दोस्तों, कल काफी रैली हैं एक दिल्ली मैं रैली है, अब लोकतंत्र है तो रैली
भी जरूरी है करनी चाहिए सबको करनी चाहिए । अब बात ये आती है की यह रैली
करता कौन है। क्या नेता है जो रैली करता है ...नहीं दोस्तों यह हम हैं जो
रैली करतें है। जब हम जातें है तो रैली सफल होती है ...जब हम नहीं जाते तो
फेल हो जाती है। इसका मतलब यह है की इन नेताओं की ताकत हैं तो सिर्फ हम है।
जब हम इनको सुनते हैं तब यह बोलते है .......पर समझ यह नहीं आता ये बोलते
क्या है .....पिचले कुछ समय मैं इन्होने जो कृत्या किये है .....जो वक्तव्य
दिए हैं ...उनसे मुझे नहीं लगता मैं इनको सुनाने की जहमत उठाऊँ ....आप
अपने नेता की रैली मैं जाएँ जरुर जाएँ .....नहीं तो काम कैसे चलेगा
..परन्तु एक तो अपने मन से जाएँ ....किसी दबाव मैं ...किसी लालच मैं
....जाना तो उचित नहीं होगा .....क्या यह आत्मा को गवाही देगा ......
आप अपने घर मैं दोस्तों मैं ....रिस्तेदारों मैं किसको क्या बताएँगे ....किसकी रैली मैं ...और क्योँ गए थे .......
पता नहीं पर मुझे तो ऐसा लगता है की इन लोगों को कोई नैतिक आधार ही नहीं रहा रैली करने का ।। आपका ?...
ये हम हैं जो नेता बनातें हैं .....ये हम हैं जो रैली को पास या फेल करतें हैं ...
क्यूंकि हम तो हम हैं................हम कौन.............आम आदमी..........
................नागेन्द्र शुक्ल.............
किसी भी रैली मैं जाने से पहले एक बार सोंचे की ...क्योँ और किसकी रैली मैं जा रहें है ....उनसे देश को क्या मिला ...या या मिलेगा .....
आप अपने घर मैं दोस्तों मैं ....रिस्तेदारों मैं किसको क्या बताएँगे ....किसकी रैली मैं ...और क्योँ गए थे .......
पता नहीं पर मुझे तो ऐसा लगता है की इन लोगों को कोई नैतिक आधार ही नहीं रहा रैली करने का ।। आपका ?...
ये हम हैं जो नेता बनातें हैं .....ये हम हैं जो रैली को पास या फेल करतें हैं ...
क्यूंकि हम तो हम हैं................हम कौन.............आम आदमी..........
................नागेन्द्र शुक्ल.............
किसी भी रैली मैं जाने से पहले एक बार सोंचे की ...क्योँ और किसकी रैली मैं जा रहें है ....उनसे देश को क्या मिला ...या या मिलेगा .....
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