दोस्तों, आज मैं आप से क्षमा मांगना चाहता हूँ क्योँ ?....क्यूंकि पिछले
कई वर्षों से मैं एक शब्द "नेता " का प्रयौग एक ....अपशब्द की जगह करता
आया हूँ.....माफ़ी तो मांगता हूँ पर मैं करता भी क्या ....जब भी मैं जिधर भी
किसी नेता के बारे मैं सोंचता था ...तो वाकई मैं मुझे ये शब्द कुछ कुख्यात
ही लगता था ...
इसका कारण साफ़ था,.......... कोई ऐसा था ही नहीं (कुछ को छोड़ कर)......जो इस शब्द की ....गरिमा को भाता हो,........
इन सभी ने बार बार ....लगातार इस शब्द की गरिमा को धूमिल किया ....और इस स्तर पर पहुंचा दिया ...की मैं इसको अपशब्द की तरह प्रयोग करने को मजबूर हो गया ।।
परन्तु था तो ये गलत ही ना ....अब ये आज के लालची भ्रस्ताचारी लोग अगर MLA /MP बन जाएँ ....और ऊपर से इतना घमंड ...इतनी क्रूरता ...इतना धोखा ....इतना अविश्वास .....मैं करता भी तो क्या?
जब मैंने पढ़ा था की नेता क्या होता है ...तब उदाहण थे महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस , भगत सिंह , लालबहादुर शास्त्री, सरदार पटेल ....और भी बहुत - बहुत सारे ......
मैं इनको और जिनको यहों लिख नहीं पाया उन सभी को नमन करता हूँ ......और इस शब्द के दुरूपयोग के लिए क्षमा मांगता हूँ
परन्तु जब होश सम्हाला ...कुछ समझ आने लगा तो पाया की ...नेता ...
नेता तो सोनिया जी को , गडकरी जी को, लालू जी को, मुलायम जी को, माया जी को , शीला जो को .......और पता नहीं किन किन को कहतें है ......
हाँ दो और हुड्डा जी और उनके मित्र कांडा जी को कैसे भूल सकते है।।
तब मुझे ...ऐसा लगा की जो पढ़ा था .....और जो सामने है ...दोनों मे जमीन - आसमान का अंतर है ....या यूं कहें की ...एक दम विरोधी है ....
तो मेरे जैसे साधारण समझ के व्यक्ति के लिए लाज़मी था ..........की नेता शब्द के मायने ....एक अपशब्द के सिवा कुछ नहीं .....
पर कहते है ना ....की संसार मैं समय एक जैसा नहीं रहता ......ये एक चक्र की तरह घूमता है .....और देखो ...
आज फिर से लग रहा है ...की जो पढ़ा था वो सिर्फ किताबी बातें नहीं थीं .....हकीकत मैं भी नेता ...हाँ नेता महान होता है .....
अब यहाँ मैं अरविन्द जी ....को धन्यवाद दूंगा ....की उन्होंने ..इस शब्द के मायने बदलने से बचा लिए,........
आज मैं गर्व से बोलता हूँ .....और ये स्वीकार करता हूँ की हाँ ......
अरविन्द जी ...हमारे नेता हैं ....और वो ही नेता हैं ......
अरे दोस्तों ...नेता का काम होता है ....जनता मैं विस्वास जगाना .....नैतिकता देना ......कर्म करना ....उन्नति के लिए प्रयास करना ......और सबसे बड़ी बात की
जो बोले ...वो बोलने से पाहिले चरित्र मैं ......ढ़ाल कर दिखाए .....
जिससे हम जैसे आम आदमी .....आसानी से समझ सकें की ....क्या और कैसे करना चाहिए .......
क्या करने से देश का विकास होगा ......नैतिकता का विकास होगा .....आम आदमी का उत्थान होगा .....
ऐसी उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी .....अभी तक किसी से ......
पर हाँ ....आज है हमारे पास भी एक नेता है ......जिसका नाम है अरविन्द जी ......
बांकियौं ने तो ....नेता को गुंडा,.....दलाल ....क्रूर ....और भी बहुत कुछ ...(छोड़ो कौन मूड ख़राब करे इनके बारे मैं सोंच कर ).....बना दिया था ....
आज हमने अपना नेता पा लिया ......या यूँ कहें ....अरविन्द जी को अपना नेता मान लिया .....
अरे दोस्तों, नेता कोई MP / MLA या कोई business man या फिर किसी नेता का बेटा या रिश्तेदार भी नहीं होता .....
नेता तो एक आम आदमी होता है ....एक संत होता है ....एक फ़कीर होता है ......जो जनता की भलाई सोचता है ...और करता है .....
नेता वो नहीं ....जो नेता पैदा होता है ......
नेता वो जिसको ....जनता ...आम आदमी ...अपना नेता मानती है ....
हाँ और आज हम अरविन्द जी को अपना नेता मानतें हैं ......
नेता कोई पार्टी नहीं ....कोई घराना नहीं ...कोई पोस्ट नहीं ......बनाती .....
नेता ...नेता तो जनता बनाती है .....आम आदमी बनता है .......हम बनातें है ....आप बनाते हो .......
फिर ये गलत लोग नेता कैसे बन जाते हैं ......क्या कारन है ?
मुझे यहाँ पर Chicken – egg problem लगती है .......
कोई कहता है की जनता जैसी होती है .......नेता भी वैसा होता है .....
कोई कहता है की ....नेता जैसा होता है ....जनता वैसी बन जाती है .....
ख़ैर कुछ भी हो .......अब लगता है की ये Deadlock ख़तम हो गया है ....
यह Chicken – egg problem जनता और नेता के मामले मे हल हो गयी ......
हमें हमारा नेता मिल गया .....अब हमें उनके काबिल बनना है ....उनके बताये ...दिखाए रस्ते पर चलना है ......
क्योँ ?.......क्यूंकि ...ये (अरविन्द जी ) सिर्फ ज्ञान बांटते नहीं है ...................उस पर अमल भी करते है ......
ये कहने से पाहिले ...उसको test करते हैं ....check करतें है .......और यधि संभव होता है ...तो ही बोलते है ..............
हाँ आज मैं गर्व से कहा सकता हूँ की 21वीं सदी मैं ....मेरे देश को .....
मेरे देश की जनता को ......हर आम आदमी को ......अब नेता ...नेता मिल गया है ......अरविन्द मिल गए हैं .......
अब हम भी सुधरेंगे .......ताकि कोई भी गुंडा भ्रताचारी .....अपने आप को हमारा नेता कहने की हिम्मत न जुटा सके ........
उसको पता होना चाहिए ....की नेता की क्या जिम्मेवारी हैं .......क्या दर्शन है .....
अंतिम मैं .....हम जनता है ...और ये हमारी जिम्मेवारी हैं ........की हम अपने नेता को ...समय समय पर बताते रहें की कब वो सही है ....और कब गलत .....ताकि कोई निरंकुश न बने .......अत्याचारी न बने .....
हम अपनी जिम्मेवारी हैं ....से भाग नहीं सकते ........और यह नयी सुरुवात करने के लिए .....
अभी हमें ......हमारा नेता मिल गया है ......
और वो हैं ............अरविन्द जी ......
हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ......
इसका कारण साफ़ था,.......... कोई ऐसा था ही नहीं (कुछ को छोड़ कर)......जो इस शब्द की ....गरिमा को भाता हो,........
इन सभी ने बार बार ....लगातार इस शब्द की गरिमा को धूमिल किया ....और इस स्तर पर पहुंचा दिया ...की मैं इसको अपशब्द की तरह प्रयोग करने को मजबूर हो गया ।।
परन्तु था तो ये गलत ही ना ....अब ये आज के लालची भ्रस्ताचारी लोग अगर MLA /MP बन जाएँ ....और ऊपर से इतना घमंड ...इतनी क्रूरता ...इतना धोखा ....इतना अविश्वास .....मैं करता भी तो क्या?
जब मैंने पढ़ा था की नेता क्या होता है ...तब उदाहण थे महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस , भगत सिंह , लालबहादुर शास्त्री, सरदार पटेल ....और भी बहुत - बहुत सारे ......
मैं इनको और जिनको यहों लिख नहीं पाया उन सभी को नमन करता हूँ ......और इस शब्द के दुरूपयोग के लिए क्षमा मांगता हूँ
परन्तु जब होश सम्हाला ...कुछ समझ आने लगा तो पाया की ...नेता ...
नेता तो सोनिया जी को , गडकरी जी को, लालू जी को, मुलायम जी को, माया जी को , शीला जो को .......और पता नहीं किन किन को कहतें है ......
हाँ दो और हुड्डा जी और उनके मित्र कांडा जी को कैसे भूल सकते है।।
तब मुझे ...ऐसा लगा की जो पढ़ा था .....और जो सामने है ...दोनों मे जमीन - आसमान का अंतर है ....या यूं कहें की ...एक दम विरोधी है ....
तो मेरे जैसे साधारण समझ के व्यक्ति के लिए लाज़मी था ..........की नेता शब्द के मायने ....एक अपशब्द के सिवा कुछ नहीं .....
पर कहते है ना ....की संसार मैं समय एक जैसा नहीं रहता ......ये एक चक्र की तरह घूमता है .....और देखो ...
आज फिर से लग रहा है ...की जो पढ़ा था वो सिर्फ किताबी बातें नहीं थीं .....हकीकत मैं भी नेता ...हाँ नेता महान होता है .....
अब यहाँ मैं अरविन्द जी ....को धन्यवाद दूंगा ....की उन्होंने ..इस शब्द के मायने बदलने से बचा लिए,........
आज मैं गर्व से बोलता हूँ .....और ये स्वीकार करता हूँ की हाँ ......
अरविन्द जी ...हमारे नेता हैं ....और वो ही नेता हैं ......
अरे दोस्तों ...नेता का काम होता है ....जनता मैं विस्वास जगाना .....नैतिकता देना ......कर्म करना ....उन्नति के लिए प्रयास करना ......और सबसे बड़ी बात की
जो बोले ...वो बोलने से पाहिले चरित्र मैं ......ढ़ाल कर दिखाए .....
जिससे हम जैसे आम आदमी .....आसानी से समझ सकें की ....क्या और कैसे करना चाहिए .......
क्या करने से देश का विकास होगा ......नैतिकता का विकास होगा .....आम आदमी का उत्थान होगा .....
ऐसी उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी .....अभी तक किसी से ......
पर हाँ ....आज है हमारे पास भी एक नेता है ......जिसका नाम है अरविन्द जी ......
बांकियौं ने तो ....नेता को गुंडा,.....दलाल ....क्रूर ....और भी बहुत कुछ ...(छोड़ो कौन मूड ख़राब करे इनके बारे मैं सोंच कर ).....बना दिया था ....
आज हमने अपना नेता पा लिया ......या यूँ कहें ....अरविन्द जी को अपना नेता मान लिया .....
अरे दोस्तों, नेता कोई MP / MLA या कोई business man या फिर किसी नेता का बेटा या रिश्तेदार भी नहीं होता .....
नेता तो एक आम आदमी होता है ....एक संत होता है ....एक फ़कीर होता है ......जो जनता की भलाई सोचता है ...और करता है .....
नेता वो नहीं ....जो नेता पैदा होता है ......
नेता वो जिसको ....जनता ...आम आदमी ...अपना नेता मानती है ....
हाँ और आज हम अरविन्द जी को अपना नेता मानतें हैं ......
नेता कोई पार्टी नहीं ....कोई घराना नहीं ...कोई पोस्ट नहीं ......बनाती .....
नेता ...नेता तो जनता बनाती है .....आम आदमी बनता है .......हम बनातें है ....आप बनाते हो .......
फिर ये गलत लोग नेता कैसे बन जाते हैं ......क्या कारन है ?
मुझे यहाँ पर Chicken – egg problem लगती है .......
कोई कहता है की जनता जैसी होती है .......नेता भी वैसा होता है .....
कोई कहता है की ....नेता जैसा होता है ....जनता वैसी बन जाती है .....
ख़ैर कुछ भी हो .......अब लगता है की ये Deadlock ख़तम हो गया है ....
यह Chicken – egg problem जनता और नेता के मामले मे हल हो गयी ......
हमें हमारा नेता मिल गया .....अब हमें उनके काबिल बनना है ....उनके बताये ...दिखाए रस्ते पर चलना है ......
क्योँ ?.......क्यूंकि ...ये (अरविन्द जी ) सिर्फ ज्ञान बांटते नहीं है ...................उस पर अमल भी करते है ......
ये कहने से पाहिले ...उसको test करते हैं ....check करतें है .......और यधि संभव होता है ...तो ही बोलते है ..............
हाँ आज मैं गर्व से कहा सकता हूँ की 21वीं सदी मैं ....मेरे देश को .....
मेरे देश की जनता को ......हर आम आदमी को ......अब नेता ...नेता मिल गया है ......अरविन्द मिल गए हैं .......
अब हम भी सुधरेंगे .......ताकि कोई भी गुंडा भ्रताचारी .....अपने आप को हमारा नेता कहने की हिम्मत न जुटा सके ........
उसको पता होना चाहिए ....की नेता की क्या जिम्मेवारी हैं .......क्या दर्शन है .....
अंतिम मैं .....हम जनता है ...और ये हमारी जिम्मेवारी हैं ........की हम अपने नेता को ...समय समय पर बताते रहें की कब वो सही है ....और कब गलत .....ताकि कोई निरंकुश न बने .......अत्याचारी न बने .....
हम अपनी जिम्मेवारी हैं ....से भाग नहीं सकते ........और यह नयी सुरुवात करने के लिए .....
अभी हमें ......हमारा नेता मिल गया है ......
और वो हैं ............अरविन्द जी ......
हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ......
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