Monday, November 7, 2016

डेंगू ,....

दोस्तों ,..
आज आपके लिए ,... नहीं नहीं "आप" नहीं ,... आपके लिए एक कहानी लिखी है ,....
डेंगू ,....

डेंगू कहने को तो एक बीमारी है ,...जो मच्छर फैलाते है और उसे भुगतते भी इंसान है और डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को पैदा भी हम इंसान ही करते है ,..
खैर डेंगू को अभी छोड़ते है हम तो आपको एक कहानी सुनाने जा रहे थे ,...
हाँ तो ये कहानी है ,... दो दोस्तों की ,...

जो बरुवा नाम के एक गाँव (जो लखनऊ कानपुर के बीच पड़ता है) के दो दोस्त ,....
शम्भू और श्रीकान्त ,.... बरुवा में पैदा हुए ,....शुरुवाती पढ़ाई वहीँ दोनों ने की ,.. शम्भू का शहर से संपर्क था आगे की पढ़ाई शहर में कर,.. देश की राजधानी दिल्ली में अच्छी नौकरी के साथ औसत जीवन व्यतीत कर रहा था ,...और श्रीकांत ,....

श्रीकांत ,... उसने गाँव के स्कूल से पढ़ाई की 12वीं की ,.... मम्मी की थोड़ी सी पेंशन पर परिवार पाल रहा था ,....
कई वर्षो बाद ,... शम्भू अपने गाँव गया ,....
तकरीबन दस वर्षो बाद ,... शम्भू अपने गाँव गया,...

गाँव में श्रीकांत से बातचीत हुई ,... पुरानी यादें ताज़ा हुई ,...
और नयी हकीकत से सामना ,....
नयी हकीकत थी ,..... बेरोजगारी,...
उससे बड़ी हकीकत थी ,.... "निम्न स्तरीय शिक्षा",.... और
सबसे बड़ी हकीकत थी ,.... गरीबी और 5 बहनो का बड़ा परिवार ,...

पता चला दो की शादी हो चुकी ,...तीसरी की शादी वाले दिन ही ,....पेंशनधारी ,....
माँ की सड़क दुर्घटना में मृत्यु ,..... तीसरी शादी निपटते - निपटते ,.....2 लाख का कर्जा ,...

जब ये हकीकत शम्भू के सामने थी ,... तो जैसे उसका मन जोर से चीखने को था ,.... उन बंधनो को तोड़ने का था
जिन बंधनो ने बना रखा है "शम्भू को स्वयंभू",....

पर यथार्थ ये भी सामने था ,... शम्भू के ,....
की ,... कलयुग में कोई शम्भू ,....भला शम्भू रह ,...जी ही कहाँ पाता ,..

शम्भू राजधानी वापस ,.... और वापस आ के ,...
राजधानी में किसी तरह,... कोई जुगाड़ लगा ,.... श्रीकांत के लिए ,....
सुरक्षा गार्ड की एक नौकरी का इंतज़ाम कर ,.. उसे भी बुला लेता है ,... की कुछ को कष्ट कटेगा ,...

इतना आसान भी नहीं था ,...श्रीकांत के लिए ,...
गाँव में 2 शादी लायक बहनो को ,.. अपनी बीवी के साथ अकेले छोड़ के आना ,...
पर जिंदगी की हकीकत ,....
किसी को भी ,... कुछ भी ,... बना सकती है
पर जिंदगी की हकीकत ,....
किसी को भी ,... किसी भी बात पर,... राजी करा सकती है ,....

खैर श्रीकांत ,... ने नौकरी शुरू की रहने के लिए,...
कमरा ले लिया ,... गैस सिलेंडर - चूल्हा - बर्तन - सायकिल ले लिया ,..
अभी नौकरी करते करते 15 - 20 दिन गुजरे थे ,...
की शम्भू को ,.... श्रीकान्त का फोन आया की ,...
पाँच दिनों से,... काफी तेज़ बुखार है ,.....

ये सुनते ही शम्भू के दिमाग में ,... डेंगू कौंधा ,... और कौंधा क्या ,.. अरे ये क्या ,....श्रीकांत को तो डेंगू ही निकला टेस्ट में ,....
उफ़ ,... अब क्या करे ,... और प्लेटलेट काउंट - बहुत कम ,...
जल्द ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा ,... देरी हुई तो श्रीकांत खतरे में पड़ सकता है ,...

श्रीकांत को ले - सरकारी अस्पताल में पहुँचे शम्भू को ,.. पता चलता है यहाँ प्लेटलेट चढाने की कोई सुविधा है ही नहीं ,...
ये सुनते ही ,..
शम्भू के मन में सवाल कौंधा ,...
"सालों से ,... पूरी ईमानदारी से ,...लाखो रुपये सरकार को टैक्स देते रहे ,... और आज ,...
और आज जब ,... श्रीकांत को ,.. टैक्स के उस पैसे के सदुपयोग की जरुरत थी ,... मिला क्या ?",...

मिला,... मिला एक प्राइवेट अस्पताल का नाम - पता ,...
तो दोनों पहुँचे वहाँ ,...
अब इसे श्रीकांत की अच्छी किस्मत ही कहेंगे ,... की जिस बन्दे ने हमेशा चालु डिब्बे में सफर किया हो ,... स्लीपर कोच एक सपना हो ,...
उसे अस्पताल में ,... खाली मिले तो सिर्फ डीलक्स कमरा ,..

खैर ,....इस डीलक्स कमरे में भर्ती होना पड़ा श्रीकान्त को ,...
और कमाल की बात ये की ,... श्रीकांत और शम्भू दो का ब्लड ग्रुप एक ही ओ+ ,... तो डोनर कोई ढूंढना नहीं पड़ा ,...
और श्रीकांत 3 दिन में बेहतर हो ,... अस्पताल से निकलने को तैयार ,...
पर ऐसे कैसे ,... अभी तो बिल आना था ,.... तो आया ,..
पूरे 80 हज़ार ,... अब ???,... अब क्या करे ??,..

श्रीकांत तो पहले २ लाख से ऊपर का कर्जदार ,... और शम्भू के लिए लाख ,...
अभी भी लाख ही थे ,...
खैर शम्भू ने ,... तंग हांथो के बीच से 80 हज़ार का भुगतान तो कर दिया ,...

पर अब शम्भू सोंचता है ,....
शम्भू सोंचता है की ,... की श्रीकांत ये 80 हज़ार चुकायेगा तो कैसे ???
10 हज़ार की तनख्वाह में ,... 4 हज़ार तो रहने खाने में लग जाते है ,...
बचे 6 हज़ार ,... अगर श्रीकांत 5 हज़ार भी महीने देगा ,.. तो ,..
तो भी उसे डेढ़ साल लग जायेगा ,.. तब जाकर दे पायेगा ,...

और अब श्रीकान्त पहले किसे देगा ??? उसे ,... जिससे 2 लाख 3 टका महीने के ब्याज पर लिया है या बिना ब्याज वाले 80 हज़ार वाले को ??,...

अब शम्भू को दोस्ती याद आती है तो भला ,... गलत सलाह कैसे दे सकता है ,...
दोस्त होने के नाते यही समझाना पड़ा की ,.. पहले ब्याज वाला कर्ज चुकाओ ,...

पर ,...
ये शम्भू को भी पता है ,.. की ये 2 लाख का कर्ज चुकने में -
हकीकत में तो जिंदगी चुक जायेगी ,...
फिर 2 बहने भी तो घर पर है ,...

उफ़ ,... इस डेंगू ने ,...
उफ़ इस डेंगू ने ,... तो ना सिर्फ श्रीकांत को तोडा बल्कि हकीकत में - इस डेंगू ने शम्भू की भी हिम्मत तोड़ दी ,...

और ऐसी तोड़ी की ,...
शम्भू - अब गाँव जाने से कतराता है ,.... गाँव जाने से डरता है ,...

डेंगू ,.. वाकई खतरनाक है ,... पर शम्भू को समझ नहीं आता की कौन सा डेंगू ,... ज्यादा खतरनाक था ,...
मच्छर वाला ,... टैक्स के पैसे की लूट वाला या फिर प्राइवेट अस्पताल की लूट वाला ,... या उस साहूकार के ब्याज वाला ,... या 2 बहनो वाला ??
आखिर कौन सा डेंगू ,.... आखिर कौन सा डेंगू ,... ज्यादा खतरनाक है ,...

मच्छर वाले डेंगू का इलाज हो गया ,... पर इस डेंगू के मच्छर को पैदा करने वाले इंसनों ने जिस डेंगू को फैलाया है ,.... उसका इलाज़ कैसे होगा ?? किस अस्पताल में होगा ?? कौन करेगा ??

अब शम्भू गाँव नहीं जाता ,...
यहीं शहर में रह ,... ये जानने की कोशिश की ,...
की ,...आखिर कौन सा डेंगू ज्यादा खतरनाक है ,... #NagShukl
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