Tuesday, December 6, 2016

हमारे पुश्तैनी घर में एक कोठरी थी ,...

हमारे पुश्तैनी घर में एक कोठरी थी ,...
उसमे नीचे से ऊपर तक सिर्फ मटकी ही मटकी होती थी,...
सब में गेरू से लिखा होता था ,... माघी मूँग, कतिकही उरद, भदैली मूँग, K-68, अगहनी अरहर ,.... आदि इत्यादि

कम से कम 50 से 60 तरह के अलग अलग - बीज होते थे उन मटकियों में ,...
तो ,.. तो मुझे तो कोई हैरानी नहीं हुई ये जानकार की हमारे देश में 65 हज़ार से ज्यादा तरह की ,... दालें थी
आपको ताज्जुब हुआ हुआ हो तो हुआ हो ,....
पर अब ,...
अब बची है ,...टाटा आई शक्ति दाल, पतंजलि दाल, अडानी तुवर दाल, रिलायंस फ्रेश दाल ,....
आदि इत्यादि ,...

कितना ,...
कितना भयानक नुक्सान हुआ है हमारे देश की ,....बौद्धिक सम्पदा का ,...
शायद ये नुकसान ही,... वो नुकसान है ,...
जिसने सोने की चिड़िया को ,.... यहाँ बूँद बूँद - पानी को तरसा दिया ,...

इस विकास ने ,...
इस विकास ने हमें पिज़्ज़ा, मोबाईल इन्टरनेट दिया ,... पर ,...
हमें पानी बेंचने और खरीदने पर मजबूर कर दिया ,...
और झुठला दिया उस कहावत को ,... जिसमे कहा जाता था ,...
"पानी से पतला क्या है",...

खैर विकास ,.... अभी जारी है ,..
देखो कौन - कौन,... जा के चाँद पर टिकेगा ,...
कौन मंगल, बृहस्पति , बुध पर ,...

देखो जाना तो पड़ेगा ,...
क्योंकि ,... धरती को तो ये "विकास",....
मात्र एक "कबाड़ खाना" बना के छोड़ेगा ,...
जो धरती पर बचा ,... कबाड़ी ,... #NagShukl #ChaloDeshSudhare

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