Wednesday, January 1, 2014

मैं नहीं जानता, अरविंद केजरीवाल कितने सफल हो पाएंगे।

मैं नहीं जानता, अरविंद केजरीवाल कितने सफल हो पाएंगे। उनकी पार्टी और उनके साथी इस देश से और समाज से करप्शन को किस हद तक मिटा पाएंगे, राजनीति को कितना शुद्ध कर पाएंगे? लेकिन मैं उनको और उनके तमाम साथियों को इस बात के लिए सलाम करता हूं कि उन्होंने कोशिश की।

अरविंद केजरीवाल की यह बात बार-बार कानों में गूंजती है कि यदि राजनीति कीचड़ है तो हमें इस कीचड़ में घुसकर ही उसे साफ करना होगा और यदि नहीं कर पाए और नष्ट हो गए तो हम समझेंगे कि देश के लिए कुर्बानी दे दी।

मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं।

हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

देश और दुनिया के समस्त अरविंद केजरीवालो, हमें माफ करना। हम कमज़ोर लोग हैं, हम डरपोक लोग हैं, लेकिन हम तुमसे प्यार करते हैं और हम तुमको सलाम करते हैं। हम चाहते हैं कि तुम अपनी कोशिशों में कामयाब रहो ताकि इस हताशा के माहौल में उम्मीद के दीए जलें और इस देश में हज़ारों-लाखों केजरीवाल पैदा हो सकें।

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