Wednesday, April 10, 2013

पूँछ रहे थे की अनसन से मिला क्या ?.

दोस्त, आज अभी पार्क में घूमते हुए एक साहब मिले ....जिनको पहले भी कई बार ignore कर रहा था ...क्यों ? हर किसी को जवाब देना शायद जरुरी भी नहीं और मेरी आदत भी नहीं ...पर आज जवाब देना ही पड़ा .....

सवाल था की "वैसे तो वो अरविन्द को मानते है पर अनसन से खुश नहीं है, पूँछ रहे थे की अनसन से मिला क्या ?....बोले इतने दिन अनसन पर रहे ना ही मीडिया का कोई कवरेज ना ही कोई celebrity मिलने आया ....और फिर जब मन आया तो खुद ही तोड़ दिया अपना अनसन,....ऐसा क्यों ?

तो अब इसका क्या जवाब दे, पर मेरी समझ से कुछ बाते तो बेकार की है की मीडिया का कवरेज और celebrity का आना ....अब इन पर तो हमारा कोई control नहीं है हम क्या कर सकते है ....अरे जब हम सौ रुपये देकर किसी आदमी को अपनी रैली या मीटिंग में लाने के खिलाफ है ....तो हम कैसे किसी पत्रकार, मीडिया हॉउस या celebrity को ....बुला सकते है ....अब भाई ये तो जग जाहिर है ...की पैसा फेक तमाशा देख .....

अरे आप अपने बच्चे के मुंडन पर भी कर सकते है ऐसा कुछ ....अगर यही आपका उद्देश्य हो तो ....आसान है ...पर ये हमारा ना ही काम है और ना ही हमारे काम करने का तरीका .....खैर छोड़ो मुद्दे की बात करते है की अरविन्द जी को ...आप को मिला क्या इस अनसन से ?....

तो मेरी समझ से ...दो बाते साफ़ है
एक,..... की महत्वपूर्ण ये नहीं है की आपको मिला क्या ? .....बल्कि महत्वपूर्ण ये है की ...आपको चाहिए क्या था .....अगर जो चाहिए था वो नहीं मिला और बांकी कुछ भी मिला ....तो क्या मिला, कुछ नहीं मिला ....है की नहीं ....

तो ये जानने से पहले की उपवास से मिला क्या ....ये सोंचना जरुरी है की ....उपवास से क्या था ? .....

अगर आपको एक मोबाइल चाहिए ...और आपको एक ऐसा मोबाइल मिले जिसमे कैमरा, ब्लूटूथ, रेडियो ..वगैरह वगैरह सब कुछ हो .....पर बस सिग्नल ना आते हो ....तो क्या आपको मोबाइल मिला ?.....नहीं मिला ना ...तो अब

ये सोंचना जरुरी है की ....उपवास से चाहते क्या थे? .....
देखिये, जैसा की कहा जाता रहा है की ....आम आदमी पार्टी, अरविन्द जी मीडिया और सोशल मीडिया की दें है ...इनकी जमीनी कोई ख़ास उपस्थिति नहीं है ...वैसे ये बात तो गलत है ...पर इसमें एक थोड़ी सच्चाई भी थी .....और ये की अरविन्द जी के बहुत सारे समर्थक थे मेरे जैसे .....

मेरे जैसे से मतलब ....की फसबुकिया ...बस फेसबुक पर बाते करवा लो .....जमीन पर काम कने में ..बीमार हो गए ....और सच बात तो ये की मैं तो वाकई हो गया था ......पर ...इस उपवास के दौरान आम आदमी पार्टी की चाहत सिर्फ इतनी थी .....की हमारे शर्मीले और सिर्फ बात करने वाले समर्थक ..जरा जमीन पर निकले ...सड़क पर निकले और ...लोगों से मिले ..उनकी झिझक खुले .....लोगों से बात करे ....और आम जनता को भी पता चले की ....क्या और कैसे करना चाहते है हम ....और बस यही चाहिए था ....

वैसे हमारे जैसे ...लोगो की एक और दिक्कत है जब तक ऊपर कोई दबाव न हो हम कुछ करते नहीं .....काम चोर है एकदम .....और इस उपवास से मन मे एक चिंता हुई ....और उसी चिंता से आत्मिक दबाव बना की ...भाई अगर अरविन्द का उपवास तुडवाना है ...तो काम तो करना पड़ेगा ...झिझक को छोड़ना पड़ेगा .....और घर से निकलना पड़ेगा ......

उपवास के 7 / 8 दिन के बाद ये दबाव इतना बढ़ा की मेरे जैसे काम चोर भी ...निकल पड़े अपनी टोपी लगा कर ....और घुमे सड़क पर मिले लोगों से .....और बस ...अब पद गयी एक आदत ......लगाने की अपनी टोपी ......अब दिखती है ये टोपी ...सड़क पर ...आज भी ....बड़ी आसानी से .....
तो बस दोस्त हमें तो यही मिला ...हमें कार्यकर्ता का आत्मविश्वास ....और जनता का जमीनी जुडाव ..बस मिला और यही चाहिए था ...किसी सरकार , मीडिया, सेलिब्रिटी से कुछ नहीं चाहिए था .....

पर लोगो की एक परेशानी है जब तक tangible कुछ ना मिले .....वो मानते ही नहीं कुछ मिला .....तो एक बात बता दे की ......मिला है tangible भी और वो है ये खबर .....अगर ये उपवास ना होता .....अगर आप घर से निकल दस लाख लोगों से मिले ना होते .....ये खबर कुछ और होती .....ये नहीं .....

तो अंत में ये बता दे की सबको कुछ ना कुछ मिला है ....
अरविन्द जी, को जमीनी कार्यकर्ता, .......कार्यकर्त्ता को जमीन पर काम करने का हौसला ......जनता को एक सच्ची लोकतान्त्रिक पार्टी के बारे में पता चला ...और जनता को ....आज मिल ये अच्छी खबर .....

हां इससे उनको भी मिला है ...जिनके दिल में नहीं ....दिमाग में है अरविन्द जी ...मतलब उनके विरोधी .....उनको मिला है एक "स्टील का गिलास "......
सबके लिए कुछ न कुछ है ....पर जिसको जो चाहिए था ...वही मिला ...उसकी अपनी - अपनी नियत ...और सोंच के हिसाब से ....नागेन्द्र शुक्ल

वो अच्छी खबर ये है http://aajtak.intoday.in/story/proposal-to-hike-power-tariff-for-south-west-delhi-postponed-1-726924.html

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