Saturday, April 8, 2017

पौधा हूँ ,.... बुधई काका वाला

बुधई काका वाला ,...वो नीम का पेड़ नहीं हूँ ,..
मैं तो पौधा हूँ ,....
वो पेड़,...
वो पेड़ तो कट चुका ,... वहाँ सड़क चौड़ीं हो चुकी ,...
निकलते हो तुम - वहाँ फर्राटे से ,...
दफ़्न हैं वहाँ उसकी जड़ें अभी तक ,...
हाँ वहीँ ,...
हाँ वहीँ जहाँ खड़ी है,... तुम्हारी कोठी शान से ,...
छोड़ी थी जो तुमने ,.... जगह कच्ची अपने मकान में ,...
जागी थी उम्मीद मेरी ,...
बने थे सपने ,... रहूँगा ,.. तुम्हारे साथ ,...
पर उम्मीद टिकी नहीं ,...
वो तुमने जो ,.. लॉन बनवा लिया ,..
नीम छोड़,... कैक्टस उगा लिया ,...
छाँव की तुम्हे क्या चिंता ,...
उसके लिये ,... वो हरी वाली ,.. चादर लगा लिया,...

उग आया हूँ ,... कोठी के सामने ,.. सड़क के उस पार ,...
नहाती है रोज ,... तुम्हारी गाडी ,..
मैं ,..
मैं नहाया था ,.. पिछली बारिश में ,...
फिलहाल तो मैं दिखता भी नहीं ,..
मेरे ऊपर है इतनी धुल चढ़ी ,...
दिखूँगा ,... बारिश में अगली बार ,...
मैं पौधा हूँ ,.. अभी जिन्दा हूँ ,...
......to be continued,.....#NagShukl #ChaloDeshSudhare

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