" सच्चा ईमानदार राजनैतिक दल "
शिव और पार्वती कैलाश जा रहे थे. मार्ग में गंगा स्नान की भीड़ को देखकर पार्वती बोली - भगवन् ! देखिये , लोग कितने धर्मनिष्ठ और श्रद्धालु हैं. शंकर हँसे और बोले - पार्वती ! सच्ची श्रद्धा तो विरले में ही होती है. इनमे से सभी श्रद्धालु नहीं हैं. स्नानार्थियों की परीक्षा के लिए दोनों नीचे उतर आये. पार्वती एक ब्राह्मणी का वेश बनाकर खड़ी हो गयी और शंकर ने दीन- अपाहिज के समान रूप बना लिया. जो भी वहां से जाता, पार्वती जी उससे कहती - मेरे अपाहिज पति को गंगा तक पहुंचा दो. सहायता की बात तो दूर, सभी वहां से बिदककर निकल जाते. कितने ऐसे भी थे जो पार्वती पर कुदृष्टि डालते और अपाहिज पति को छोड़ने के लिए कहते. शिवजी पार्वती की और देखते और मुस्कुराते। अंत में एक वृद्ध किसान आया. उसने कहा - मांजी ! आप आगे-आगे चलिए, मैं इन्हें पहुंचा देता हूँ.
शिवजी प्रगट हुए और बोले - श्रद्धा यह है. जो लोक सेवा की प्रेरणा न दे वह श्रद्धा नहीं है.
इसलिए अब 'आम आदमी' को पहचानना है कौन दल स्वार्थी है और वाकपटुता, भेदभाव, छल, कपट और पर्लोभन से अपना उल्लू सीधा करना चाहता है यानि अपने लिए निरंकुश सत्ता सुख और आम आदमी के लिए दुःख ही दुःख।
जैसा पछले 65 सालों में हुआ है। और कौन दल है जो निस्वार्थ देशभक्ति से ओतप्रोत, आम आदमी को उसके हक दिलाना चाहता है, एक सच्ची ईमानदार व्यवस्था देना चाहता है जिससे अंतिम आम आदमी तक सुखी हो, सब बराबर, शिक्षित, स्वस्थ और कार्यरत हों। जो दल लोकसेवा की प्रेरणा दे वो ही सच्चा दल है।.....GK Khanna.
FB @ http://www.facebook.com/photo.php?fbid=585656994790769&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater
शिव और पार्वती कैलाश जा रहे थे. मार्ग में गंगा स्नान की भीड़ को देखकर पार्वती बोली - भगवन् ! देखिये , लोग कितने धर्मनिष्ठ और श्रद्धालु हैं. शंकर हँसे और बोले - पार्वती ! सच्ची श्रद्धा तो विरले में ही होती है. इनमे से सभी श्रद्धालु नहीं हैं. स्नानार्थियों की परीक्षा के लिए दोनों नीचे उतर आये. पार्वती एक ब्राह्मणी का वेश बनाकर खड़ी हो गयी और शंकर ने दीन- अपाहिज के समान रूप बना लिया. जो भी वहां से जाता, पार्वती जी उससे कहती - मेरे अपाहिज पति को गंगा तक पहुंचा दो. सहायता की बात तो दूर, सभी वहां से बिदककर निकल जाते. कितने ऐसे भी थे जो पार्वती पर कुदृष्टि डालते और अपाहिज पति को छोड़ने के लिए कहते. शिवजी पार्वती की और देखते और मुस्कुराते। अंत में एक वृद्ध किसान आया. उसने कहा - मांजी ! आप आगे-आगे चलिए, मैं इन्हें पहुंचा देता हूँ.
शिवजी प्रगट हुए और बोले - श्रद्धा यह है. जो लोक सेवा की प्रेरणा न दे वह श्रद्धा नहीं है.
इसलिए अब 'आम आदमी' को पहचानना है कौन दल स्वार्थी है और वाकपटुता, भेदभाव, छल, कपट और पर्लोभन से अपना उल्लू सीधा करना चाहता है यानि अपने लिए निरंकुश सत्ता सुख और आम आदमी के लिए दुःख ही दुःख।
जैसा पछले 65 सालों में हुआ है। और कौन दल है जो निस्वार्थ देशभक्ति से ओतप्रोत, आम आदमी को उसके हक दिलाना चाहता है, एक सच्ची ईमानदार व्यवस्था देना चाहता है जिससे अंतिम आम आदमी तक सुखी हो, सब बराबर, शिक्षित, स्वस्थ और कार्यरत हों। जो दल लोकसेवा की प्रेरणा दे वो ही सच्चा दल है।.....GK Khanna.
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