"चक दे इंडिया " - जी हाँ एक शानदार
मूवी ......इसका एक दृश्य जिसमे शाहरुख खान ...हांकी टीम का चयन करते हुए
बोलता है ....की मुझे states के नाम सुनायी नहीं देते ।।,.....हम जीतेंगे
तभी,....जब देश के लिए खेलेंगे ।
बात बहुत सही है .....जब बाँट कर खेलेंगे ....एक दूसरे का सहयोग नहीं होगा ...सिर्फ मैं ......मेरा होगा ...तो टीम जीत नहीं सकती .....
अब जाति - धर्म और भाषा में बंटे ...देश की उन्नति मुश्किल होगी .......देश का आम आदमी जीतेगा तभी .....सुखी होगा तभी ...जब वो देश के लिए लडेगा ......कोई दूसरा रास्ता नहीं ......है खुशहाली का .....मानवता का .....लोकतंत्र का .....
इसी Movie का एक दूसरा दृश्य है ....जिसमे हाँकी टीम की सीनियर प्लेयर बोलती है ...की देखती हूँ की ये टीम कैसे चलेगी .....जैसे हमेशा से चलती आयी है ....या जैसे ये चाहते है ......तो सही है ना दोस्त .....अगर कुछ अच्छे ....और अलग परिणाम चाहिए ....तो प्रयास की दिशा (approach ) भी अलग होनी चाहिए .....
यही तो अरविन्द जी कहतें है ...की समस्या किसी एक व्यक्ति ,एक अफसर , एक मीडिया हॉउस , एक व्यवसायी ,एक पार्टी .....जाती या धर्म धर्म की नहीं है ......समस्या व्यवस्था की है .....राजनीतिक तरीके और सोंच की है ......कमी जनता की भी है .....सुधार की जरुरत हर स्तर पर है ......पर इसको बगादने के लिए दोषी ......सिर्फ हम और आप .....आम आदमी थे ....अब इसको सुधार भी हम ही सकतें है .....अरे आप और कौन .....नागेन्द्र शुक्ल
साथियों आप टैक्स इसलिए देते हो की, मैं भी खा सकूँ .....मेरा भी इलाज़ हो सके ....मेरे भी बच्चे पढ़ सकें ....मैं भी जी सकूँ .....पर आपका दिया पैसा मेरे पास तक पहुँच ही नहीं पता ....बीच में ही कुछ लोग खा जाते है .
हम मेहनत करतें है ....और आपकी मदद ...देश के लिए काम करतें है हम ....गड़बड़ कहीं और है ....
आपका दिया पैसा आखिर मुझ तक क्यों नहीं पहुँच पता ?
आप पढ़े लिखे लोग है ....आप आपना वोट किसी को भी दें ....पर अपने टैक्स का हिसाब जरुर लें ...एक बार सोंचिये तो आप टैक्स देते क्यों है ?....क्या इतना कम टैक्स देते है आप ?....की मैं भूखा रह जाता हूँ
बात बहुत सही है .....जब बाँट कर खेलेंगे ....एक दूसरे का सहयोग नहीं होगा ...सिर्फ मैं ......मेरा होगा ...तो टीम जीत नहीं सकती .....
अब जाति - धर्म और भाषा में बंटे ...देश की उन्नति मुश्किल होगी .......देश का आम आदमी जीतेगा तभी .....सुखी होगा तभी ...जब वो देश के लिए लडेगा ......कोई दूसरा रास्ता नहीं ......है खुशहाली का .....मानवता का .....लोकतंत्र का .....
इसी Movie का एक दूसरा दृश्य है ....जिसमे हाँकी टीम की सीनियर प्लेयर बोलती है ...की देखती हूँ की ये टीम कैसे चलेगी .....जैसे हमेशा से चलती आयी है ....या जैसे ये चाहते है ......तो सही है ना दोस्त .....अगर कुछ अच्छे ....और अलग परिणाम चाहिए ....तो प्रयास की दिशा (approach ) भी अलग होनी चाहिए .....
यही तो अरविन्द जी कहतें है ...की समस्या किसी एक व्यक्ति ,एक अफसर , एक मीडिया हॉउस , एक व्यवसायी ,एक पार्टी .....जाती या धर्म धर्म की नहीं है ......समस्या व्यवस्था की है .....राजनीतिक तरीके और सोंच की है ......कमी जनता की भी है .....सुधार की जरुरत हर स्तर पर है ......पर इसको बगादने के लिए दोषी ......सिर्फ हम और आप .....आम आदमी थे ....अब इसको सुधार भी हम ही सकतें है .....अरे आप और कौन .....नागेन्द्र शुक्ल
साथियों आप टैक्स इसलिए देते हो की, मैं भी खा सकूँ .....मेरा भी इलाज़ हो सके ....मेरे भी बच्चे पढ़ सकें ....मैं भी जी सकूँ .....पर आपका दिया पैसा मेरे पास तक पहुँच ही नहीं पता ....बीच में ही कुछ लोग खा जाते है .
हम मेहनत करतें है ....और आपकी मदद ...देश के लिए काम करतें है हम ....गड़बड़ कहीं और है ....
आपका दिया पैसा आखिर मुझ तक क्यों नहीं पहुँच पता ?
आप पढ़े लिखे लोग है ....आप आपना वोट किसी को भी दें ....पर अपने टैक्स का हिसाब जरुर लें ...एक बार सोंचिये तो आप टैक्स देते क्यों है ?....क्या इतना कम टैक्स देते है आप ?....की मैं भूखा रह जाता हूँ