर ताज्जुब इस बात का नहीं ...की इन्होने क्या किया ....
ताज्जुब इस बात का है .....की हम बाँट गए ......और अब सब समझने के बाद भी सुधरने को राज़ी नहीं ....क्यों ?.....

अजीब है ...हर धर्म, जाती भाषा ...के लिए संगठन ...और साथ में ..कुछ कथित ....सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष )......अजीब है ....पर वास्तव में ....तो मुझे कोई नहीं दिखता धर्मनिरपेक्ष ......कोई नहीं दिखता जो देश की बात करे .....

29 साल का वक्त छोटा नहीं होता। 29 साल में लोगों की जिंदगियां बदल जाती है। 29 साल में एक बच्चा व्यसक हो जाता है। वो स्कूल से निकलकर अपने रोजगार में जुट जाता है,.....पर हमारी व्यवस्था ....इतने लबे समय में भी ...

29 सालों में कुछ लोगों के लिए कुछ भी नहीं बदला,........सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए दोबारा से मामले की जांच के आदेश देते हुए कांग्रेसी नेता टाईटलर के खिलाफ केस चलाने के आदेश दे दिया। लोगों के चेहरे में न्याय की उम्मीद की खुशी जरूर थी लेकिन मन में ये सवाल भी था कि 29 साल बाद फिर से टाईटलर के खिलाफ केस चलेगा तो उन्हें इंसाफ कब मिलेगा..?  कितना और वक्त इंसाफ मिलने में लगेगा..?

सवाल ये भी है कि जिस सीबीआई ने टाईटलर को क्लीन चिट देते हुए अदालत में केस बंद करने की अर्जी दे दी वही सीबीआई अब फिर से जांच करेगी तो कैसे ये जांच निष्पक्ष होगी..?

अंत में ...एक बात और ...मैं जानना चाहता हूँ ...की क्या हमारे देश में कोई भी पार्टी है ...जो धर्मनिरपेक्ष हो .....जो देश की बात करे .....जनता की बात करे ...मुद्दे की बात करे ....और बजाय तेरी साडी ...मेरी साडी के ....समाधान की बात करे .....

देश में सिखों की संख्या कम है ....इसलिए कांग्रेस अपने को धर्मनिरपेक्ष कहती है .....पर जिस आधार पर ....जिस सोंच के चलते ...और जिस काम के चलते ....वो किसी दूसरी पार्टी को कम्युनल होने ....का सर्टिफिकेट देते है ...क्या उसी आधार पर वो भी कम्युनल नहीं है ?.......

हाँ, हैं ....मैं तो पहले कह चुका हूँ ...हमारे देश में ...देश की जनता की ...कोई राजनीतिक पार्टी है ही नहीं ....

अच्छी बात ये ....एक नयी पार्टी ...आपकी पार्टी ..जिसका जन्म ही जनता के दुखो से हुआ है ......जनता से हुआ ...किसी जाति धर्म भाषा से नहीं ....जिसका जन्म ....जनता के द्वार ...जनता के लिए हुआ है ...और जिसके संविधान में ऐसी व्यवस्था है की ये पार्टी .....हमेशा जनता की पार्टी ही रहे ....वो है आम आदमी पार्टी ....और फक्र ..की आप उसके समर्थक ......
तो अब उम्मीद है ....बदल सकता है कुछ ....अगर आप ...बस आप जागरूक बने ...सतर्क रहे .....और इस पार्टी को साफ़ रख्खे ......और साफ़ रखने में मदद करे ........
तो हम जरुर होंगे ...कामयाब ....जल्द ही ...बदलने में इस व्यवस्था को .......बस आपका सहयोग ही आकांक्षी है ...और कुछ नहीं ....नागेन्द्र शुक्ल
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