Tuesday, February 5, 2013

मैं बेल दे रहा हूँ और आप ले नहीं रहे ऐसे मैं मुझे कानून पढना पड़ेगा के ऐसी स्थिति मैं क्या करूँ.

दिल्ली में सर्दी के सीजन की रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई - परन्तु अगर आप TV पर लगातार इस खबर को नहीं सुनते तो ...शायद आपको पता ही नहीं चलता की बारिश हुई या नहीं .....मीडिया ...जिसको लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है ..... कहा तो सही ही जाता है .....जब इस देश में लोकतंत्र ही बिक चुका ....तो ये चौथा स्तम्भ ....कैसे बच सकता है बिकने से ....

मुझे याद है, अपने एक भाषण में अरविन्द जी ने कहा था की " पहले में समझता था की ये बहुत ताकतवर लोग है ....पर सच ऐसा नहीं ...ये तो वास्तव में बड़े ही डरपोक लोग है ".....इतने डरपोक की ...

ना सच बोल सकतें है ....ना ही सच देख सकतें है ...और ना ही सच को प्रसारित होने दे सकतें है ....

पर अरविन्द जी ....ये सिर्फ डरपोक ही नहीं ...ये मूर्ख भी है ...शायद इनको नहीं पता ...की सच को रोक पाना ...इनके बस में नहीं है ...अब जनता जाग रही है ....अब तो एक दम नामुमकिन है .....इनका डर इस कदर बढ़ चुका है की किसी ने इनके खिलाफ एक कार्टून बनाया ...कोई मजाक उडाता कमेंट लिख दिया ...तो बस हो गया देश द्रोह ...पकड़ो इसको .. डालो जेल में नहीं तो ...ये लोकतंत्र के लिए खतरा बन जायेगा .....

अजीब बात है ..इस देश में आपने बस किसी नेता के खिलाफ बोला ....भ्रस्टाचार के खिलाफ बोला ...तो बस आ गया देश, व्यवस्था और लोकतंत्र खतरे में ....क्योँ ?...कैसे ?....

क्या इससे सिद्ध नहीं होता की हमारे देश में लोकतंत्र का अर्थ ...सिर्फ इन भ्रस्त लोगो के हांथो में उलट पलट कर सत्ता देना ही रहा गया है ....क्या सच नहीं की सिर्फ भ्रस्ताचार को ही ..हमारे देश की व्यापक व्यवस्था बना दिया गया है ....
एक आदत सी डाल दी गयी है ...की भाई ....अगर इस भ्रस्ताचार का नशा नहीं करोगे ...तो जियोगे कैसे ...मर जायेगा देश, और लोकतंत्र .....

खैर गुस्सा इन नेताओं पर नहीं आता ..गुस्सा इस मीडिया पर भी नहीं आता ..गुस्सा तो सिर्फ ..इस जनता पर आता है ...जो सब कुछ झेलती है ....बात बार पर हर चौराहे और नुक्कड़ पर अपना रोना रोती है ...पर जब कुछ करने का नंबर आता है ...तो बस ...इनके ज्ञान चक्षु खुल जाते है ...और अपने ज्ञान की कसौटी पर ...कश कर बता देते है ..की भाई कुछ नहीं हो सकता इस देश का .....

पटियाला कोर्ट के जज नेँ कहा आज तक भगत सिँह को देखने की आशा करता था ,पर आज अरविन्द के रूप मेँ देख लिया । जज ने कहा, "मैं बेल दे रहा हूँ और आप ले नहीं रहे ऐसे मैं मुझे कानून पढना पड़ेगा के ऐसी स्थिति मैं क्या करूँ.".....लो जी जज साहब ये क्या निकल गया आपके मुंह से ...बस खैर मनाइए की आपके पास भी सम्मन न जाये ...और कहीं आपको ही अब कटघरे में खड़ा न होना पड़ जाये ....पता चला की अगली तारिख से पहले ..आप ही लगे हो लाइन में ....

नहीं मैं अरविन्द जी की तुलना किसी से भी नहीं करता ...किसी से नहीं .....कभी भी नहीं ...क्यूंकि अरविन्द जी ....सिर्फ एक है ...और सब है ...हर कोई जो जाग रहा है ...जिसे वाकई में देश और अपने बच्चो के भविष्य से प्यार है ...जो चाहता है ..की उसके साथ साथ ..उसका पडोसी भी खुश रहे ....वो हर कोई कुछ प्रतिशत ..अरविन्द जी है ...कोई कुछ भी कहे ..कोई कुछ भी तर्क दे ...पर मैंने जो अपनी जीवित आँखों से देखा और सुना है ....वो अतुलनीय है ....

पर इन ज्ञानियों का क्या करूँ ..पास में रहने वाले एक कांग्रेस के विधायक जी के इलाज़ करने आये ...काफी ज्ञानी डॉक्टर साहब ने अन्दर से बाहर निकलते ही ....अपने ज्ञान का पिटारा खोला ...और बोले ..."क्या ऐसे करने से केजरीवाल जनता को लुभा पाएगे"....

अब क्या बोले ऐसे ज्ञानियों को ....की अरविन्द जी को अगर जनता को लुभाना ही होता ...तो रास्ते और भी थे ...और आसान भी ...पर अरविन्द जी ने तो हमेशा जनता को जगाने का ही काम किया है ....उनको लुभाने का नहीं ....डॉक्टर होने के बावजूद हो सकता है की आप ...बजाय मरीज का इलाज़ करने के ...उसको लुभाने का प्रयास करतें हो ......क्यूंकि आपको ....अब ये कॉलोनी कुछ पसंद कम आ रही है ...और DLF का एक फ्लैट जो लेना होगा ....अजीब लोग है ये ...हर बात में अपना दिमाग ...एक डिग्री क्या मिल गयी ..बस ज्ञानी हो गए ...लगे जनता को बताने ...और जनता भी ...की हाँ भाई डॉक्टर साहब बोल रहे है .....सही होगा ...पर आज के बाद तो दाँव उल्टा पड़ गया ...अब डॉक्टर साहब को जल्दी ही ....खरीदना पड़ेगा ..या शायद किसी मंत्री - संत्री का इलाज़ करते हुए दान में ही मिल जाये ...नया घर ....

हम जानना चाहतें है ..की और कितने लोग है ..जो सहमत है ...डॉक्टर साहब से ?.......
क्यूंकि अब हम चुप नहीं रह सकते ...क्यूंकि अब हम डरते भी नहीं .......और ये ताकत और हिम्मत दी किसने ?.......नागेन्द्र शुक्ल

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