Thursday, May 22, 2014

योगेंद्र यादव के निजी मुचलके पर रिहा होने के बाद

योगेंद्र यादव के निजी मुचलके पर रिहा होने के बाद काफी लोग कह रहे हैं कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के सिद्धांत के खिलाफ काम किया, जबकि ऐसा नहीं है।
दोनों एक ही बात कह रहे हैं। जानेमाने वकील और हमारे ब्लॉगर दिनेश राय द्विवेदी ने इस संबंध में स्थिति साफ की है।
जमानत मुचलके के संबंध में जो भ्रम मीडिया में आ रहे हैं उनके बारे में सही सूचना इस प्रकार हैः
किसी भी व्यक्ति को अदालत की पेशियों पर उपस्थित होते रहने के लिए सिक्यॉरिटी बॉन्ड व पर्सनल बॉन्ड दोनों पर छोड़ा जा सकता है। आम तौर पर दोनों बॉन्ड देने का आदेश अदालत करती है। अदालत किसी व्यक्ति को केवल पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ सकती है। सिक्यॉरिटी बॉन्ड को सामान्य हिन्दुस्तानी भाषा में जमानत और पर्सनल बॉन्ड को मुचलका कहते हैं। मीडिया जमानत को मुचलका कह रहा है और मुचलके को अंडरटेकिंग कह रहा है। मीडिया की तर्ज पर ही राजनैतिक कार्यकर्ता भी उसे अंडरटेकिंग कह रहे हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जबकि अडंरटेकिंग नाम की कोई चीज नहीं होती।
अरविंद केजरीवाल ने पर्सनल बॉन्ड यानी मुचलका देने के लिए इनकार नहीं किया। वह जमानत यानी सिक्यॉरिटी बॉन्ड के लिए इनकार कर रहे हैं। योगेन्द्र यादव को मुचलका देने पर रिहा कर दिया गया, उन से जमानत नहीं मांगी गई।
अब कुछ लोग इसे इस तरह प्रचारित कर रहे हैं कि योगेंद्र यादव पांच हजार रुपये देकर छूटे जबकि अदालत कभी भी जमानत या मुचलके का रुपया जमा नहीं करती। यह सिर्फ बॉन्ड होता है और जब इस बॉन्ड की शर्त का उल्लंघन होता है तो उस दशा में बॉन्ड के रुपये की वसूली की जाती है। इस तरह मीडिया द्वारा गलत सूचनाएं देने से आम लोगों में न्यायिक प्रक्रिया और उपबंधों के बारे में भ्रम पैदा हो रहे हैं।

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