Sunday, February 17, 2013

...यही तो है आम आदमी ....


कई बार सोंचा ...कौन,....है कौन?… ये आम आदमी, ....शायद यही तो है आम आदमी ...कई दिनों से फेसबुक से पूरी तरह दूर ....थोडा व्यस्त कभी इधर, कभी उधर ....और हर तरफ,...बस मिलते रहे आम आदमी ...ख़ास आदमी ....और हो गया थोडा confuse ....समझ नहीं आया ...कौन है आम आदमी .....और कौन ख़ास आदमी .....कुछ ऐसा लगा ..ये हम और तुम ही तो हैं .......

जो बन जाते है ..कभी आम और ख़ास ...
थोडा अजीब है ....ये हम ही तो है ...जो बन जाते है ....कभी आम ..और कभी ख़ास ....बस जगह - जगह और...समय समय की बात है ......

-- कभी confuse होता है ...तो कभी confuse करता है ....बस यही तो है आम आदमी ....होता तो ये आम आदमी ही है ....पर  करता, हमेशा कोशिश ख़ास आदमी बनने की .....यही तो है आम आदमी ....

-- पर तज्जुब है .....की कोशिश कितनी भी करे,....आम,.... बनने की ख़ास  ....पर दिखता है हमेशा आम ....और गरीब ही ....
कभी धन से, ...तो कभी मन से,.....तो कभी तन से ,....तो कभी बुद्धि से ...

सड़क पर ....या जिधर भी गया ..जिससे भी मिला .....ना कोई पूरा आम मिला .....ना पूरा ख़ास .....ना ही कोई पूरा अमीर ..और ना ही ....कोई पूरा गरीब ....

इसे कभी किसी का दुःख ...सहन करना असंभव होता है ....और कई बार किसी के सुख को.....यही तो है ..आम आदमी ....

-- थोडा ढोंगी ....नहीं है ..आम आदमी ....हम और तुम .....क्या लगता है ?....
नहीं जल्दी नहीं है ....कभी बाद में सोंचना ...पर एक बार सोंचना ......अरे सोंचने में पैसे थोड़े ही ....न लागतें है .....यही तो है आम आदमी .....और क्या ?....

अब जब सोंचना ....तब ये भी सोंच लेना ...की क्या थोड़े जिद्दी नहीं हम ...और तुम ?.....

-- वैसे तो जिद्दी होना बुरी बात है ....क्योँ क्या कहते हो ?.....पर जिद्द भी तो तरह - तरह की होती है ....और किस - किस तरह की आपको पता ही होगा,...

-- पर जिद्द के साथ,...एक अच्छी बात भी है .....की कोई - कोई जिद्द, बहुत अच्छी होती है ......

हमें - आपको ......क्या नहीं बना सकती, ये जिद्द .....पर हमारी और आपकी ...यही जिद्द ...इतना नुकसान भी पहुंचाती है ......की कोई दूसरा ...बड़े से बड़ा ...दुश्मन भी नहीं .....

-- तो हर जिद्द या तो अच्छी होती है ....या फिर बुरी ....या यूँ कहें ....ना ही अच्छी होती है ....और ना ही बुरी .....
-- जिद्द तो वास्तव में बस जिद्द होती है .....

बस जिददी है ....आम आदमी ....
किसी को बत्ती बुझाने की जिद ....तो किसी को जलाने की .....बस सफ़र कट रहा है .....जिंदगी का .....आम ....ख़ास ...ख़ास ...आम ...चलती है जिंदगी .....यही तो है ...आम आदमी ..और क्या ?.....
दिल - दिमाग दोनों होते है...अच्छी बात ये ..की हम दोनों का उपयोग जानते है ....पर कब - कहाँ किसका करना है .....यहीं चूक जाता है ..आम आदमी .....और जो नहीं चूका ...हो गया ख़ास आदमी ....ये दिल और दिमाग का  ..प्रयोग ही बनाता है, आम - ख़ास आदमी ...

और गड़बड़ तब ...जब दिल - दिमाग के प्रयौग में हो अदला - बदली ....अगर सीख ले इनका ...सही - समुचित प्रयोग ....तो बस life set ....और क्या है ....आम आदमी ...

कोई करता है ...विस्वास अपने पर ...कोई नहीं ....पर करना तो चाहिए भरोषा अपने पर .....कब खुद पर - कब दूसरे पर ..करे भरोसा ...थोडा confuse है ...आम आदमी .....पर क्यों है confuse आम आदमी ?.....सोचता नहीं ...तोडा बिजी है आम आदमी .....

--- बस आम ही आम है.....आदमी ...कोई ख़ास नहीं ....कुछ होंगे ख़ास ....पर मुझे मिलते ही नहीं .....कभी शायद दिख जाते है टीवी पर ....और शायद वोही है ...जो होंगे ख़ास आदमी .....

-- ये आम से ख़ास ...ख़ास से आम ...का ही खेल खेलता है ....आम आदमी ....और क्या है ...आम आदमी ?....

-- मैं तो सपोर्ट करता हूँ ...अरविन्द जी को ...क्यों ये भी जनता हूँ ....आप भी करते होगे किसी ना ...किसी को .....और क्योँ ....शायद जानते होगे ...आप .....

थोडा confuse तो है .....पर कभी ...ना कभी ...तो सोंचता है ...आम आदमी .....आप भी सोचना ...किसे और क्यों ...support करता है आम आदमी ....

आखिर चाहता क्या है ...आम आदमी ?......कभी - कभी ....कुछ - कुछ  समझ ....नहीं पाता है ...आम आदमी ?.....पर ऐसे ही चलता है ....आम आदमी .......नागेन्द्र शुक्ल
थोडा
confuse
आम आदमी?
क्या जिददी है ....आम आदमी?
चाहता क्या है ...आम आदमी ?
पाता क्या है .......आम आदमी?
समझ ....नहीं पाता है ...आम आदमी ?


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