Wednesday, October 21, 2015

कोई राम का नाम लेता है,.....

कोई राम का नाम लेता है तो आपको अग्निपरीक्षा और शम्बूक वध के सिवा उनमे कुछ दिखता ही नही, कोई शिव का नाम लेता है तो एक नशेड़ी भगेंड़ी के सिवा आपको उनमे कुछ दिखता नही। कोई कृष्ण का नाम लेता है तो आपको एक लम्पट दिलफेंक के सिवा कुछ नही दिखता अब क्या इनमे देखने लायक वो भी देख ले
शबरी के झूठे बेर खाना या निषादराज गुह को गले लगाना या मेघनाद की लाश को अपने वस्त्र से ढंकना राम ने उस वक़्त प्रचलित हर परम्परा को चुनौती दी। उन्होंने बाकी क्या किया उससे मुझे कोई मतलब नही पर राम के नाम से मुझे इस व्यक्ति के इन कर्मो की याद आती है
शिव, पहले ऐसे आदिव्यक्ति जिन्होंने पत्नी को अर्धांग्नी का दर्ज़ा दिया, एक अच्छे नर्तक, उतने ही अच्छे वाद्य यंत्र बजाने वाले, जिस किसी को योग आसन के बारे में मालूम हो वो इस क्षेत्र में शिव के योगदान को कभी नही भुला सकता ना जाने कितने आसन शिव के द्वारा बनाये गए है एक महान योगी रहे वो जीवन भर
अंत में कृष्ण, अत्यंत जटिल परन्तु हर चीज में मुखर उस समय समाज में प्रचलित हर परंपरा को ना सिर्फ चुनौती दी बल्कि डटकर मुकाबला भी किया, गोवर्धन की पूजा हो या मथुरा को दूध देना बंद कराना हो या अपनी सगी बहन को जबरदस्ती ब्याही जाने के विरोध में उसके प्रेमी के साथ भगवा देना हो या समाज की परवाह किये बगैर बंदीगृह से छुड़ाई गयी सभी कन्यायो को अपना लेना हर जगह कृष्ण ने अपनी महत्ता का परिचय दिया और तो और एक पुरुष और महिला एक मित्र हो सकते हैं इसका साक्षात उदाहरण प्रस्तुत किया उन्होंने
मुझे राम, शिव और कृष्ण से यही सीख मिली और यही सीखने का प्रयत्न कर रहा हूँ जिस दिन मैं इन तीनो के किये गए इन महान कार्यो के बराबर कोई कार्य कर लूंगा उस दिन मैं इनकी बुराइयो की ओर भी देख लूंगा
बुराइयां खोजने में हमने तो सूक्ष्मदर्शी यन्त्र को भी पछाड़ा है हम बुद्ध से लेकर गांधी तक में बुराइयां गिना देता है लेकिन सबसे लास्ट बुराई यही है की ऐसा दूसरा बुद्ध या गांधी कोई नही बन सका
वैसे ही आज तक दूसरा राम, शिव या कृष्ण नही बन सका बाकी तो अपनी क्षमता और नजर का कमाल है।,...Bunty Tripahi

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