Thursday, May 15, 2014

फासिस्ट राज्यों के चरित्र में 14 बिंदु समान थे:

2003 में डॉ. लारेंस ब्रिट नाम के सज्जन ने भिन्न फासिस्ट राज्यों (मुसोलिनी, हिटलर, फ्रैंको, सुहार्तो व अन्य लातिनी मुल्कों के तानाशाहों) के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि इन सब फासिस्ट राज्यों के चरित्र में 14 बिंदु समान थे:
एक, राष्ट्रवाद का सशक्त प्रचार। 

दो, मानवाधिकारों के प्रति धिक्कार (शत्रु व राष्ट्रीय सुरक्षा का भय दिखा लोगों को इस बात के लिए तैयार करना कि खास परिस्थितियों में मानवाधिकारों को अनदेखा किया जा सकता है, और ऐसी स्थिति में शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना से लेकर हत्या तक सब जायज है)। 
तीन, शत्रु को और बलि के बकरों को चिह्नित करना (ताकि उनके नाम पर अपने समूहों को एकत्रित-उन्मादित किया जा सके कि वे ‘राष्ट्रहित’ में अल्पसंख्यकों, भिन्न नस्लों, उदारवादियों, वामपंथियों, समाजवादियों और उग्रपंथियों को मानवाधिकारों से वंचित रखने में समर्थन दें)। 
चौथा, सेना को आवश्यकता से अधिक तरजीह और उसका तुष्टीकरण। 
पाँचवाँ, पुरुषवादी वर्चस्व। 
छठा, मास मीडिया को येन-केन-प्रकारेण प्रभावित कर उसे अपना पक्षधर बनाना और नियंत्रण में रखना। 
सातवाँ, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों पर नकेल कसना। 
आठवां, धार्मिकता व सरकार में घालमेल करते रहना (बहुसंख्यकों के धर्म और धार्मिक भावाडंबर का इस्तेमाल कर जनमत को अपने पक्ष में प्रभावित करते रहना)। 
नौवाँ, कारपोरेट जगत को पूर्ण प्रश्रय देना (चूँकि कारपोरेट जगत से जुड़े उद्योगपतियों/ व्यापारियों द्वारा ही फासिस्ट ताकतें सत्ता में पहुँचाई जाती हैं, तो जाहिर है एक-दूजे के लिए...)।
दसवाँ, श्रमिकों की शक्ति को कुचलना। 
ग्यारहवाँ, अपराध और दंड के प्रति अतिरिक्त उत्तेजना का माहौल बनाना। 
बारहवाँ, पुलिस के पास असीमित दंडात्मक अधिकार देना। 
तेरहवाँ, भयानक भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार। 
चौदहवाँ, चुनाव जीतने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपनाना।

माना कि डॉक्टर ब्रिट कोई बड़े इतिहासकार या शिक्षाविद नहीं, पर कुछेक त्रुटियों के बावजूद उनके बिंदुओं को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। उपरोक्त बिंदुओं में से अनेक को हम तथाकथित उदारवादी मुल्कों से लेकर भारतवर्ष तक की पूर्ववर्ती सत्ताओं द्वारा समय समय पर आजमाते देखते रहे हैं, पर बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में भारत में बड़ी तादाद में इनका इस्तेमाल किया जाए। इस बात की भी बड़ी संभावना है कि निकट भविष्य में कतार में खड़े अपने सीनों पर हथेली टिकाए हम जोर-जोर से चीखते नजर आएँ, कि -- गर्व से कहो हम फासिस्ट हैं!

http://www.shabdankan.com/2014/05/say-it-proudly-we-are-fascist-sanjay-Sahay.html#.U3SA-ygUBPI

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