Saturday, February 23, 2013

आप आपना वोट किसी को भी दें ....पर अपने टैक्स का हिसाब जरुर लें ..

"चक दे इंडिया " - जी हाँ एक शानदार मूवी ......इसका एक दृश्य जिसमे शाहरुख खान ...हांकी टीम का चयन करते हुए बोलता है ....की मुझे states के नाम सुनायी नहीं देते ।।,.....हम जीतेंगे तभी,....जब  देश के लिए खेलेंगे ।
बात बहुत सही है .....जब बाँट कर खेलेंगे ....एक दूसरे का सहयोग नहीं होगा ...सिर्फ मैं ......मेरा होगा ...तो टीम जीत नहीं सकती .....

अब जाति - धर्म और भाषा में बंटे ...देश की उन्नति मुश्किल होगी .......देश का आम आदमी जीतेगा तभी .....सुखी होगा तभी ...जब वो देश के लिए लडेगा ......कोई दूसरा रास्ता नहीं ......है खुशहाली का .....मानवता का .....लोकतंत्र का .....

इसी Movie का एक दूसरा दृश्य है ....जिसमे हाँकी टीम की सीनियर प्लेयर बोलती है ...की देखती हूँ की ये टीम कैसे चलेगी .....जैसे हमेशा से चलती आयी है ....या जैसे ये चाहते है ......तो सही है ना दोस्त .....अगर कुछ अच्छे ....और अलग परिणाम चाहिए ....तो प्रयास की दिशा (
approach ) भी अलग होनी चाहिए .....

यही तो अरविन्द जी कहतें है ...की समस्या किसी एक व्यक्ति ,एक अफसर , एक मीडिया हॉउस , एक व्यवसायी ,एक पार्टी .....जाती या धर्म धर्म की नहीं है ......समस्या व्यवस्था की है .....राजनीतिक तरीके और सोंच की है ......कमी जनता की भी है .....सुधार की जरुरत हर स्तर पर है ......पर इसको बगादने के लिए दोषी ......सिर्फ हम और आप .....आम आदमी थे ....अब इसको सुधार भी हम ही सकतें है .....अरे आप और कौन .....नागेन्द्र शुक्ल


साथियों आप टैक्स इसलिए देते हो की, मैं भी खा
सकूँ .....मेरा भी इलाज़ हो सके ....मेरे भी बच्चे पढ़ सकें ....मैं भी जी सकूँ .....पर आपका दिया पैसा मेरे पास तक पहुँच ही नहीं पता ....बीच में ही कुछ लोग खा जाते है .
हम मेहनत करतें है ....और आपकी मदद ...देश के लिए काम करतें है हम ....गड़बड़ कहीं और है ....
आपका दिया पैसा आखिर मुझ तक क्यों नहीं पहुँच पता ?

आप पढ़े लिखे लोग है ....आप आपना वोट किसी को भी दें ....पर अपने टैक्स का हिसाब जरुर लें ...एक बार सोंचिये तो आप टैक्स देते क्यों है ?....क्या इतना कम टैक्स देते है आप ?....की मैं भूखा रह जाता हूँ


Tuesday, February 19, 2013

जो षण्यंत्र का हिस्सा....बन कर ...इनका साथ दे.....उन्नति के सारे रास्ते ...खुले है उसके लिए ...



काफी समय पहले एक पत्रकार हुआ करते थे ...हाँ हाँ थे ...क्यूंकि अब वो मंत्री जी है ....और भी जिम्मेवारी है ...सबसे बड़ी तो क्रिकेट की .......हमारे देश की क्रिकेट टीम एक बार बिना कीपर के तो खेल सकती है ....पर इनकी मर्जी के बगैर ...नेट प्रैक्टिस भी नहीं कर सकती .....

इन पत्रकार साहब को इतनी तरक्की ...इनके किस राष्ट्रीय सहयोग के लिए मिली ...ये तो मुझे अभी नहीं पता ....पर तरक्की बहुत मिली ....और कांग्रेस की कृपा दृष्टि से ही मिली .....
ये इतने ताकतवर मंत्री है ....की राज्यसभा के उपसभापति ....को कान में कहतें है ...की भाई ...कार्यवाही स्थगित कर दो ....(अब माइक खुला था - ये उसकी गलती की सबको सुनायी पद गया )....और सदन स्थगित हो जाता है .....

कुछ ऐसी ही शायद तरक्की .....मिल सकती है ....एक और नवोदय ....पत्रकार को ....जिनका नाम है दीपक ...जी हाँ दीपक चौरसिया ......इनकी भी तरक्की के असार पूरे और सितारे प्रबल दिख रहे है ....पर इनको तरक्की मिलेगी तब न ....जब इनके आकाओं की सरकार बनेगी ......और शायद जागी हुई जनता के बाद ....अब संभव नहीं होगा ......

एक तीसरे पत्रकार भी है .....जी इनका नाम भी ...दीपक ही है ...जो चौरसिया नहीं ....शर्मा ....जी हाँ ये वोही है ...जिनकी एक रिपोर्ट की वजह से ही ......ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़े ...एक महान कानून मंत्री जी .....बन गए थे गैर कानून मंत्री .....दीपक शर्मा जी ने ही बताया था ...इन मत्री जी की महानता के बारे में ....की कैसे इन्होने ....स्वर्ग मीन भी जाकर ...कान से सुनने की मशीन बांटी थी ....

और मंत्री जी को इस महान काम के बदले ....प्रोउन्नति मिली ...और आज कल ....हमारे देश के विदेश मंत्री ....के पद को सुशोभित किया .....और वो पत्रकार (दीपक शर्मा )....पता नहीं गायब हो गए ...फिर दिखे ही नहीं ....अपने चैनल पर ...पता नहीं दाल रोटी ....अब कैसे चल रही होगी ...याद है वो प्रेस कांफ्रेंस ....जिसमे गैर मंत्री जी set कर रहे थे ....rules of the game ....और चीख चिल्ला रहे थे।

जब पत्रकारों की हो ....तो एक और नाम याद आता है ....जो अभी पत्रकार है नहीं ...पर उसकी पढ़ाई कर रहें है ....उनका नाम है ...योगेन्द्र जी ....जी हाँ ये वोही है ....जिन्होंने खुद बा खुद सामने आकर ...सबको बताया था ...की इंस्पेक्टर यौगेन्द्र .....जी की मृत्यु स्वाभाविक कारणों से हुई होगी ....वो कोई हत्या नहीं थी ....इनको भी हमारी कर्मठ दिल्ली पुलिस के कोमिस्नेर ने धमकया था TV पर सबके सामने .....पर ये डरे नहीं ....और लगातार अपनी बात को ...सामने रख्खा .....और हाँ बहन पौलिन को भी सलाम जिन्होंने ....भरपूर साथ दिया था ......अब आज कल इनका भी कुछ पता नहीं ....पर ठीक ही होंगे ....पर इनकी हिम्मत ने ....बचा लिए 8 निर्दोष को ...हत्यारे की संज्ञा ....से ....

तो तरह तरह के लोग भरे पड़े समाज में ....देश में ...पर कुछ हैं जो ....जन हित में ...देश हित में काम करतें है ...और कुछ जनता को मूर्ख बनाने के लिए .....खुद षण्यंत्र क हिस्सा बन जातें है .....

और ताज्जुब इस बात का ....की अब आप स्वयं देखिये ....जो षण्यंत्र का हिस्सा....बन कर ...इनका साथ दे ...देश को लूटने में ,....बांटने में ,....इनकी मिलीभगत में सहयोगी बने ......उन्नति के सारे रास्ते ...खुले है उसके लिए ....

पर आप की किसी ईमानदारी ...किसी प्रतिभा और प्रयास का कोई मोल नहीं ....खो जाते है सच्चे लोग ....कहीं ....

कुछ ऐसी व्यवस्था ....को झेल रहे है .....तो ऐसी स्थिति में ...सिर्फ दो रास्तें है ....
या तो आप अपने बच्चों को ....बईमानी , जालशाजी ...सिखा दो .....या फिर इस व्यवस्था के चलते ....आप उससे उन्नति की उम्मीद न करे ....

एक तीसरा रास्ता भी है ...अब आपके सामने ..की निकल कर खड़े हों ....और लड़ें ..इस भ्रष्ट व्यवस्था से ...इसको बदलने के लिए ...और अब करना ही क्या है ...इसके लिए .....

बस आप का सहयोग ...समर्थन ....और कुछ नहीं ......मर्जी आपकी ...नागेन्द्र शुक्ल
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Monday, February 18, 2013

नफे नुक्सान की बात सोंचतें है ....अजीब है ....



एक शुभ चिन्तक से,.....बात चीत में पता चला की अरविन्द जी ने एक साथ सभी के खिलाफ चाहे,.... वो कांग्रेस हो, बीजेपी हो, अम्बानी, अदानी या फिर मीडिया 
बोल कर ...अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारी है ...इससे उनको बहुत नुकसान हो रहा है ....इनका मानना है की अरविन्द जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था .....

तो मेरा मानना है ....लोग भी अजीब है ....
अरविन्द जी के बारे में नफे नुक्सान की बात सोंचतें है ....अजीब है ....
अरे अगर अरविन्द जी ...को नफे नुक्सान की चिंता होती ...तो रास्ते और भी थे .......और बहुत आसान भी ....
पर अरविन्द जी, कब कोई काम ...निजी या व्यक्ति विशेष के ...लाभ के लिए किया ?....

उन्हें तो सिर्फ ....व्यवस्था सही करनी है ....जनता को जगाना है ....भ्रस्ताचार को भागना है ....फायदा नुकसान तो वो सोंचे ...जो व्यवसाय कर रहा हो .....अरविन्द जी, (AAP ) तो सिर्फ ...व्यवस्था का ईलाज ...करने की कोशिश कर रहे है ....
अरविन्द जी कभी ....किसी का विरोध नहीं करते .......मेरी समझ से ....वो सिर्फ भ्रास्टाचार ...का विरोध करतें है ....और उसे उजागर ....अब ऐसा करने ...से कौन खफा होगा ...कौन खुश ...इसकी परवाह तो वो करे .....जिसका कोई स्वार्थ जुड़ा हो ....

अरविन्द जी, तो सिर्फ आम आदमी की भलाई चाहते है ....सच्चा लोकतंत्र ...एक समर्थ व्यवस्था चाहतें है .....एक पारदर्शिता चाहतें है .....अब ऐसा करने में ....चाहने में ....किसका साथ मिलेगा ....और किसका विरोध झेलना पड़ेगा ....ये उस पर निर्भर है .....उसकी नियत पर निर्भर है ....किसी और चीज़ पर नहीं ....AAP ना ही आज ....और ना ही भविष्य में ...किसी को कुछ नहीं देगी .....सिवाय ...एक स्वस्थ समाज .....चुस्त व्यवस्था .....सच्चे लोकतंत्र और सामूहिक विकास के .....आलावा ......इसलिए ऐसा कुछ सोंच कर .....
ये बताना की क्या सही था क्या गलत ....सही पैमाना हो नहीं है ....AAP की विवेचना करने का ......

खुदा बसता है,.... खुदा के बन्दों में
बस यही याद रखना है

हो एक स्नेह,.....और  स्निग्ध साथ
बढे हर ओर,.....एक मदद भरा हाथ
ना समझे,.....कोई हारा
खुद को, किस्मत का मारा
नोट नहीं, पद नहीं, प्रतिष्ठा नहीं
बस हो इंसान प्यारा ....
कुछ ऐसा बने ....संसार हमारा

कहतें है ये,... किताबी बातें है .....
हकीकत से कोई नाता नहीं,...
मैं क्या करूँ ......नफा नुकसान
ऊपर नीचे ......मोल भाव .....
है ये व्यवसाय  बड़ा मुश्किल ....
ये मुझे,...... आता ही नहीं ..... ......नागेन्द्र शुक्ल
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क्या खता थी

क्या खता थी

जाने कितने लोग हैं अपनों के ठुकराये हुये
जो भटकते हैं सड़क पर हाथ फैलाये हुये
सबके होते हुये भी इनका कोई अपना नहीं
कलयुगी संतानों की हैं चोट ये खाये हुये

क्या खता थी हो गया इनका पराया अपना घर
बोझ बन बैठे ये कैसे अपनी ही औलाद पर
जाने कोई पालने में रह गई थी कुछ कसर
या नयी तहजीब रखती थी तरस खाये हुये

पेड़ कितना भी पुराना हो मगर छाया तो देगा
जब मुसीबत आयेगी इनका तुझे साया मिलेगा
ये कोई सामां नहीं जिनको सड़क पर फेंक दें
कैसे तू जी पायेगा इनको यूँ बिसराये हुये

याद रख है हैसियत तेरी, तेरे माँ बाप से
ले के तू उनकी दुआयें, दूर है संताप से
एक दिन ऐसा न आये जब बुढापा हो तेरा
तेरी औलादें तुझे भी रक्खें तरसाये हुये

Sunil_Telang/08/02/2013

क्योँ ?..दिग्भ्रमित है युवा ...मेरे देश का ....

क्योँ ?..दिग्भ्रमित है युवा ...मेरे देश का ....
तुम क्या दूंढ रहे हो बोलो ....तो
वो क्या है ...जिसको चाह रहे हो बोलो .....तो
क्या लक्ष्य तुम्हारा बतलाओ,.....तो
किसके इंगित पर चलते हो,....सोंचो तो ...
क्यूँ कर स्वयं,.....स्वयं को छलते हो ....
एक बार जरा सोंचो तो ?...

है अस्तित्व तुम्हारा प्यादे का,.....
क्यों करते इस पर गौर नहीं,.....
भारत हो जाए खंड-खंड,......
उत्कर्ष धूल में मिल जाये,......
गंगा की पावन धारा में,......
हालाहल तीखा घुल जाये,.....

जलती मशाल दे हाथों में,.....
वो कहते अपना घर फूंको,.....
सच बोलो ....तो भी तुमको डांट रहें है .....
तुम मांगो कुछ भी .....
बस ज़ाति धर्म और आरक्षण ही है ....
जो तुमको .....ये बाँट रहें है .....

फिर कोई युवा अब भी बोले ....
कुछ नहीं हो सकता....इस देश का ....
तो ना बोले ...तो क्या बोले .....
की दिग्भ्रमित है ...युवा मेरे देश का .....नागेन्द्र शुक्ल
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Sunday, February 17, 2013

देश की हालत भी .....देखिये ...

जिसने पाला इस देश की जनता को ....
जिसने खिलाया ही नहीं ....
कपडे भी पहनाये .....
आज़ादी  के लिए भी जिनके ...हासिये चले ....
आज़ादी के बाद गए कितने छले ....
कहाँ से कहाँ ला दिया किसान को .....
किसान की हालत तो देखिये ..
भ्रष्ट लोकतंत्र का तमाशा है ....
ये बस बाते करते है ....विकास तो देखिये
पल पल में बदलती इनकी भाषा देखिये
अब पता चला है ये (भ्रष्ट नेता) है कितने नापाक ....
कभी इनकी हकीकत भी देखिये ....
सिर्फ बातों से चलतें है .....
काम नहीं भीख ..दे सकतें है ....
नाकारा बना दिया ....मजदूर को .....
और भूखा मार दिया किसान को ....
जरा देश की हालत भी .....देखिये .....
...नागेन्द्र शुक्ल

...यही तो है आम आदमी ....


कई बार सोंचा ...कौन,....है कौन?… ये आम आदमी, ....शायद यही तो है आम आदमी ...कई दिनों से फेसबुक से पूरी तरह दूर ....थोडा व्यस्त कभी इधर, कभी उधर ....और हर तरफ,...बस मिलते रहे आम आदमी ...ख़ास आदमी ....और हो गया थोडा confuse ....समझ नहीं आया ...कौन है आम आदमी .....और कौन ख़ास आदमी .....कुछ ऐसा लगा ..ये हम और तुम ही तो हैं .......

जो बन जाते है ..कभी आम और ख़ास ...
थोडा अजीब है ....ये हम ही तो है ...जो बन जाते है ....कभी आम ..और कभी ख़ास ....बस जगह - जगह और...समय समय की बात है ......

-- कभी confuse होता है ...तो कभी confuse करता है ....बस यही तो है आम आदमी ....होता तो ये आम आदमी ही है ....पर  करता, हमेशा कोशिश ख़ास आदमी बनने की .....यही तो है आम आदमी ....

-- पर तज्जुब है .....की कोशिश कितनी भी करे,....आम,.... बनने की ख़ास  ....पर दिखता है हमेशा आम ....और गरीब ही ....
कभी धन से, ...तो कभी मन से,.....तो कभी तन से ,....तो कभी बुद्धि से ...

सड़क पर ....या जिधर भी गया ..जिससे भी मिला .....ना कोई पूरा आम मिला .....ना पूरा ख़ास .....ना ही कोई पूरा अमीर ..और ना ही ....कोई पूरा गरीब ....

इसे कभी किसी का दुःख ...सहन करना असंभव होता है ....और कई बार किसी के सुख को.....यही तो है ..आम आदमी ....

-- थोडा ढोंगी ....नहीं है ..आम आदमी ....हम और तुम .....क्या लगता है ?....
नहीं जल्दी नहीं है ....कभी बाद में सोंचना ...पर एक बार सोंचना ......अरे सोंचने में पैसे थोड़े ही ....न लागतें है .....यही तो है आम आदमी .....और क्या ?....

अब जब सोंचना ....तब ये भी सोंच लेना ...की क्या थोड़े जिद्दी नहीं हम ...और तुम ?.....

-- वैसे तो जिद्दी होना बुरी बात है ....क्योँ क्या कहते हो ?.....पर जिद्द भी तो तरह - तरह की होती है ....और किस - किस तरह की आपको पता ही होगा,...

-- पर जिद्द के साथ,...एक अच्छी बात भी है .....की कोई - कोई जिद्द, बहुत अच्छी होती है ......

हमें - आपको ......क्या नहीं बना सकती, ये जिद्द .....पर हमारी और आपकी ...यही जिद्द ...इतना नुकसान भी पहुंचाती है ......की कोई दूसरा ...बड़े से बड़ा ...दुश्मन भी नहीं .....

-- तो हर जिद्द या तो अच्छी होती है ....या फिर बुरी ....या यूँ कहें ....ना ही अच्छी होती है ....और ना ही बुरी .....
-- जिद्द तो वास्तव में बस जिद्द होती है .....

बस जिददी है ....आम आदमी ....
किसी को बत्ती बुझाने की जिद ....तो किसी को जलाने की .....बस सफ़र कट रहा है .....जिंदगी का .....आम ....ख़ास ...ख़ास ...आम ...चलती है जिंदगी .....यही तो है ...आम आदमी ..और क्या ?.....
दिल - दिमाग दोनों होते है...अच्छी बात ये ..की हम दोनों का उपयोग जानते है ....पर कब - कहाँ किसका करना है .....यहीं चूक जाता है ..आम आदमी .....और जो नहीं चूका ...हो गया ख़ास आदमी ....ये दिल और दिमाग का  ..प्रयोग ही बनाता है, आम - ख़ास आदमी ...

और गड़बड़ तब ...जब दिल - दिमाग के प्रयौग में हो अदला - बदली ....अगर सीख ले इनका ...सही - समुचित प्रयोग ....तो बस life set ....और क्या है ....आम आदमी ...

कोई करता है ...विस्वास अपने पर ...कोई नहीं ....पर करना तो चाहिए भरोषा अपने पर .....कब खुद पर - कब दूसरे पर ..करे भरोसा ...थोडा confuse है ...आम आदमी .....पर क्यों है confuse आम आदमी ?.....सोचता नहीं ...तोडा बिजी है आम आदमी .....

--- बस आम ही आम है.....आदमी ...कोई ख़ास नहीं ....कुछ होंगे ख़ास ....पर मुझे मिलते ही नहीं .....कभी शायद दिख जाते है टीवी पर ....और शायद वोही है ...जो होंगे ख़ास आदमी .....

-- ये आम से ख़ास ...ख़ास से आम ...का ही खेल खेलता है ....आम आदमी ....और क्या है ...आम आदमी ?....

-- मैं तो सपोर्ट करता हूँ ...अरविन्द जी को ...क्यों ये भी जनता हूँ ....आप भी करते होगे किसी ना ...किसी को .....और क्योँ ....शायद जानते होगे ...आप .....

थोडा confuse तो है .....पर कभी ...ना कभी ...तो सोंचता है ...आम आदमी .....आप भी सोचना ...किसे और क्यों ...support करता है आम आदमी ....

आखिर चाहता क्या है ...आम आदमी ?......कभी - कभी ....कुछ - कुछ  समझ ....नहीं पाता है ...आम आदमी ?.....पर ऐसे ही चलता है ....आम आदमी .......नागेन्द्र शुक्ल
थोडा
confuse
आम आदमी?
क्या जिददी है ....आम आदमी?
चाहता क्या है ...आम आदमी ?
पाता क्या है .......आम आदमी?
समझ ....नहीं पाता है ...आम आदमी ?


Thursday, February 14, 2013

कमी योजना की है या फिर व्यवस्था की?



समझने की बात ये है ...की स्वराज मे काम होगा कैसे .....तो बता दें....की राजस्थान के जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है। इतना ही नहीं, ग्रामवासियों ने अपनी सामूहिक बौध्दिक और शारीरिक शक्ति को पहचाना और उसका उपयोग गांव की समस्याओं का समाधान निकालने में किया।

1977 में अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान गांव का एक नवयुवक लक्ष्मण सिंह गर्मियों की छुट्टियां बिताने जयपुर शहर से जब गांव आया तो वहां अकाल पड़ा हुआ था। उसने ग्रामवासियों को पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक भटकते व तरसते देखा। तब उसने गांव के युवाओं की एक टीम तैयार की, नाम रखा, ग्राम विकास नवयुवक मंडल, लापोड़िया। शुरूआत में जब वह अपने एक-दो मित्रें के साथ गांव के फराने तालाब की मरम्मत करने में जुटा तो बुजुर्ग लोग साथ नहीं आए। बुजुर्गों के इस असहयोग के कारण उसे गांव छोड़कर जाना पड़ा। कुछ वर्षों बाद जब वह वापस गांव लौटा तो इस बार उसने अपने पुराने अधूरे काम को फिर से शुरू करने के लिए अपनी टीम के साथ दृढ़ निश्चय किया कि अब कुछ भी करना पडे पर पीछे नहीं हटेंगे। कुछ दिनों तक उसने अकेले काम किया। उसके काम, लगन और मेहनत से प्रभावित होकर एक के बाद एक गांव के युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं उससे जुड़ते चले गए। देव सागर की मरम्मत में सफलता मिलने के बाद तो सभी गांव वालों ने देवसागर की पाल पर हाथ में रोली-मोली लेकर तालाब और गोचर की रखवाली करने की शपथ ली। इसके बाद फूल सागर और अन्न सागर की मरम्मत का काम पूरा किया गया। पहले स्त्रियों को रोजाना रात को दो बजे उठकर पानी की व्यवस्था के लिए घर से निकलना पड़ता था। उनका अधिाकांश समय इसी काम में व्यर्थ हो जाता था। किन्तु अब तालाबों में लबालब पानी भरने से पीने के पानी की समस्या से तो निजात मिली ही, क्षेत्र में गोचर, पशुपालन और खेती-बाड़ी का धन्धा भी विकसित होने लगा।

आज स्थिति यह है कि दो हजार की जनसंख्या वाला यह गांव प्रतिदिन 1600 लीटर दूध सरस डेयरी को उपलब्ध करा रहा है। लोपड़िया के लोगों ने राजस्थान के गांवों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

लगे हाथ ये भी बता दे की सरकारी योजना नरेगा मनरेगा के तहत देश मे हज़ारों तालाब बने .......पर शायद ही कोई ऐसा हो जिसमे पानी हो ....या पानी आने की व्यवस्था हो .....ऐसा क्यो हुआ .....क्योंकि .....इस तरह की योजना के पीछे भावना .....कभी ग्रामीण विकास की थी नही .......सिर्फ़ लोगों को ....नकारा बनाने की थी ....और पैसा बाँट कर वोट जुगाड़ने की थी ....

और जब किसी काम को करने के पीछे की नियत ही ठीक ना हो ......तो अच्छे और सही परिणाम कैसे आ सकतें है .....नरेगा मनरेगा के तहत.....गाँव क्या काम जाए ....गाँव को किस चीज़ की ज़रूरत है ....किस काम को करने से गाँव के लोग ....अपने पैरों पर खड़े होंगे ......सामूहिक विकास होगा .....इस पर कभी किसी के विचार ही नही किया ......कोई बात ही नही की गयी गाँव के लोगों से ......बस पैसा कमाने ....और बाँटने के लिए ....कुछ भी .....जो सिर्फ़ दिख सके कागजों पर ......किया गया ......

 पिछले 7 सालों मे नरेगा मनरेगा के तहत .....बहाए गये....पैसे से हम क्या नही कर सकते थे? ....पर हुआ क्या ?.....सभी को पता है .....
अब आपको क्या लगता है ....कमी योजना की
 है या फिर व्यवस्था की? ........क्या आपको लगता है ...
मुझे लगता है
 बिना व्यवस्था बदले,.....कोई भी योजना ....हमारा विकास कर सकती है ........
आपको भी सोंचना पड़ेगा .....क्योंकि  आपका ही पैसा है ......जो बहाया जा रहा है ......
ये आपही हो जिसको नाकारा बनाया जा रहा है .........नागेन्द्र शुक्ल
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Tuesday, February 12, 2013

मुझे सिर्फ एक रास्ता दिखता है और वो है आप (AAP)....आपको ?....कोई और तो क्यों ? कैसे ?

ऐसा नहीं है की हमारे देश में आज तक कोई अच्छा नेता हुआ ही नहीं .....और ऐसा भी नहीं है आज हमारे पास कोई अच्छा नेता है ही नहीं .....
पर परेशानी की बात ये है .....कुछ राजनीतिक कुचक्र ऐसा तैयार ...किया गया है ...या हो गया है ....की या तो अब राजनीती से, अच्छे लोग दूर भागतें है .......या फिर राजनीती में वो अपना कद कभी,... बना ही नहीं पाते .....
ऐसे अच्छे लोग हो सकता है ......की सभी पार्टीयों में हों एक दो ....पर उनकी राजनीती ...सिर्फ टाट पट्टी बिछाने से शुरू होती है ....और एक समय के बाद .....अवसाद में जाकर ....गुमनामी में खो जाती है .....

कारण सिर्फ दो
1. की आज की राजनीती में आगे बढ़ने के लिए .....सिद्धांत, संवेदना और आदर्श और विचार नहीं चलते .......चलती है तो सिर्फ ताकत ....सिर्फ पैसा ....सिर्फ मिली भगत .....अच्छे लोग कभी आगे बढ़ ही नहीं सकते ...एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी है इन नेताओं ने मिलकर .....और इसी का प्रभाव है ...की आम आदमी ...अच्छा आदमीं दूर होता गया ...राजनीती से ....और ये स्थिति बद से,......बदत्तर हो चुकी है ...क्यूँ ?
2. हमारी आपकी निष्क्रियता ने इसे .....वोट बैंक की राजनीती बना दिया है ...और वोट बैंक भी विकास, ईमानदारी और जनहित का नहीं ......वरन पैसे, जाती और धर्म का ....हालात यहाँ तक पहुंचा दिए है ...की आम आदमी ....अच्छा आदमीं राजनीती में भाग लेना तो दूर की बात ......वोट तक देना भी पसंद नहीं करता .....और शायद आपकी इसी सोंच का फायदा उठातें है ये ....

तो ये बात तो साफ़ है ....की अगर कुछ बदलना है ...तो आपको ही आगे आना पड़ेगा ...किसी और से कोई उम्मीद नहीं .....
और इसी बात को समझते हुए ...आम आदमी पार्टी (AAP ) के संविधान में ....प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में ऐसा प्राविधान है ....की AAP से सिर्फ अच्छे और सच्चे व्यक्ति को ही ....चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है ....और यही नहीं ....यधि गलती से या किसी तरह का जुगाड़ - तुगाड़ लगा कर कोई गलत व्यक्ति .....सामने आ भी जाता है ...तो उसे तत्काल हटाने का भी समुचित प्राविधान है ....

और इन्हीं सब वजहों से AAP ...इस बात को पूरी ताकत और हिम्मत से बोलती है ....की हम राजनीती करने नहीं बदलने ......आ रहें है ......और अब सब कुछ आपके सामने है ...और ये भी की इसे बदलना ...कितना आसान है .....

अब आपके सामने ये भी है ...की ये भ्रस्ताचारी ....कितने कमजोर है ...बस आपको एक बार ठानना है ...की अब इनको नहीं सहना है ....और ये भाग लेते है ...उन मुद्दों से ....और करने लगते है ..इधर उधर की बाते ...तेरी साडी - मेरी साडी - ज्यादा सफ़ेद - कम सफ़ेद ...वगैरह वगैरह ....

अब इस राजनीतिक कुचक्र का टूटना अवश्संभावी है .......बस आपको आगे आना है ....बांकी सब आपके साथ है .....

वैसे तो हमारे देश ने काफी सारे अच्छे और समझदार और संवेदनशील ...नेताओं को देखा है ...पर पिचले कुछ समय से आपके सामने है ...की किस तरह के लोग सत्ता में आते है ...जिन्हें ना ही जनता से मतलब है ...ना ही किसी विचार धारा से ....

बस जब जहां जैसा मौका पड़ा ...कुछ भी बोल दिया ....सिर्फ अपने वोट बैंक को बचाने के लिए ....

कुछ समय पहले मैं ऐसा सोंचता था की कुछ पढ़े लिखे ....और युवा लोग .....राजनीती में आयेंगे तो शायद सुधार होगा .....
मेरी ये सोंच अभी भी ...सही है ...पर गड़बड़ ये हो गयी ....की जिन युवाओं को आपने चुना ......या यूँ कहे ....की आपको चुनने के लिए मजबूर किया गया ....उन्होंने देश की जनता को ......निराश ही किया .....

अब आपके सामने है ...एक तो राहुल गाँधी जी ....जिनके बारे में क्या बोलूं ...सब आपको पता है ....
दूसरे है .....अखिलेश यादव जी ....अजीब बात ये है ...की मैं कल से लगातार इनको TV पर statement देता सुन रहा हूँ ....पर पता नहीं क्यों ....हर बार मुझे कुछ ऐसा अहसास होता है ..की ये सिर्फ दो बातें बता रहें है .....की
कितना पैसा दिया ?.....और बस कभी इसको धमकी ...कभी उसको धमकी ........मैं जब भी इनको सुनाता हूँ ...गुस्सा आता है ...इनकी भाषा ...चहरे के भाव जिनसे घमंड ..झलक रहा होता है ....को देख और सुन  कर ....
हो सकता है की ये सिर्फ मेरी द्रष्टि ...का दोष हो ...इसलिए आप से ..आपकी राय जानना चाहता हूँ .....नागेन्द्र शुक्ल


Sunday, February 10, 2013

We need transparent glass, water and air. We will fill it.

चीजो को देखने और दिखाने के कई नज़रिए होते है ......पर दुनिया नज़रिये से नहि चलती .....उसे हकीकत का सामना करना पड़ता है ....और हकीकत ही जानना चाहती है ......और ये नेता जनता को नजरिया दिखा देते है .....पर हकीकत नहीं बताते ....रही बात नज़रिये की .....तो अकसर देखा है ...की समय और काल के हिसाब से नज़रिये बदलते रहतें है .....

अब ग्लास में कितना पानी बचा है  .....और कितनी हवा भरी है .....ये सब जनता को दिखे तो सिर्फ तब जब .....ग्लास (व्यवस्था ) ....बेरंग हो ...पारदर्शी हो ...कम कम काला तो ..बिलकुल नहीं होना चाहिए .....

परेशानी तो यही है की ......ग्लास बेरंग नहीं ...पारदर्शी नहीं ......
परेशानी ...सिर्फ इतनी ही नहीं .....वास्तविक परेशानी तो ये है की .....
गिलास को ...आपने बेरंग किया सो अलग ......और एक कदम आगे जाते हुए .....उनमे हवा ...और पानी को ...भी बदरंग ...या यू कहें की भ्रष्ट रंग .....में रंग दिया है ........

अब जनता .....जो सो रही है ....वो तो बस आपके नज़रियों ...और अपने तथ्यों के साथ जी रही है ......
कब वो जानने की ,.........कोशिश करती है ...की गिलास का रंग क्या है ........हवा और पानी .....में कितनी प्राण वायु (ऑक्सीजन ) .......बची है .....

आम आदमी ....तो बस ..लगा है ....अपने हिस्से की ...प्राण वायु (ऑक्सीजन ).....बचाने में .....या यू कहे ....की बस किसी तरह ....गंध में ....रुमाल लगा कर सांस ले रहा है .......और लगा है अपने काम में .....और जी रहा .....इस आस में ...

कोई आये ......जो इस गिलास .....को बेरंग करे .....
कोई आये ...जो मरती व्यवस्था ......को प्राणवायु दे .......
कोई आये ....जो एक ईमानदार ...सांस दे ........

कोई आये .....कोई आये .....अरे क्यों आये ?......क्यों आये भाई ?.......
अरे आप स्वयं अपनी जिम्मेवारी समझो .....और जहां हो जैसे हो ......बस करो गिलास को बेरंग .....करो साफ़ .....ये पानी ...ये हवा .......नागेन्द्र शुक्ल

उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से
नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

"कांग्रेस और बीजीपी दोनों एक ही पार्टी हैं -अरुण शौरी (भाजपा)

Read in Hindi/English both:-  "कांग्रेस और बीजीपी दोनों एक ही पार्टी हैं -अरुण शौरी (भाजपा)
 मेरे जैसा, अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में व्यस्त आम आदमी ....कभी इतना सोंच ही कहाँ पाता था ...की क्या और क्यों चल रहा है इसे देश में ....बस कुछ समझ नहीं आता था की ....की कितनी भी मेहनत करलो .....पर हालात है की बदलने का नाम ही नहीं लेते .....और कभी सच और कारन को समझने का ....प्रयास किये बिना लग जाते थे ....अब बस बहुत हो गया ....अब इसकी नहीं ....किसी दूसरे की सरकार चाहिए ...ये चोर है ...वो आयगा तो कुछ ठीक होगा बस इसी आशा में .....
चेहरे बदलते रहे .....सड़क पर लगे पोस्टर ...और सार्वजनिक जगहों पर नाम पट्टियाँ (Name plate )....और दीवारों के रंग .....
पर सरकार किसी की ब्व्ही रही हो .......हालात नहीं बदले ......ठंग नहीं बदले ....क्योँ ?.....

क्यूंकि वास्तव में तो ये सब मिले है .....एक ही है ....मैं नहीं मानता था ....पर जब अरविन्द जी ने समझाया ...तब जा कर मुझे समझ आया ......पर दुःख इस बात का ..की अभी बहुत से लोग ऐसे है जो समझ नहीं पाते ....या जान बूझ कर अपनी जिद के आगे समझना ही नहीं चाहते .......देखो इनको कब समझ आता है .....हमारा और आपका प्रयास तो जारी ही रहेगा .....

देखो बीजेपी के नेता, अरुण शौरी दिसम्बर 2010 में क्या बोल रहे है .....और इनके भक्त दिन भर व्यस्त है ....ये बताने में ....की उनकी पार्टी ....उनके नेता ......थोड़े कम बेईमान है .,.....और दूसरे के ज्यादा ......नागेन्द्र शुक्ल

अरुण शौरी , एक न्यूज़ पेपर के संपादक रह चुके हैं , भाजपा से दो बार राज्य सभा के सदस्य , एवं भुतपूर्व यूनियन मिनिस्टर रह चुके हैं ,
अपने एक साक्षात्कार के दौरान उन्होने कहा कि "कांग्रेस और बीजीपी दोनों एक ही पार्टी हैं ,"
उनका मानना है कि "दोनों साथ में बैठे एक डिनर टेबल की तरह हैं , एक तरफ बीजेपी है , एक तरफ कांग्रेस है , और बीच में वह टेबल है (सभी मुद्दे ) जिन्हें आपस में मिल बाँट कर सुलझाया जाता है !!!!!
आगे बोलते हुए अरुण जी कहते हैं "दोनों ही पार्टियों (कांग्रेस और बीजेपी) के पीछे एक ही तरह के उद्योग घरानों का साथ है , इसलिए दोनों में से कोई भी नहीं चाहता कि , किसी भी प्रकार की जांच हों !!!
पूरा विवरण पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
http://m.rediff.com/news/interview/interview-arun-shourie-on-the-real-meaning-of-the-radia-tapes1/20101201.htm
Arun Shourie is a former newspaper editor, twice a member of the Rajya Sabha, a former Union minister, During His Interview he said "I don't see the difference between the two. I feel they (the BJP and the Congress) are one party. They are jointly ruling. It is a dinner party. They meet at dinners. They meet socially. They decide on what has to be done about issues. It is all very cooperative behaviour. They (the BJP) are shouting (for a Joint Parliamentary Committee). They know that it will kill the investigation. A JPC will raise side issues and that is what both sides want. Because the corporates behind both sides are the same. They don't want the 2G spectrum investigation to proceed.
For More Details Click On the Following link
http://m.rediff.com/news/interview/interview-arun-shourie-on-the-real-meaning-of-the-radia-tapes1/20101201.htm
Thank, Aam Admi Zindabad(आम आदमी जिंदाबाद)
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=534927336530402&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater


Saturday, February 9, 2013

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले,......सुना है ....तेने ....

दोस्तों, एक अपनी आँखों देखा वाकिया,
आम आदमी पार्टी के जमीनी और युवा कार्यकर्ताओं ने ...अपने अपने क्षेत्र ...में हर छोटे बड़े ...भ्रस्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रक्खी है .....वो लड़ रहे है ....और जनता के सहयोग से जीत रहें है ...दिन - प्रतिदिन ....हर रोज़ ...एक नया जुझारू कार्यकर्ता जुड़ रहा है ....
ऐसे ही एक कार्यकर्ता की ....एक पुलिस अधिकारी से हुई ..बात चीत का एक अंश ...आपसे शेयर कर रहा हूँ ....
थानेदार, सुधीर से -- शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले,......सुना है ....तेने ....
सुधीर -- वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा,.....हाँ
थानेदार -- ...हाँ यही तो ......तो तू ..बस मेले में जा ..मोमबत्ती जला ...और लोलिपौप ...खा ....शहीद मत बन .....
सुधीर -- अरे साहब ..जब शहीद ही न होंगे ...तो मेले कैसे लगेंगे .....आप जाना अपने बच्चे को ...कोई ऐसा मेला दिखाने कभी ....
थानेदार -- तो ..तेने ...ठान ली है शहीद होने की .....
सुधीर -- क्या करें ....अगर आप शहीद हो जाते ....जनता की भलाई पर ...तो मैं क्यों? होता ....और आप सुधर जाओ ..तो भी मैं क्योँ हूँ ......पर किसी न किसी को तो होना ही पड़ेगा ......आखिर मेले तो लगाने ही है न .....
थानेदार -- तो तू मानेगा नहीं .....
सुधीर -- तब तक तो नहीं जब आप नहीं मानोगे ....की आप गलत हो .....
..........
..........और भी बहुत कुछ ......अंत में ..
थानेदार -- भाई तू जा .......पर सम्हल कर रहियो .....मिलते रहेंगे ...
सुधीर -- साहब हमारी भी खबरे ....आपको मिलती रहेंगी ...तैयारी करते रहना ....

अंत में अब आप को बता दें की ...सुधीर जी आम आदमी पार्टी के बहुत ही सक्रीय RTI कार्यकर्ता है ....और आम आदमी पार्टी की ...तकरीबन हर छोटी बड़ी ...यूनिट में ...RTI कार्यकर्ताओं की टीम है .....आप अपने आस - पास हो रहे किसी भी भ्रस्ताचार के खिलाफ लड़ने के ....नजदीकी AAP कार्यालय से संपर्क कर .....उनके अनुभव और हिम्मत के ....साथ जुड़ कर ...कहीं भी लड़ सकतें है .....भ्रष्ट व्य्स्वस्था से ......

पहुँच रही है ...AAP ....हर गाँव ...हर जिले ...हर मोहल्ले में ...जल्द ही ....300 जिलों में ये कार्य प्रारम्भ हो चूका है .....आप अपनी किसी भी स्थानीय और सामाजिक ...परेशानी के ....निकटतम ..AAP कार्यालय से जुड़े ....और बदलें इस व्य्स्वस्था को .....
क्यूंकि जब तक आप खुद ..इस भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ना नहीं ...शुरू करेंगे ....इसको बदलना मुश्किल होगा .....

अब सिखा है ....राजनीतिक पार्टियों को ...और बता रहें है जनता को .....की ...कैसे होनी चाहिए राजनीती .....और कैसे होने चाहये ...राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता .......किसी भी राजनीतिक कार्यकता ..का धर्म सिर्फ इतना नहीं होना चाहिए ...की अपने किसी नेता ...की रैली के लिए ...भीग इक्कठा करे ......या आपको ..अपने साथ ले जा कर ....वोट डालने के लिए बोले .....
राजनीतिक पार्टी का धर्म है ...की जनता की भलाई के लिए .....जनता को ताकत दे ....और कार्यकर्ता का धर्म की ....आपकी सच्ची/ सामाजिक हित की ....लडाई में आपका ..सहयोग ....

आप वोट किसी को भी दें ...ये आपकी मर्जी .....पर भ्रष्ट व्यवस्था से तो आपको ही लड़ना पड़ेगा ....
क्या किसी भी अन्य पार्टी .....के कार्यकर्ता .....कर सकते है ...आपक सहयोग ....और मार्ग दर्शन ......भ्रस्टाचार को उजागर करने में ?..........नागेन्द्र शुक्ल

उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से
नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

नई प्रात है नई बात है
नया किरन है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगें
नई आस है, साँस नई।
युग-युग के मुरझे सुमनों में
नई-नई मुस्कान भरो।

उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।।1।।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=534778253211977&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater



Thursday, February 7, 2013

ईस्वर न करे की ..साबित करना पड़े ...किसी को वोट दिया की नहीं ?...

दोस्तों, समझ नहीं आता की कहाँ से शुरू करूँ सिर्फ 15 मिनट के समाचार देख कर .....ही पता चल गया की हम ..आम जनता क्या करतें है ...पर समझ ये नहीं आता की क्योँ करतें है ?....एक सीधा जवाब भी है जब एक सांप नाथ हो और दूसरा नाग नाथ ..तो बेचारा अनाथ करे भी तो क्या ...या तो सांप नाथ ...या नाग नाथ .....

अपने गाँव के पंचायत चुनाव में देखा था ....की लोग धर आते थे और  कहते थे की भाई जनेऊ की कसम खाओ की अपना वोट उसी को दोगे ....और भी लोग अलग - अलग की तरह की कसम खिलाते होंगे ...बहुत ही common सी बात है ...पर आज जो सुना वो देख कर दुःख और बहुत दुःख हुआ ....वोटर की हालत देख कर .....15/20 लोग हाँथ में पट्टी लिपटी ....

सिरह उठता है मन की ...कभी हमारे सामने भी ऐसा बुरा समय आ गया तो क्या करूंगा .....कैसे बचुंगा .....
गुजरात के एक नेता जी ने ...अपने ही कई समर्थकों के हाथ खौलते तेल में डलवा दिए ....ये विस्वास करने के लिए ...की उन्होंने नेता जी को वोट दिया था या नहीं ...अंध विस्वास ये की ...जिसने वोट दिया होगा उसके हाँथ नहीं जलेंगे ....

सोंचने की बात ये की ये 15/.20 लोग इतने मजबूर कैसे हो गये ...की इनको दलन ही पड़ा हाँथ ...खौलते तेल में ?....
सोंचने की बात ये भी है ....की ये नेता जी ..जो इनकी ही गली मोहल्ले और गाँव के रहने वाले है ....इतने ताकतवर कैसे हो गए ....किसने बना दिया इतना ताकतवर ?.....जनाब सोंचने की बात नहीं है ये .....

ये आपकी और हमारी ही कमजोरी है ....जिसने इनको इतना ताकतवर और निरंकुश बना दिया .......

ये आपकी और हमारी ही कमजोरी है ....जिसने इनको इतना ताकतवर और निरंकुश बना दिया .......

किताबों में पढ़ा था ....कहानियों में सुना था ..की राजा था हिरनकश्यप ....जिसने कुछ ऐसा ही किया था प्रहलाद के साथ ....उसको विवस किया एक गर्म तपते ...लोहे के खम्बे से बाँधा .....वहां तो प्रहलाद बच गए थे ...स्वयं भगवान् प्रगट हुए थे ....नरसिंह रूप लेकर ...उसको बचने के लिए ....

पर इन्हें बचाने के लिए कोई नहीं आया ....क्योँ ?.....क्योकि ....दो कारण है
एक वो सतयुग था वहाँ ...सिर्फ दो तरह के लॊग थे एक जिनको भगवान पर या तो पूरा भरोषा था ..या बिलकुल नहीं ....ये आज कल की तरह नहीं ....की गंगा स्नान तो करना है ...पर ठण्ड न लगे इसलिए गर्म करके ...

दूसरा, ये कलयुग नहीं वास्तव में ......कर (हाँथ) युग है ....अर्थात ..यहाँ अब ईश्वर ....सिर्फ उन्हीं की मदद ...करतें है ...जो खुद की मदद की कोशिश करतें है ....

जिस वक्त, इन नेता जी ने फरमान सुनाया होगा ...की खौलते तेल में हाँथ दाल कर अपनी वफ़ादारी सिद्ध करो ....
उसी वक्त, अगर ये लोग ....ये सवाल करते की ..नेता जी आपने तो पक्का अपना ...वोट खुद को ही दिया होगा ..पहले आप सिद्ध करो .....की ये ही सही तरीका है ...सत्य को उजागर करने का .....

खैर ...कंप्यूटर के सामने बैठ कर मैं भी ...अकलमंद और साहसी बनने की कोशिश कर रहा हूँ ....अरे सीधी सी बात है ...की जिसके हाथ ......खौलते तेल में जाने वाले होगे .....उस वक्त ...उसका दिमाग भी चला होगा ....और पूरा साहस ...भी रहा होगा .....

पर सोंच कर दुःख ....होता है की ....कितना मजबूर रहा होगा ...की सब समझने ...के बाद भी प्रतिकार नहीं कर पाया होगा .......
अब सोंचिये, क्योँ ?...नहीं कर पाया होगा ...क्योंकि ..उसको पता था ..की अंधेर नगरी है .....कोई नहीं सुनाने वाला ...ना ही इससे बड़ा नेता ....और ना पुलिस .....और अंतिम आशा ...इन नेता जी का विपक्ष ...पर अब वो अंतिम आस .....भी कहाँ बची है ...आम जनता के सामने .....इनके मिले झूले और चार कम पर आधारित .... राजनीतिक सोंच के अविष्कार के सामने ........

ईस्वर न करे की ...जो अभी सोंचता है ..की कुछ करने की जरुरत नहीं ......कुछ नहीं हो सकता इस देश का ....उसे जिन्दगी में ये साबित करना पड़े ...किसी को वोट दिया की नहीं ?........कुछ ऐसे लोकतंत्र को सह रहे है हम .....यही है ..हमारे इस सोंच का इनाम की ....राजनीती अच्छे लोगों का काम नहीं ........

तो एक सवाल है ...की ऐसे लोग क्या सोंचते है ....की उनको पढ़ लिख कर पुलिस/ IAS /IPS /इंजीनयर /doctor या फिर कुछ और बनना चाहिए ......तो फिर एक बार आप गलत हो .....

हमारे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश ....बनाने का सपना दिखने वाले .....युवा CM अखिलेश जी ...जी के राज में ...एक SP घूस लेने से मना करे तो ..तबादला ...और ये SP साहब इतने ईमानदार ...की पिचले 15 साल से SP के SP ही रहे ...और महानगर से .....छोटे - छोटे तहसील ....में पहुंचते रहे,.....और तबादला करवाने ...वाले विधायक जी ....मंत्री बन गए .....आज ....

दूसरे विधायक जी ....एक CMO को आधी रात उनके घर से ही उठा ....ले गए, मारा पीटा ...हंस्ताक्षर करवा कर छोड़ गए ....
अब आप ही ..सोंचो ..की क्या बनोगे ...या अपने बच्चे की क्या बनाओगे .......की सम्मान से जी पाए ...नागेद्र शुक्ल