अंग्रेजों से, लड़ना था आसन ||
साफ़ पता था, क्यों करना है, किस पर करना है वार ||
आज परिस्थिति है, विकट
दुश्मन है, अति निकट |
करनी है दुश्मन की पहचान ||
कोई कहता, दुश्मन है, जाति - धर्म |
कोई कहता, आरक्षण ||
किसका दुश्मन, कब कौन बना
नहीं रहता याद ||
कभी है महेंगाई, घोटाला ,
तो कभी है दंगा, आतंकवाद ||
इन सब में, एक ही चीज़, सदा रही विद्यमान |
और वो है भ्रष्टाचार , वो है भ्रष्टाचार ||
लो हो गयी दुश्मन की पहचान ||
अरविन्द जी, आगे बढ़ो, और इस पर करो वार |
वो सब है जिनको देश - धर्म से प्यार, साथ तुम्हारे
सदा रहें तैयार ||
संसार करेगा, नाज़ ||
साफ़ पता था, क्यों करना है, किस पर करना है वार ||
आज परिस्थिति है, विकट
दुश्मन है, अति निकट |
करनी है दुश्मन की पहचान ||
कोई कहता, दुश्मन है, जाति - धर्म |
कोई कहता, आरक्षण ||
किसका दुश्मन, कब कौन बना
नहीं रहता याद ||
कभी है महेंगाई, घोटाला ,
तो कभी है दंगा, आतंकवाद ||
इन सब में, एक ही चीज़, सदा रही विद्यमान |
और वो है भ्रष्टाचार , वो है भ्रष्टाचार ||
लो हो गयी दुश्मन की पहचान ||
अरविन्द जी, आगे बढ़ो, और इस पर करो वार |
वो सब है जिनको देश - धर्म से प्यार, साथ तुम्हारे
सदा रहें तैयार ||
बदलेगा समाज |
बदल जायेगा, भविष्य देश का ,संसार करेगा, नाज़ ||
No comments:
Post a Comment