दोस्त, में देश आज़ाद हो गया ......वास्तव में अंग्रेजो ने हमारे देश की
सत्ता ......कुछ हांथो में सौप दी .....इन हाथों की जिम्मेवारी थी की
....जब देश में जनतंत्र लागू हुआ .....तो इन्हें जनता को ताकत देनी चाहिए
थी ....जनता को समानता का अधिकार देना चाहिए था ......और एक आज़ाद व्यवस्था
....लागू करनी थी .....पर इन्होने ऐसा नहीं किया .........इन्होने देश की
जनता को बताया की .....सत्ता परिवर्तन ही .....आज़ादी मिलना है .......और
ऐसा ही ...इतिहास लिखा .........जनता को धोखा देने .....और सारी ताकत पर
कब्ज़ा करने की ही इनकी नियत थी ......और यही किया ......देश की सारी ताकत
....कुछ ताकत वर लोगों के ....हाँथ से सरक कर .....दूसरे ताकतवर ....हांथो
में चली जाती है ......और बस सत्ता का हस्तांतरण होता रहता है ........और
हम ....हम आज़ाद है ...गाते रहते है ....और सिर्फ वोट डाल कर समझते है
......की लोकतंत्र है .......
दोस्त, बिना आज़ाद व्यवस्था के .......बिना जनता के हांथो में ताकत के ....कैसी ......आज़ादी .....कौन सा लोकतंत्र .....अरविन्द जी और अन्ना जी का यही ....प्रयास है ....यही कहना है ....और मेरा मानना की .....की वास्तविक आज़ादी के लिए ......व्यवस्था परिवर्तन ....जरुरी है ........इसके लिये ये जरुरी है .......की सिर्फ अच्छे लोग आप से जुड़े ....और आगे बढे ......ये भी आप की ही जिम्मेवारी है ....किसी और की नहीं ........और हमारा उद्देश्य सिर्फ .....व्यवस्था परिवर्तन है .......और यही हमें करना है ....और यही करने के लिए ....दूसरों को बाध्य करना है .........और ये काम बिना इस राजनीतिक system को ......सोंच को ...और जनता को जागरूक बनाये बिना हो ही नहीं सकता ........इसलिए अब आपको ही .....आगे बढ़ाना पड़ेगा ......अब डरने की जरुरत नहीं .......नज़र उठा कर इधर उधर देखो .......आप जैसों की भीड़ है ..........बस आपको थोडा प्रयास करना है ...और कुछ नहीं .......नागेन्द्र शुक्ल
दोस्त, बिना आज़ाद व्यवस्था के .......बिना जनता के हांथो में ताकत के ....कैसी ......आज़ादी .....कौन सा लोकतंत्र .....अरविन्द जी और अन्ना जी का यही ....प्रयास है ....यही कहना है ....और मेरा मानना की .....की वास्तविक आज़ादी के लिए ......व्यवस्था परिवर्तन ....जरुरी है ........इसके लिये ये जरुरी है .......की सिर्फ अच्छे लोग आप से जुड़े ....और आगे बढे ......ये भी आप की ही जिम्मेवारी है ....किसी और की नहीं ........और हमारा उद्देश्य सिर्फ .....व्यवस्था परिवर्तन है .......और यही हमें करना है ....और यही करने के लिए ....दूसरों को बाध्य करना है .........और ये काम बिना इस राजनीतिक system को ......सोंच को ...और जनता को जागरूक बनाये बिना हो ही नहीं सकता ........इसलिए अब आपको ही .....आगे बढ़ाना पड़ेगा ......अब डरने की जरुरत नहीं .......नज़र उठा कर इधर उधर देखो .......आप जैसों की भीड़ है ..........बस आपको थोडा प्रयास करना है ...और कुछ नहीं .......नागेन्द्र शुक्ल
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