अभी कहीं से एक वाक्य पढ़ा ,.....
"दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो उसका श्रेय लेते हैं।
सदैव पहले समूह में रहने की कोशिश करिए क्योँकि वहाँ बहुत कम प्रतिस्पर्धा है॥"
बहुत सही लगी ये बात ....और सच बात तो ये है ...की पिछले ६ महीने में ...जब से अरविन्द जी को फॉलो (मानना) शुरू किया ...और फिर आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ...और उन लोगो से मिला जो ...पुराने IAC के active members थे,
फिर काफी लोगों से बात की .....और लगातार गाहे - बगाहे ...ऐसी भी खबरे मिली की ...कुछ पुराने IAC के members अरविन्द जी ....सहयोग नहीं करना चाहते ....फिर जब जमीन पर दोनों पक्षों के लोगो को ....करीब से देखा और जाना ......
फिर आज ये ऊपर का वाक्य पढ़ा ...तो सब कुछ ...बर्फ की तरह पिघलता ...और साफ़ होता नज़र आ रहा है .....वैसे मैं कहना तो काफी कुछ चाहता हूँ .....और ये बताना चाहता हूँ ...की कुछ लोग ....
जिनसे अरविन्द जी के विरोध की उम्मीद ...आम जनता को नहीं थी ...और वो कर रहे है ...तो ...वो ऐसा क्यों कर रहे है .....क्या नियत है ...क्या कारन है .....पर किसी भी बात को कितना पब्लिक डोमेन मैं होना चाहिए ...और कितना नहीं ...इस बात का अहसास है ..इसलिए बस आप ये समझ लो की ......सारी कहानी किया मर्म सिर्फ इतना ही है ...की ....
"दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो उसका श्रेय लेते हैं।
सदैव पहले समूह में रहने की कोशिश करिए क्योँकि वहाँ बहुत कम प्रतिस्पर्धा है॥"
हाँ अंत में ...मैं ये साफ़ कर दूं .....की मुझे गर्व है ...की मैं अरविन्द जी का समर्थक हूँ ...और ऐसे बहुत सारे लोगों को अपने आस पास देखता हूँ ....जैसे लोग होने चाहिए ...अरविन्द जी के आस पास ...हाँ सब के बारे में नहीं कहा जा सकता .....पर सिर्फ ....सही लोग ......
अरविन्द से नहीं ....अरविन्द के उद्देश्य से जुड़े लोग .....ही होने चाहिए ....और होंगे आप में ....ये भी एक कार्यकर्ता ....की जिम्मेवारी है ....और आपसे अनुरोध की सजग रहे .....पर जिम्मेवारी के साथ .....
इस व्यवस्था को बदलने का काम किसी एक का नहीं ...हम सबका है .....आम आदमी का है ...और आपका है ......नागेन्द्र शुक्ल
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=560388410650961&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater
"दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो उसका श्रेय लेते हैं।
सदैव पहले समूह में रहने की कोशिश करिए क्योँकि वहाँ बहुत कम प्रतिस्पर्धा है॥"
बहुत सही लगी ये बात ....और सच बात तो ये है ...की पिछले ६ महीने में ...जब से अरविन्द जी को फॉलो (मानना) शुरू किया ...और फिर आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ...और उन लोगो से मिला जो ...पुराने IAC के active members थे,
फिर काफी लोगों से बात की .....और लगातार गाहे - बगाहे ...ऐसी भी खबरे मिली की ...कुछ पुराने IAC के members अरविन्द जी ....सहयोग नहीं करना चाहते ....फिर जब जमीन पर दोनों पक्षों के लोगो को ....करीब से देखा और जाना ......
फिर आज ये ऊपर का वाक्य पढ़ा ...तो सब कुछ ...बर्फ की तरह पिघलता ...और साफ़ होता नज़र आ रहा है .....वैसे मैं कहना तो काफी कुछ चाहता हूँ .....और ये बताना चाहता हूँ ...की कुछ लोग ....
जिनसे अरविन्द जी के विरोध की उम्मीद ...आम जनता को नहीं थी ...और वो कर रहे है ...तो ...वो ऐसा क्यों कर रहे है .....क्या नियत है ...क्या कारन है .....पर किसी भी बात को कितना पब्लिक डोमेन मैं होना चाहिए ...और कितना नहीं ...इस बात का अहसास है ..इसलिए बस आप ये समझ लो की ......सारी कहानी किया मर्म सिर्फ इतना ही है ...की ....
"दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो उसका श्रेय लेते हैं।
सदैव पहले समूह में रहने की कोशिश करिए क्योँकि वहाँ बहुत कम प्रतिस्पर्धा है॥"
हाँ अंत में ...मैं ये साफ़ कर दूं .....की मुझे गर्व है ...की मैं अरविन्द जी का समर्थक हूँ ...और ऐसे बहुत सारे लोगों को अपने आस पास देखता हूँ ....जैसे लोग होने चाहिए ...अरविन्द जी के आस पास ...हाँ सब के बारे में नहीं कहा जा सकता .....पर सिर्फ ....सही लोग ......
अरविन्द से नहीं ....अरविन्द के उद्देश्य से जुड़े लोग .....ही होने चाहिए ....और होंगे आप में ....ये भी एक कार्यकर्ता ....की जिम्मेवारी है ....और आपसे अनुरोध की सजग रहे .....पर जिम्मेवारी के साथ .....
इस व्यवस्था को बदलने का काम किसी एक का नहीं ...हम सबका है .....आम आदमी का है ...और आपका है ......नागेन्द्र शुक्ल
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