सुना
है कि किसी "स्वयंभू सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और समस्त
शास्त्रों के ज्ञाता " और "मृदुभाषी" , "संस्कारित" एक महान व्यक्ति ने
CAG के श्री विनोद राय को "शास्त्रार्थ" के लिए "सादर आमंत्रित" किया है
......
इस बात को सुनकर बचपन की याद आ गयी.....बचपन में बुजुर्ग एक किस्सा सुनते थे- पंचतंत्र का तो नहीं था पर उससे प्रभावित जरुर था क्योंकि इसमें भी जानवरों के माध्यम से ही शिक्षा देने का प्रयास रहता था.....किस्से का सार कुछ यूँ था-------
अगर आप किसी सुअर से बहस या लड़ाई करने का प्रयास करेंगे तो सबसे पहले सुअर आपको कीचड़ में ले जाने की कोशिश करेगा, और अगर आप कीचड़ में उतर गए तो वो आपसे लड़ने की , आपसे मुकाबला करने की कोशिश करेगा...फिर कुछ देर बाद उससे लड़ते-लड़ते आप थकना शुरू कर देंगे पर सुअर को कीचड़ में मजा आना शुरू हो जायेगा...और अंत में आप कीचड़ में गंदे होकर, थक कर , हार कर बैठ जायेंगे और लोग आप पर हसेंगे पर सुअर बड़े गर्व के साथ सीना चौड़ा कर अपनी जीत का जश्न मानना शुरू कर देगा....
कहानी से शिक्षा -- सुअर से लड़ने में समय और उर्जा बर्बाद करने की बजाए अपने लक्ष्य को पाने की और अग्रसर रहे....
ये किस्सा CAG के विनोद राय को समर्पित है ताकि वो अपना काम इमानदारी से करते रहे और इस मुल्क की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहे ना कि कीचड़ में उतरकर किसी सुअर को जश्न मानाने का मौका दें.....
( जो लोग "सुअर" शब्द के सन्दर्भ को लेकर उत्तेजित हैं उनकी जानकारी के लिए एक बात- "सुअर" भी एक जीवित प्राणी है और उसे भी उतना ही मान- सम्मान हासिल है जो कि एक लोकतंत्र में किसी और जानवर को हासिल है.....और साथ ही साथ एक बात और- जिस तरह से "मधुमक्खी " भी "देवी का एक रूप है ठीक उसी तरह से सुअर भी पूजनीय है क्योंकि भगवान् विष्णु एक कई अवतारों में एक "वराहां अवतार" भी सुअर रूप में है जिसने पृथ्वी को पाताल से बाहर निकला था....)
डॉ राजेश गर्ग.
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=575818339107968&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater
इस बात को सुनकर बचपन की याद आ गयी.....बचपन में बुजुर्ग एक किस्सा सुनते थे- पंचतंत्र का तो नहीं था पर उससे प्रभावित जरुर था क्योंकि इसमें भी जानवरों के माध्यम से ही शिक्षा देने का प्रयास रहता था.....किस्से का सार कुछ यूँ था-------
अगर आप किसी सुअर से बहस या लड़ाई करने का प्रयास करेंगे तो सबसे पहले सुअर आपको कीचड़ में ले जाने की कोशिश करेगा, और अगर आप कीचड़ में उतर गए तो वो आपसे लड़ने की , आपसे मुकाबला करने की कोशिश करेगा...फिर कुछ देर बाद उससे लड़ते-लड़ते आप थकना शुरू कर देंगे पर सुअर को कीचड़ में मजा आना शुरू हो जायेगा...और अंत में आप कीचड़ में गंदे होकर, थक कर , हार कर बैठ जायेंगे और लोग आप पर हसेंगे पर सुअर बड़े गर्व के साथ सीना चौड़ा कर अपनी जीत का जश्न मानना शुरू कर देगा....
कहानी से शिक्षा -- सुअर से लड़ने में समय और उर्जा बर्बाद करने की बजाए अपने लक्ष्य को पाने की और अग्रसर रहे....
ये किस्सा CAG के विनोद राय को समर्पित है ताकि वो अपना काम इमानदारी से करते रहे और इस मुल्क की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहे ना कि कीचड़ में उतरकर किसी सुअर को जश्न मानाने का मौका दें.....
( जो लोग "सुअर" शब्द के सन्दर्भ को लेकर उत्तेजित हैं उनकी जानकारी के लिए एक बात- "सुअर" भी एक जीवित प्राणी है और उसे भी उतना ही मान- सम्मान हासिल है जो कि एक लोकतंत्र में किसी और जानवर को हासिल है.....और साथ ही साथ एक बात और- जिस तरह से "मधुमक्खी " भी "देवी का एक रूप है ठीक उसी तरह से सुअर भी पूजनीय है क्योंकि भगवान् विष्णु एक कई अवतारों में एक "वराहां अवतार" भी सुअर रूप में है जिसने पृथ्वी को पाताल से बाहर निकला था....)
डॉ राजेश गर्ग.
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