Wednesday, January 10, 2018

हे मूर्ख ,.. धर्म का विरोध ही - तेरा धर्म है !!

धर्म ,...
धर्म ,.. जो कुछ भी है ,.. व्यक्तिगत है ,... सामूहिक नहीं

मेरी समझ ये नहीं आता ,..
कोई भीड़ ,... कोई समूह ,..
धर्म के लिए लड़ कैसे सकता है??
क्योंकि ,....
क्योंकि धर्म ,....
धर्म,....नाम की जो चीज है,...
वो हो ,.. चाहे जो ,..
चाहे जो कुछ भी हो ,...होगी व्यक्तिगत,..
,... सामूहिक नहीं ,...

तो जो चीज ही व्यक्तिगत है - उसके लिए समूह कैसे लड़ सकता है ??
व्यक्तिगत ?,...
जैसे बिच्छू का धर्म ,... डंक मारना ,..
और ,..
साधू का धर्म ,.. बिच्छू को बचाना ,...

वैसे धर्म ,..
कोई सीधी लाइन भी नहीं ,.... और स्थूल भी नहीं की ,...
बाहरी कारक प्रभाव ना डाल सके ,..
परन्तु ,...
जिसका जो धर्म हो ,... होना ऐसा चाहिए की.... बाहरी कारक प्रभाव ना डाल सकें !!

एक उदाहरण ये है की ,...
"वो कहते हैं ,... वो नास्तिक है ,...
हम कहते हैं ,...
हे मूर्ख ,.. धर्म का विरोध ही - तेरा धर्म है !!"

बाँकी  - कभी बाद में ,...

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