Sunday, September 23, 2012

अंग्रेजों से, लड़ना था आसन ||

अंग्रेजों से, लड़ना था आसन ||
साफ़ पता था, क्यों करना है, किस पर करना है वार ||
आज परिस्थिति है, विकट
                          दुश्मन है, अति निकट |
करनी है दुश्मन की पहचान ||

कोई कहता, दुश्मन है, जाति - धर्म |
                 कोई कहता, आरक्षण ||
किसका दुश्मन, कब कौन बना
                  नहीं रहता याद ||
कभी है महेंगाई, घोटाला ,
                   तो कभी है दंगा, आतंकवाद ||

इन सब में, एक ही चीज़, सदा रही विद्यमान |
                  और वो है भ्रष्टाचार , वो है भ्रष्टाचार ||

लो हो गयी दुश्मन की पहचान ||

अरविन्द जी, आगे बढ़ो, और इस पर करो वार |
      वो सब है जिनको देश - धर्म से प्यार, साथ तुम्हारे
               सदा रहें तैयार ||

खुद सुधरो, घर सुधारो, 
             बदलेगा समाज |
बदल जायेगा, भविष्य देश का ,
            संसार करेगा, नाज़ ||

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