Monday, October 15, 2012

...क्या बात है.............क्या सरकार चलतें है .............

आज अरविन्द जी, ने बहुत सारे नए तर्क दिए...और ये सिद्ध किया की ....सलमान जी झूंठे है...........
ये सिर्फ उनके लिए थे ....जिनको अभी भी जरा सा विस्वास बचा है या उनके चमचे......या गुलाम है.......
हमें तो अब कुछ नहीं सुनना..........हमें पक्का पता है.....

अरविन्द जी ने बहुत....कुछ बताया..........माफ़ कीजिये .......पर सिर्फ एक ही बात याद रही.....की

NGO , ने कुछ लोग जिनके .........पैर में दिक्कत थी ...उन्हें .....कान की मशीन दी.....क्योँ भाई ...क्योँ दी कान की मशीन.......
कई कारण है.......
१. एक तो ये सरकार........सुनने में नहीं ........सिर्फ सुनाने में ही विस्वाश रखती है ........और बोलने नहीं देती.....
पर अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे....
तुम सुनो ना सुनो .....अगले चुनाव में.......तुम्हे...सुनाने लायक ....नहीं छोड़ेंगे.......
ये तो पक्का है ...............पक्का है ना दोस्तों...?
२. इसमें .....हमे कुछ ख़ास ......आश्चर्य नहीं हुआ ............क्योँ भाई...क्योँ नहीं ?
वो इसलिए ....क्योँकी ...जिस सरकार के ये मंत्री है ......और जिस परिवार के संतरी.........
उनके काम करने का तरीका............ही यही है............
कुछ मत सुनो......किसी की मत सुनो......
ठीक है भाई........मत सुनो.......क्या कर सकतें है .......आपकी मर्जी.....आपके संस्कार........

हम बोलते ही कब थे............हमें...अभी हाल ही में तो .....मुंह मिला है.........
जबसे हमें ........................................................अरविन्द मिला है.............
अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे.........
तुम बोलते रहो .........चिल्लाते रहो......................हम कान से बहरे हैं.........
तुम्हारी ................नहीं सुन सकते...................
तुम किसी को भी .............कितनी भी.........कान की मशीन .....बांटो....
और अब हमें........चाहे जितना........डाटो.............
हम नहीं सुनते....हम नहीं सुनते........
अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे.........

३. और प्रमुख कारण..............इनकी सरकार भी तो यही करती है.........
मांगो पीने का पानी .......तो चौराहे पर .....फाउनटेन.......लगवातें है.............
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......
बोलो की महंगाई ......बहुत है .......तो.......दारू के दाम घटातें है.........
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......

गर कोई बोला........समर्थन.....वापस लेतें है .......तो .........CBI के ...केस खुल जातें है .......
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......

जीतने के लिए चुनाव.......पैसा बहुत बहातें है............ना जाने कहाँ - कहाँ .....से ले कर आते है.....
जितने के बाद......जिनसे लिए थे पैसे.......उनके पैर...दबातें है ......
अरे क्या ......बोलूं........दलाल बन जातें है...............
क्या बात है.............क्या सरकार चलतें है .............

आने दो 2014 ..........हम तुमको...बतातें है.........
अभी थोडा busy हैं ...............रुको.....हम अब संसद आतें है........
और बताते है .......................कैसे सरकार चलतें है.........क्योँ दोस्तों.....
बताएँगे ना......इनको सबक सिखायेंगे ना.....?


लगा दो इतना जोर.........मचाओ इतना शोर........कि..........

बिन मशीन के हम सुनने लगें...............और अपना मुंह .........खोलने लगें......


.........पर मत भूलना .........हम कौन............आम आदमी......
..........नागेन्द्र शुक्ल


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