Monday, December 4, 2017

बैगन का भर्ता

#WorldSoilDay पर एक कहानी - जो यथार्थ है ,....

अभी पिछले महीने की ही तो बात है ,... मेरी दीदी ने घर के सामने से ,.. बढ़िया चमकते बैगन खरीदे ,....
दोपहर में खाने को दाल - रोटी और बढ़िया बैगन का भर्ता था ,.... वाह ,.. पर ,..
पर ये क्या ,... आज अचानक ,...
खाने के बाद - घर में तीनो को जबर्जस्त नींद आ गयी ,..
इतनी गहरी - इतनी तेज की ,... की घर के दरवाजे तक खुले पड़े रहे ,...
2 घंटे बाद जब आँख खुली ,तो,... देखा सब जहाँ तहाँ सो रहे थे ,,...

अब जागने पर सबने सोंचा ,.. ऐसा हुआ क्यों कैसे ??
तब याद आया - ये दाल - ये रोटी तो रोज खाते है ,... नया तो केवल बैगन था ,...

नींद बताती है ,.... वो सिर्फ बैगन - नहीं ,... जहर (पेस्टिसाइड) बुझा बैगन था ,....
जिसने सुलाया - गहरी नींद ,....
शुक्रिया ,... जो केवल भरता था ,...  सब्जी सिर्फ उसी की होती तो ,..
तो ना जाने क्या होता ,...

खैर ,...
खैर ,....धीरे धीरे ही सही ,... पर जहर खाने और पचाने की आदत - डाल रहे है हम ,...
तुम ,..
तुम चिंता  ना करो ,... बस किसी तरह उपजाते रहो ,...
तुम भी क्या कर सकते हो ,.... हम भी क्या कर सकते है ,...

ये बाढ़ का पानी ,... और इसमें बहना ही - जिंदगानी है

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