You may hate politics but unfortunately politics loves you a lot :)
इस देश के युवा को एक सन्देश:-
हम राजनीती से दूर नहीं रह सकते क्योकि हमारे साथ रोज राजनीती होती है भ्रस्टाचार, महंगाई, बढ़ता अपराध, बढ़ता टैक्स आदि के रूप में, हमें लगता है की हम राजनीती से दूर हैं पर राजनीती हमसे दूर नहीं जा सकती, असल में हम बस अपनी परेशानियों और जिम्मेदारियों के मुह छुपा रहे होते है.
हमें राजनीती से जुड़ कर इस बुरी व्यवस्था को बदलना ही होगा वर्ना ये सब सहते रहना होगा...
- SS
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=550995944923541&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater
AAP on Tamil & srilanks Isse (DMK) => सरकार गिरेगी या नहीं गिरेगी ये अलग मुद्दा है. पर मेरे हिसाब से आज ये बात पर विचार होना चाहिए की क्या भारत को UN में श्रीलंका के खिलाफ वोट करना चाहिए या संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पास करना चाहिए?
मेरे हिसाब से तो सरकार को राजनीती और सरकार बचाने से ऊपर उठा कर देश हित के बारे में सोचना चाहिए, और इस काम में सरकार गिरती है तो गिर जाने दें. भारत की विदेश नीती हमेशा से रही है की भारत न तो किसी देश के अंदरूनी मामलों में दखल देता है और न ही अपने देश के अंदरूनी मामलों में किसी का दखल होने देता है. तो हमें ये नीती बदलनी नहीं चाहिए. कुछ विचार करने योग्य सवाल है:-
१) अगर आज भारत श्रीलंका के खिलाफ संसद में प्रस्ताव लता है और उन के अंदरूनी मामले में दखल देता है तो कल भारत किसी और देश को हमारे अंदरूनी मामले में दखल देने से कैसे रोकेगा? कल को पाकिस्तान, अमेरिका या चीन भी कश्मीर या अरुणाचल पर कुछ प्रस्ताव ला सकते है और जबरन दखल देना शुरू कर सकते है. (जब पाकिस्तान ने अफज़ल गुरु की फंसी के विरोध में वहां की संसद में प्रस्ताव लाया था तो हम ने यही बोल कर उस का विरोध किया था की ये हमारा अंदरूनी मामला है.)
२) अगर भारत के कदम से नाराज हो कर श्रीलंका ने भारत से सम्बन्ध तोड़ कर चीन से सम्बन्ध बढ़ा लिए (जिसकी चीन बहुत दिनों से कोशिश कर रहा है) तो भारत के लिए कितने खतरे की बात होगी?
३) श्रीलंका में तमिल लोगों के साथ वहां की आर्मी और LTTE ने जो किया वो बहुत गलत किया, तो क्या भारत को सीधे दखल करना चाहिए? या वहां की सरकार की मदद (पैसे और तकनिकी रूप से) करनी चाहिए ताकि वहां की सरकार तमिल लोगों के भले के लिए वहां कुछ योजना चालू करे?
Admin - SS
इस देश के युवा को एक सन्देश:-
हम राजनीती से दूर नहीं रह सकते क्योकि हमारे साथ रोज राजनीती होती है भ्रस्टाचार, महंगाई, बढ़ता अपराध, बढ़ता टैक्स आदि के रूप में, हमें लगता है की हम राजनीती से दूर हैं पर राजनीती हमसे दूर नहीं जा सकती, असल में हम बस अपनी परेशानियों और जिम्मेदारियों के मुह छुपा रहे होते है.
हमें राजनीती से जुड़ कर इस बुरी व्यवस्था को बदलना ही होगा वर्ना ये सब सहते रहना होगा...
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AAP on Tamil & srilanks Isse (DMK) => सरकार गिरेगी या नहीं गिरेगी ये अलग मुद्दा है. पर मेरे हिसाब से आज ये बात पर विचार होना चाहिए की क्या भारत को UN में श्रीलंका के खिलाफ वोट करना चाहिए या संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पास करना चाहिए?
मेरे हिसाब से तो सरकार को राजनीती और सरकार बचाने से ऊपर उठा कर देश हित के बारे में सोचना चाहिए, और इस काम में सरकार गिरती है तो गिर जाने दें. भारत की विदेश नीती हमेशा से रही है की भारत न तो किसी देश के अंदरूनी मामलों में दखल देता है और न ही अपने देश के अंदरूनी मामलों में किसी का दखल होने देता है. तो हमें ये नीती बदलनी नहीं चाहिए. कुछ विचार करने योग्य सवाल है:-
१) अगर आज भारत श्रीलंका के खिलाफ संसद में प्रस्ताव लता है और उन के अंदरूनी मामले में दखल देता है तो कल भारत किसी और देश को हमारे अंदरूनी मामले में दखल देने से कैसे रोकेगा? कल को पाकिस्तान, अमेरिका या चीन भी कश्मीर या अरुणाचल पर कुछ प्रस्ताव ला सकते है और जबरन दखल देना शुरू कर सकते है. (जब पाकिस्तान ने अफज़ल गुरु की फंसी के विरोध में वहां की संसद में प्रस्ताव लाया था तो हम ने यही बोल कर उस का विरोध किया था की ये हमारा अंदरूनी मामला है.)
२) अगर भारत के कदम से नाराज हो कर श्रीलंका ने भारत से सम्बन्ध तोड़ कर चीन से सम्बन्ध बढ़ा लिए (जिसकी चीन बहुत दिनों से कोशिश कर रहा है) तो भारत के लिए कितने खतरे की बात होगी?
३) श्रीलंका में तमिल लोगों के साथ वहां की आर्मी और LTTE ने जो किया वो बहुत गलत किया, तो क्या भारत को सीधे दखल करना चाहिए? या वहां की सरकार की मदद (पैसे और तकनिकी रूप से) करनी चाहिए ताकि वहां की सरकार तमिल लोगों के भले के लिए वहां कुछ योजना चालू करे?
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