गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ,... "किसान आंदोलन पर मेरे विचार",...
लेख थोड़ा लम्बा है - क्योंकि आंदोलन भी लम्बा हो चुका और सरकार - किसान की वार्ता भी भी लम्बी हो चुकी !!
जो देश कृषि प्रधान देश हो ,.... जिस देश में सीमा पे जवान - संसद में बैठा नेता - दफ्तर में बैठा अधिकारी,.... सभी किसान के बेटे होने का दावा करने में गर्व महसूस करते हों ,... उस देश में ,...
उस देश में - ऐसा क्यों ?? की उस देश के गणतंत्र दिवस पर ही - किसानो को अपनी माँगो/बातों के लिए सरकार को - दुनिया को समझाने के लिए राजधानी में परेड करनी पड़े ??
ऐसा क्यों ?
वैसे हमारे देश में किसान - वास्तव में हम सभी के दिलों के करीब है बहुत करीब - हम सभी किसी ना किसी रूप से खेती किसानी से जुड़े रहे है और कुछ भी बन जाने के बाद भी ,... हम सब के दिल में एक दबी - छुपी इच्छा - अपने खेत - जमीन और किसानी की बनी ही रहती है ,...
ऐसे देश में - भला कौन,.... किसानो के खिलाफ बोलने की हिमाकत करेगा ?
ऐसा कैसे ,... की कोई सरकार - कोई राजनीतिक पार्टी ,... किसानो की बात ना मानने पर अड़ जायें ??
इतनी हिम्मत - इतनी हिमाकत सरकार में - राजीनीतिक दल में कहाँ से आयी ??
इससे भी बड़ी जिज्ञासा का विषय ये है की ,...
सर्दी के इस महीने में - जब किसान पिछले 2 महीने से,.... कुहरे - बारिश - सर्द हवाओं के बीच खुले आसमान के नीचे सड़को पर पड़ा हो ,... और ,...
और बांकी देश सोता रहे ?? बाकी देश अपने ढर्रे पे चलता रहे है ?? ऐसा कैसे ??
जिस देश में किसान सभी की भावनाओं के करीब है - उस देश में ,...2 महीने का किसान आंदोलन - "जन-आंदोलन" क्यों नहीं बन पाया ??
अगर ये जन-आंदोलन नहीं बन पाया तो इसका एक ही कारण हो सकता है की,...
की जनता का एक बड़ा हिस्सा - किसानो की मांग से सहमत नहीं या इन मांगो को व्यवहारिक नहीं मानता !!
चूँकि ,... ये हकीकत है की किसान सभी के दिलों के करीब है ,... इसलिए आम जनता ,... किसानों से सहमत ना होते हुए भी उनके खिलाफ या विरोध में नहीं है.
आम जनता की यही दुविधा ,...
सरकार को,.... सम्बल दे रही है की वो भी किसानों की तरह अपने रुख पर अड़े रहे.....
तो अब ,... तो अब ये तो समझ आ रहा है की ,...
किसको - कहाँ से ताकत मिल रही है.
खैर ,...इस मामले में हमारी समझ क्या है ,... प्रस्तुत करने की हिम्मत जुटा रहे है ,....
मेरी समझ से किसानों की मांग ,... की MSP को हर जगह लागू करने पर बाध्य किया जाये ,....
मेरी समझ से "पूर्णतया अव्यवहारिक" है ,...
और यही वो माँग है जहाँ पर सारा विमर्श टिका है।
बेशक MSP की मांग से किसानो का सीधा हित है ,... परन्तु ये संभव नहीं यदि ऐसा हुआ तो किसानों का MSP उत्पाद बाजार में बिक ही नहीं पायेगा,.. क्योंकि ऐसे में खाद्य सामग्री के दाम नियंत्रित रखने में ,... खाद्य प्रसंस्करण (Food processing) कंपनी अनाज के आयात पर जोर देंगी और सरकार ,...
और सरकार ,... कितना खरीदेगी ??
वैसे आज भी कितना खरीद रही है ??
वैसे मेरी बुद्धि के हिसाब से ,....
इन बिलों के बाद ,... ये बिलकुल सत्य है की हरियाणा - पंजाब से भी मंडियाँ ठीक उप्र - बिहार की तरह से ख़त्म हो जायेंगी ,... फिर ,...
फिर क्या हरियाणा - पंजाब का किसान भी ,... उप्र - बिहार - उड़ीसा - मप्र - छत्तीसगढ़ आदि ,... के किसानों की तरह गरीब हो जायेगा ??
शायद यही चिंता है हरियाणा - पंजाब के किसानों की ,... जो उन्हें इस आंदोलन के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही है,...
इस मामले में मेरा विचार ये है की ,...
साल - दो साल के बाद जब हरियाणा - पंजाब से मंडियां ख़त्म हो जायेंगी - तब ,...
तब ,...
हरियाणा - पंजाब के किसानों का ,... मोहभंग होगा गेंहूँ और चावल की खेती से ,...तब,..
और तब ,... ये किसान,.... हरियाणा पंजाब के किसान,...
"जो धन संपन्न है - साधन संपन्न है ,... आयात निर्यात ,... रुपये - डॉलर आदि को अच्छे से समझते है",...
मजबूरन गेंहूँ - चावल छोड़ ,... कुछ cash crops जैसे ,... स्ट्रॉबेरी, अवकार्डो, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न आदि-इत्यादि जिनका निर्यात किया जा सके की तरफ ध्यान देंगे और ,..
मेरी समझ से ,... ऐसा करने में हरियाणा - पंजाब के किसानों को अप्रत्याशित सफलता मिलेगी और इनकी सफलता पर कोई संदेह इसलिए भी नहीं क्योंकि इनके पास वो सभी ज्ञान और साधन उपलब्ध है ,.. जो सफलता के लिए चाहिए,...
ये निश्चित है की इनके हाल आज से बेहतर होंगे !!
दूसरी तरफ ,... जब इन किसानों का गेंहू - चावल से मोहभंग होगा,.. तब झारखंड - छतीशगढ - मप्र - उप्र - उड़ीसा आदि के किसानो को ,... गेंहू चावल पर - आज से बेहतर दाम मिलने की संभावना प्रबल होगी !!
और इस वजह से मुझे नहीं लगता MSP की माँग मानी जा सकती है ,... मेरी समझ से बिल्कुल भी नहीं !!
ये तो था इसका आर्थिक पहलू ,... अब राजनीतिक पहलू की बात करते है ,...
किसान बिलों को वापस ना ले के ,... सरकार ,..
बेशक हरियाणा - पंजाब के किसानों का समर्थन खो देगी और निश्चित रूप से वहाँ की अपनी सीटें भी ,... लेकिन ,...
लेकिन इसी की वजह से वो परोक्ष रूप से ही सही - बांकी कम से कम 10/12 राज्यों के किसानों की - हितैषी होने का दम्भ भरेगी
और ऐसे हाल में ,.. उसे राजनीतिक नुकसान की जगह फायदा ही दिख रहा है तो ,...
तो अब पक्का है की ,... सरकार बिल वापस लेने से रही - MSP तय करने से रही !!
अब अंत में ,.. बता दें ये सब लिखते समय जब हम देश के किसानों का विभाजन कर रहे थे ,...
हरियाणा - पंजाब के किसान और बाँकी देश के किसान ,... तब ,...
तब यकीन मानो दोस्त ,... बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था ऐसा कोई विभाजन करने पर ,... पर,...
पर सच तो ये है की ,...
MSP और मंडियों की खरीद पर ,... हमारे देश का किसान तो पहले से ही विभाजित था ,...
और ये विभाजन - कब और किसने किया था ,... इसका हमें कोई पता नहीं !!
#NagShukl
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