क्या खता थी
जाने कितने लोग हैं अपनों के ठुकराये हुये
जो भटकते हैं सड़क पर हाथ फैलाये हुये
सबके होते हुये भी इनका कोई अपना नहीं
कलयुगी संतानों की हैं चोट ये खाये हुये
क्या खता थी हो गया इनका पराया अपना घर
बोझ बन बैठे ये कैसे अपनी ही औलाद पर
जाने कोई पालने में रह गई थी कुछ कसर
या नयी तहजीब रखती थी तरस खाये हुये
पेड़ कितना भी पुराना हो मगर छाया तो देगा
जब मुसीबत आयेगी इनका तुझे साया मिलेगा
ये कोई सामां नहीं जिनको सड़क पर फेंक दें
कैसे तू जी पायेगा इनको यूँ बिसराये हुये
याद रख है हैसियत तेरी, तेरे माँ बाप से
ले के तू उनकी दुआयें, दूर है संताप से
एक दिन ऐसा न आये जब बुढापा हो तेरा
तेरी औलादें तुझे भी रक्खें तरसाये हुये
Sunil_Telang/08/02/2013
जाने कितने लोग हैं अपनों के ठुकराये हुये
जो भटकते हैं सड़क पर हाथ फैलाये हुये
सबके होते हुये भी इनका कोई अपना नहीं
कलयुगी संतानों की हैं चोट ये खाये हुये
क्या खता थी हो गया इनका पराया अपना घर
बोझ बन बैठे ये कैसे अपनी ही औलाद पर
जाने कोई पालने में रह गई थी कुछ कसर
या नयी तहजीब रखती थी तरस खाये हुये
पेड़ कितना भी पुराना हो मगर छाया तो देगा
जब मुसीबत आयेगी इनका तुझे साया मिलेगा
ये कोई सामां नहीं जिनको सड़क पर फेंक दें
कैसे तू जी पायेगा इनको यूँ बिसराये हुये
याद रख है हैसियत तेरी, तेरे माँ बाप से
ले के तू उनकी दुआयें, दूर है संताप से
एक दिन ऐसा न आये जब बुढापा हो तेरा
तेरी औलादें तुझे भी रक्खें तरसाये हुये
Sunil_Telang/08/02/2013
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