Thursday, January 23, 2014

हां! हम नए हैं. हम सब पहली बार मंत्री बने हैं. हम पहली बार सरकार चला रहे हैं...

हां! हम नए हैं. हम सब पहली बार मंत्री बने हैं. हम पहली बार सरकार चला रहे हैं... लेकिन ज़रा याद तो करिए कि इस 'नए..अपरिपक्व...लोगों की सरकार ने महज़ २० दिन में क्या क्या कर लिया है -
1. सरकार बनते ही नेताओं और अफसरों की गाडियों से लाल और नीली बत्तियां हटाने का आदेश. ये बत्तियां सत्ता के अहंकार का प्रतीक बन चुकी थीं
2. आते ही बिजली के दाम आधे किए.
3. बिजली कंपनियों का आडिट शु्रू करवाया, जोकि कई साल से रुका पडा था
4. हर घर को 700 लीटर तक पानी रोजाना मुफ्त किया
5. दिल्ली में 5500 नए आटो परमिट जारी किए
6. रैन बसेरों की संख्या 175 से बढाकर 230 तक कर दी. बसों में रैन बसेरे जैसे अभिनव प्रयोग किए. दिल्ली के बेघर लोगों के लिए ठोस नीति बनाने का काम चालू कर दिया गया है
7. एफ.डी.आई. में विदेशी निवेश का फैसला वापस लेकर दिल्ली के लाखों खुदरा किराना विक्रेताओं को राहत दिलवाई
8. भ्रष्टाचार के खिलाफ हेल्पलाईन शुरू, जिसकी वजह से रिश्वत मांगने वालों में खौफ बढ़ रहा है
9. निजी स्कूलों में नर्सरी एडनिशन में मदद के लिए शिक्षा मंत्री की हेल्पलाईन.
10. एक एक सरकारी स्कूल में पानी, शौचालय आदि के इंतजाम का बारीकी से निरीक्षण कराया गया. एक सप्ताह तक चले अब इस व्यापक अभियान के बाद हर स्कूल को यह सुविधाए तुरंत ठीक करने के लिए अतिरिक्त फंड दिया गया
11. दिल्ली के कालेजों की गवर्निंग काउंसिल सदस्य बनने के लिए पहली बार विज्ञापन के जरिए शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया है, जबकि अब तक केवल राजनीतिक संबंधों के आधार पर शिक्षा मंत्री यह नियुक्तियां करता रहा है
12. उच्च शिक्षा में छात्रों की सहायता के लिए 10,000 नई स्कालरशिप
13. पानी के टैंकरों की पूरी जानकारी नेट पर उपलब्ध कराकर टैंकर माफिया पर अंकुश लगाया
14. पर्यावरण के नजरिए यमुना के लिए खतरनाक मिलेनियम बस डिपो को हटाने का निर्णय
15. इस सरकार के मंत्री रात रात तक जनता के साथ, उसके मसलों पर घूमते हैं

इसके अलावा जिन मसलों पर काम लगभग हो चुका है, या शुरू किया गया है और आने वाले दिनों में इसके नतीजे देखने को मिलेंगे -
1. जनलोकपाल कानून
2. स्वराज कानून
3. महिला सुरक्षा दल के लिए कानून
4. अनियमित कालोनियों को नियमित करने पर जोर शोर से काम चल रहा है
5. झुग्गियों के पुनर्वास के लिए नीति पर काम चल रहा है और आदेश जारी किया जाने वाला है कि तब तक झुग्गियों को तब तक तोडा ना जाए
6. दिल्ली सरकार में वर्षों से खाली पडे 35000 हजार पदों पर नियमित नियुक्तियां करने का कार्य शुरू. इसके साथ ही ठेके पर या अनियमित नौकरी वाले सभी पदों पर नियमित नियुक्तियां करने का कार्य शुरू
7. 197 नए स्कूल संभवत: एक से डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जायेंगे
8. दिल्ली जल बोर्ड और कामनवेल्थ खेलों की फाईलें पढी जा रही हैं, इसमें से जल्द कुछ निकलेगा

इस सबके बाद भी हम अपरिपक्व ही हैं. मुझे नहीं पता कि दिल्ली के साथ ही चुनाव के बाद बनी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ की सरकारों ने ऐसा क्या कर दिखाया है कि कुछ चैनल, अखबार उनकी परिपक्वता का लोहा मानकर उन्हें भूल ही गए हैं. शायद चुनाव जीतने के बाद इन सरकारों ने कई बड़े काम कर दिए हैं जो उनकी परिपक्वता की पहचान बन गई है़।
अब जरा हम उन तर्कों पर भी नजर डाल लें जिनकी वजह से हमें अपरिपक्व बताया जा रहा है -
1- राखी बिड़ला के कार का शीशा टूट गया
2- सोमनाथ भारती ने अपने लाॅ सेक्रेटरी को कुछ कह दिया
3- सोमनाथ भारती को 10 साल पहले एक गवाह से बात करने के लिए डांटा गया था
4- सरकार के मंत्री जनता के चल देते हैं
5- बिन्नी ने बयानबाजी कर दी।
6- जनता दरबार में ज्यादा भीड़ आ गई
7- अरविंद केजरीवाल को क्यूं नहीं पता चला कि पुलिस कमिश्नर छुट्टी पर नहीं हैं

मेरी जानने की जिज्ञासा है कि आजाद हिंदुस्तान में बनी किस सरकार ने इतनी तेजी से महज 20 दिन में इतने बड़े-बड़े फैसले लिए हैं?

हमें इस पर गर्व है कि हम राबड़ी देवी जैसे परिपक्व नहीं हैं। हम अखिलेश यादव की तरह परिपक्व नहीं हैं। हममें येदियुरप्पा, निशंक, गडकरी जैसी परिपक्वता नहीं है। हमें ए राजा, कलमाडी जैसी सरकार चलाने की समझ नहीं है।
जी हां, हम नये हैं और हम जो कर रहे हैं अगर वह अपरिपक्वता है तो हम ता-उम्र अपरिपक्व रहना चाहेंगे।

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