Tuesday, October 16, 2012

बीजेपी समर्थकों के लिए ..........

बीजेपी समर्थकों के लिए ..........कुछ ही समय के बाद............अरविन्द जी ........कोई बड़ा खुलासा करने वाले है.......अगर मीडिया कि माने तो वो महानुभाव ......गडकरी जी हो सकतें है.......वैसे मेरी नज़रों मैं गडकरी जी ......तो कभी नेता थे ही नहीं.......सिर्फ एक व्यापारी ही थे ||
नाज़ुक परिस्थिति ..........को भापते हुए...........
हलाकि, BJP  ने अपने हथियार तो पाहिले ही डाल दिए है.....और चिल्लाने लगें है .....ये बताने लगे ...कि वो कांग्रेस से भी कहीं ज्यादा  बेशर्म है................और सुनतें रहेंगे..........कोई  कुछ भी कहें..........
अरे बीजेपी वालों............तुम और कर भी क्या सकते हो..........कोई रास्ता ही नहीं आपके सामने.........अपनी बची कुची इज्ज़त को ढकने कि कोशिश के लिए ...........अगर कुछ उल्टा सीधा बोल दिया तो ......कांग्रेस से भी बुरा हाल करेंगे ||
चलो सही है, दूसरों से जैसे भ्रस्ताचार सिखा था .........बेशर्मी भी सीख ली ...........

अरविन्द जी, ने सच ही बोला था...........कि दोनों......दोनों नहीं तकरीबन सभी मिलें है..........विपक्ष सिर्फ और सिर्फ आम आदमी है ........और कोई नहीं ||
हालात ये हैं कि ...........ईमानदार सिर्फ और सिर्फ वो ही बचा है ......................जिसे बईमानी का मौका नहीं मिला.........सच है ...........

मैं बिना किसी हिचक के.....यह बताना चाहता हूँ कि......मैं उस दिन तक, जिस दिन तक अन्ना ने अरविन्द जी को ........समर्थन  देने से मना किया था..........
BJP का ही समर्थक था.....वो इसलिए  नहीं कि मैं बीजेपी कि किसी ideology को मानता था.........उसका कारण सिर्फ एक और एक ही था.......और वो मेरी सोंच .....और किसी बेहतर ....विकल्प का उपस्थित ना होना.....
मुख्या रूप से दो ही बातें थी जो मुझे बीजेपी से जोड़ देती थीं.......
1 . मैं पूरी और पूरी तरह से regional पार्टी के खिलाफ था .
2 . मैं कांग्रेस का ....धुर विरोधी था....और हर उस पार्टी का .......जिसमें एक ही व्यक्ति कि चलती हो ......चाहे वो कोई भी हो.....वो पार्टी जिसमें खुद लोकतंत्र नहीं .....वो क्या समझेगी लोकतंत्र क्या है....
बस ये ही दो मुख्य कारण थे |
परन्तु मन मैं ......हमेशा से अन्ना जी और अरविन्द जी के लिए सम्मान था.......जिस दिन तक अन्ना ने अरविन्द जी को  ........समर्थन  देने से मना किया था.........
उस दिन लगा ......कि जैसे सच्चाई मर रही. है .........और बस सोच लिया .......अब अगर अरविन्द जी, का साथ नहीं दिया तो ......ना ही देश का कर्ज उतरेगे ..................ना ही धर्म का..........और आत्मा हमेशा कचोटती रहेगी......एक घुटन होगी.......
और बस कूद गया .....पूरी ताकत और जोश के साथ.........सच बोलूं तो ............इतनी संतुष्टि ......कि अनुभूति पाहिले कभी नहीं हुई थी .........कसम से लगा रहा है ...........जीवन काम आ गया.....

मेरे कुछ ख़ास दोस्तों ने ......सुरुवात मैं मैं मुझे समझाने कि काफी कोशिश कि.........
कई तर्क भी दिए......बहुत सवाल पूंछे....जिनके उत्तर शायद अभी तक नहीं दिए मैंने .......छमा करना .....पर अब सिर्फ अरविन्द जी के समर्थन के सिवाय कुछ सोंचने कि शक्ति नहीं रही.......
कई ने तो ये तक बोला कि ...................अरविन्द जी, समर्थन करके.......तुम कांग्रेस का समर्थन कर रहे हो......एक बार तो लगा कि शायद ...सही बात है .......परन्तु आत्मा ने इतना ....धिक्कारा इतना धिक्क्कारा...कि अपने आप को रोक नहीं सका.....
मैं आपको ये कहानी इसलिए बता रहा हूँ क्योँ कि मुझे ऐसा लगता है ....कि जिस मनोदशा ....मैं मैं था ......हमारे कई कई ....दोस्त अभी भी है .......हो सकता है कि ....इस कहानी से अपना फैसला लेने मैं मदद हो ||

मैं अनुरोध करता हूँ ...................बीजेपी के उन सभी समर्थकों से जो अभी भी किसी भी प्रकार कि दुविधा मैं है
...........एक बार ईमानदारी से विचार करें - अति कृपा होगी ||
और मेरा पक्का वादा है .....कि आपका आत्म सम्मान ............अपनी ही नज़रों मैं कई कई गुना बढ़ जायेगा || इसे महसूस कर के देखो ||
...........अगर अच्छा ना लगे तो माफ़ कर देना.......प्रशन मत करना ...........मैं उत्तर नहीं दूंगा ..........सलमान खुर्शीद कि तरह..........हाहाहा.......
..........एक बीजेपी का पूर्व समर्थक ............नागेन्द्र शुक्ल

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